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भारत एनकैप Vs ग्लोबल एनकैप: जानिए कितनी है समानता और क्या कुछ है अलग

संशोधित: अगस्त 23, 2023 12:41 pm | भानु

भारत एनकैप की लॉन्चिंग पैसेंजर सेफ्टी की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है। अब भारत में बिकने वाली कारों का यहीं क्रैश टेस्ट होगा, जिन्हें इसके आधार पर ही सेफ्टी रेटिंग दी जाएगी। हालांकि रेटिंग पाने के लिए कारमेकर्स अपनी इच्छा से यहां कारें भेज सकेंगे और भारत एनकैप की शुरूआत अक्टूबर 2023 से होगी।

अब तक मेड इन इंडिया कारों को ग्लोबल एनकैप की ओर से उनके ‘Safer Cars For India' कैंपेन के तहत क्रैश टेस्ट रेटिंग्स दी जाती थी। भारत में बेची जाने वाली नई कारों की सेफ्टी रेटिंग बाहर से मिलने के 10 साल के बाद अब इसका प्रभाव ग्राहकों पर पड़ने लगा है और वो अच्छी सेफ्टी रेटिंग वाली कारें चुनना पसंद कर रहे हैं। अच्छी बात ये है कि भारत एनकैप भी ग्लोबल एनकैप के स्टैंडर्ड्स और प्रोटोकॉल्स का पालन करेगा।

ये मापदंड हैं समान

एनकैप के दोनों वर्जन के टेस्ट में समानताएं कुछ इस प्रकार हैं:

  • फ्रंटल इंपैक्ट: फ्रंटल ऑफसेट बैरियर टेस्ट को 64 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार पर कराया जाएगा। इसके तहत ड्राइवर और पैसेंजर के सिर, गर्दन, छाती, जांघ और घुटने की सेफ्टी को देखा जाएगा।
  • साइड पोल इंपैक्ट: 26 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार पर साइड पोल इंपैक्ट टेस्ट होगा। इस टेस्ट को पास करने के लिए कार में 6 एयरबैग होना जरूरी होगा।
  • साइड बैरियर: 50 किलोमीटर प्रति घंटे की स्पीड से एक बैरियर कार से टकराएगा, जिससे पैसेंजर को आई चोट का आंकलन किया जाएगा।
  • इलेक्ट्रॉनिक स्टेबिलिटी कंट्रोल: ईएससी एक एक्टिव सेफ्टी फीचर है जो टायर को फिसलने से रोकता है। कारों में ये फीचर स्टैंडर्ड मिलना जरूरी है और इसके लिए भी एक टेस्ट होगा।
  • फ्रंट डिजाइन टेस्ट: अब कारों के बंपर और बोनट का डिजाइन कुछ इस तरह का होना चाहिए, जिससे यदि कोई पैदल चल रहा शख्स कार से टकराता है तो उसे ज्यादा चोट ना पहुंचे।

ज्यादा सेफ्टी रेटिंग पाने के लिए सभी कारों को ये सारे टेस्ट पास करने जरूरी होंगे।

एक बार फिर बता दें कि फ्रंट ऑफसेट टेस्ट 64 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से किया जाएगा। साइड बैरियर टेस्ट 50 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार पर होगा और पोल टेस्ट 29 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से होगा। ग्लोबल एनकैप के नियमों की तरह भारत एनकैप में भी कारों की स्ट्रक्चरल इंटीग्रिटी और सेफ्टी असिस्ट टेक्नोलॉजी को देखा जाएगा।

3 स्टार से ज्यादा सेफ्टी रेटिंग पाने के लिए कारों में 6 एयरबैग, इलेक्ट्रॉनिक स्टेबिलिटी कंट्रोल और फ्रंट रो सीट बेल्ट रिमाइंडर जैसे फीचर्स होने जरूरी है। यदि इनमें से कोई फीचर कार में नहीं होगा तो उसके कुछ पॉइन्ट्स काट लिए जाएंगे।

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एक जैसा स्कोर व स्टार रेटिंग

कारों के स्कोर भी 1 से लेकर 5 तक एक जैसे रहेंगे। हमनें नीचे दी गई टेबल में हर स्टार रेटिंग के लिए जरूरी न्यूनतम स्कोर बताया है:

एडल्ट सेफ्टी प्रोटेक्शन

चाइल्ड सेफ्टी प्रोटेक्शन

स्टार रेटिंग

स्कोर

स्टार रेटिंग

स्कोर

5 स्टार

27

5 स्टार

41

4 स्टार

22

4 स्टार

35

3 स्टार

16

3 स्टार

27

2 स्टार

10

2 स्टार

18

ग्लोबल एनकैप प्रोटोकॉल्स के अनुरूप भारत एनकैप में कारों का फाइनल स्कोर तय करते समय हर एक पैरामीटर के आधार पर कुछ इंडिया स्पेसिफिक मॉडिफिकेशन भी किए जाएंगे।

क्या है अलग?

ग्लोबल एनकैप हाल ही में लॉन्च हुए भारत एनकैप से कहीं ज्यादा बेहतर हैं। भारत एनकैप में कुछ सेफ्टी पैरामीटर फिलहाल शामिल नहीं किए गए हैं।

ज्यादा सेफ्टी रेटिंग के लिए कारों में रियर सीट बेल्ट का होना बेहद जरूरी है। केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय के मंत्री नितिन गडकरी ने पहले कहा था कि कारों में रियर सीट बेल्ट रिमाइंडर मौजूद होना अनिवार्य होगा, जिसके बाद कई कार कंपनियों ने अपनी कारों को इस फीचर से अपडेट कर दिया था।

हालांकि, भारत एनकैप के सभी टेस्ट काफी हद तक ग्लोबल एनकैप की गाइडलाइंस पर ही आधारित हैं। इन टेस्ट के लिए सरकार ने भारतीय ड्राइविंग कंडीशन और सड़कों को भी ध्यान में रखा है।

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रेटिंग कारों पर आएगी नज़र

भारत एनकैप की सभी टेस्टेड कारों में स्टिकर लगे होंगे जो कारों की एडल्ट और चाइल्ड सेफ्टी रेटिंग के बारे में बताएंगे। इस स्टिकर पर मॉडल, वेरिएंट का नाम और टेस्टेड ईयर भी लिखा होगा। अनुमान है कि इस स्टिकर को 4-स्टार से कम रेटिंग मिलने वाली कारों पर भी लगाया जा सकता है।

सरकार की योजना टेस्टिंग प्रकियाओं को भविष्य में अपडेट रखने की है। क्रैश टेस्ट एजेंसी की प्लानिंग रियर क्रैश इम्पैक्ट प्रोटेक्शन टेस्ट और कारों में चुनिंदा एडीएएस फीचर्स जैसे लेन डिपार्चर वार्निंग, ब्रेक असिस्ट और ऑटोनॉमस इमरजेंसी ब्रेकिंग को जोड़ने की भी है।

कार कंपनियां भारत एनकैप क्रैश टेस्ट रेटिंग के लिए तैयार हो चुकी हैं। सरकार द्वारा लिया गया यह नया कदम कार कंपनियों को पैसेंजर सेफ्टी पर ध्यान देने में मदद करेगा, जिससे सड़क दुर्घटना में होने वाली मौतों की संख्या कम को सकेगी। हमें उम्मीद है कि अक्टूबर 2023 से भारत एनकैप प्रभावी होने पर कई सारी कारों का क्रैश टेस्ट किया जाएगा।

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