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कोरोना वायरस के प्रकोप से ऑटो इंडस्ट्री भी मुश्किल में

प्रकाशित: मार्च 02, 2020 07:18 pm । स्तुति

कोरोना वाइरस सभी देशों में चर्चा का विषय बना हुआ है। चीन में यह गंभीर बीमारी पिछले साल (2019) के अंत में सामने आई थी। अब यह वुहान जिले से लेकर पूरे कॉन्टिनेंट (एंटार्कटिका को छोड़कर) में फैल गई है। कोरोना वाइरस के कारण देशों की आर्थिक स्थिति पर भी बुरा असर पड़ा है। ऐसे में ऑटो इंडस्ट्री भी काफी प्रभावित हुई है।

केवल चीन की बात करें तो फरवरी महीने (2020) में देश की घरेलू बिक्री वर्ष 2019 के मुकाबले 92% तक गिर गई है। इसकी मुख्य वजह इन्फेक्शन से बचने के लिए लोगों का घर पर रहकर ही समय व्यतीत करना है। आपको बता दें कि पूरे विश्वभर की अधिकांश ऑटोमोबाइल कंपनियां अपने कई पार्ट्स को चीन से ही आयात करती है। मगर, तमाम फैक्ट्रीज़ के बंद होने के चलते या कम प्रोडशन के कारण कारों के पार्ट्स की दूसरे देशों में सप्लाई भी काफी प्रभावित हो रही है। इसके अलावा, मार्च में होने वाले 2020 जिनेवा मोटर शो को भी कोरोना वायरस के चलते रद्द कर दिया गया है।

कारों के पार्ट्स की ख़राब सप्लाई के चलते यूरोप के कई ऑटोमोटिव ब्रांड्स के प्लांट भी बंद पड़े है। कारों के पार्ट्स की ख़राब सप्लाई का असर भारत की ऑटो इंडस्ट्री भी महसूस कर रही है। हाल ही में एसोसिएशन ऑफ़ इंडियन फोर्जिंग इंडस्ट्री (एआईएफआई) द्वारा जारी किए गए स्टेटमेंट के अनुसार, भारत के कॉम्पोनेन्ट इम्पोर्ट्स में चीनी निर्माताओं की हिस्सेदारी 27% है। एआईएफआई की रिपोर्ट के अनुसार, इस बार कोरोना वाइरस के चलते वार्षिक व्हीकल डिमांड में कुल 8.3% की गिरावट हो सकती है।

एआईएफआई के प्रेजिडेंट एस मुरलीशंकर ने प्रभावित सप्लाई को लेकर कहा कि, “चीनी सरकार द्वारा समुद्र के द्वारा शिपमेंट पर प्रतिबन्ध को और अधिक समय तक बढ़ा दिया गया है और केवल-एयर शिपमेंट ऑटो इंडस्ट्री और फोर्जिंग इंडस्ट्री के लिए उपयुक्त नहीं है। इसलिए भारतीय ओईएम अपने मौजूदा इन्वेंटरी के परे प्रोडक्शन प्लांन बनाने में असमर्थ हैं।"

भारत ऑटो इंडस्टरी पहले से ही मंदी के दौर से गुज़र रही है और कोरोनावायरस का प्रकोप इस आग में घी का काम कर सकता है। यदि कोरोना वायरस का असर 2020 की पहली तिमाही तक बरक़रार रहता है तो ऐसे में कंपनियां कम प्रोडक्शन के चलते प्रॉफिट में संतुलन बनाने के लिए वर्कफोर्स में भी गिरावट कर सकती है। भले ही कुछ चीनी मैन्युफैक्चरिंग कंपनियां वापस से अपने काम में जुट गई हैं लेकिन आपूर्ति श्रृंखला में विराम के दीर्घकालिक प्रभावों को 2020 में लंबे समय तक महसूस किया जा सकता है।

कोरोनावायरस के कारण होने वाली बीमारी को सीओवीआईडी-19 (COVID-19) नाम दिया गया है। सरकारी स्वास्थ्य संगठन भी निरंतर इस बीमारी को लेकर लोगों को जागरूक कर रहे हैं और इसके लिए उपचार ढूंढ रहे हैं।

साथ ही पढ़ें: मारुति विटारा ब्रेज़ा 2020 Vs टाटा नेक्सन: जानिए कौनसी कार है बेहतर?

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