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स्कोडा ऑक्टावियाः 5000 किलोमीटर लाॅन्ग टर्म रिव्यू

Published On अगस्त 04, 2022 By cardekho for स्कोडा ऑक्टाविया

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इस साल देश में काफी सारी कारों की लाॅन्चिंग का प्लान तय था और ऐसे में हम शूट्स में काफी व्यस्त रहे तो ऑक्टाविया को कुछ समय के लिए इस्तेमाल में नहीं लिया गया। हमें एक शूट के लिए कुछ ऑफरोडिंग रूट्स पर जाना था और यहां ऑक्टाविया के बड़े से बूट स्पेस की हमें सख्त जरूरत थी। 

कार में सवार होने से पहले मैंने अपने साथियों से पूछा कि आगे रोड कितनी खराब होगी? तो जवाब आया कि हमें ऑक्टाविया को एक पाॅइन्ट पर छोड़कर हमारे फ्लीट में शामिल किआ कारेंस और रेनो ट्राइबर में सवार होना होगा। 

सबसे पहले हम एक पुणे से सतारा के बीच एक खुले खुले लंबे हाईवे पर थे। मैं पहली बार ऑक्टाविया को शहर से बाहर किसी हाईवे पर ड्राइव कर रहा था। हाईवे टच करने से पहले हमनें ऑक्टाविया में फ्यूल भराया और उसके टायरों का प्रेशर भी चैक कराया। स्कोडा में आपको टायर प्रेशर की जानकारी ना तो ड्राइवर डिस्प्ले पर मिलती है और ना ही इसे मैनुअली देखा जा सकता है। वैसे काफी समय से ऑक्टाविया खाली खड़ी थी तो टायरों में हवा भी कम हो गई थी। 

शहर की तरह हाईवे पर भी ऑक्टाविया बिल्कुल कंफर्टेबल अहसास दे रही थी। इसके इंजन की परफाॅर्मेंस यहां भी शानदार नजर आ रही थी। ये बड़े आराम से दूसरे व्हीकल्स को पावर की बिना कमी के साथ ओवरटेक करते चल रही थी। टाॅर्क का सपोर्ट भी इसमें काफी अच्छा मिल रहा था। हालांकि सस्पेंशन के साॅफ्ट होने के कारण इसमें काफी बाउंसी राइड मिल रही थी। 

इसके बाद जब हमनें हाईवे की सपाट सड़क को अलविदा कह दिया और एक मिट्टी/कीचड़ से भरे पैच पर आ पहुंचे। मैने काफी सावधानी से एक चढ़ाई को पार किया, जिसके बाद हमें काफी नीचे ढलान पर जाना था और मुझे ऐसा भी महसूस हो रहा था कि शायद टायर फिसल रहा है, मगर ये बाधा भी हमनें पार कर ली। ये सिंगल लेन मिट्टी वाला रास्ता गड्ढों और खाईयों से अटा पड़ा था। यहां बीच रास्ते में भी घास उगी हुई थी और साइड में भी झाड़ियां थी। ये सब देखकर मन में ये ख्याल आया कि स्कोडा कोडियाक जैसी कार के लिए बने इस रास्ते पर ऑक्टाविया को चलना पड़ रहा है। 

अगले दो दिन मुझे इसी लोकेशन पर दिन रात शूट करना था। अब ऑक्टाविया हमारे साथ साथ वहां तक पहुंच चुकी थी जहां दूसरी गाड़ियां पहुंच जाती है और सबसे खास बात ये है कि एक सेडान होने के बावजूद भी इसके निचले हिस्सों को कहीं से कोई चोट नहीं पहुंची। हालांकि एक सेडान के साथ ऐसे रास्तों पर चलने के लिए आपको बहुत सावधानियां बरतनी पड़ती है। 

इस दौरान इसकी फ्यूल एफिशिएंसी में भी सुधार देखा गया और मेरे साथी अमेय ने बताया कि मुंबई-पुणे-मुंबई ड्राइव के दौरान उन्हें ऑक्टाविया ने 13 किलोमीटर प्रति लीटर का माइलेज दिया था। हालांकि इस शूट के दौरान हमें इससे 10 किलोमीटर प्रति लीटर का माइलेज ही मिल रहा था और ज्यादातर हम इसका इस्तेमाल केवल शूट लोकेशन पर धूप से बचने के लिए कर रहे थे और कुछ कुछ समय ही हम इसे शूट के किसी काम से लेकर निकल रहे थे। इस दौरान इसका कूल्ड ग्लवबाॅक्स हमारे काफी काम आया जिसमें हमनें हमारे स्नैक्स रखे। 

लेकिन इस सफर में एक दो बार ऑक्टाविया लड़खड़ा भी गई। इसका कारप्ले, इंफोटेनमेंट सिस्टम कभी कभी काम ही नहीं कर रहे थे जिन्हें शुरू करने के लिए पहले मुझे कार का इंजन बंद करके कार को लाॅक करना पड़ा और पूरा प्रोसेस फिर से दोहराना पड़ा। ये सब किसी डिवाइस को रीबूट करने जैसा लग रहा था। इसके अलावा थोड़ी सी झाड़ियां यदि कार के बीच आ रही थी तो ऑटोमैटिक ब्रेकिंग भी होने लगी थी। शुरू शुरू में तो मैं इससे परेशान हुआ, मगर बाद में ये भी समझ आया कि वाकई ये फीचर काफी काम का है।  

जैसा कि हमनें पहले भी बताया इस कार से हमें 10.1 किलोमीटर प्रति लीटर की फ्यूल एफिशिएंसी मिली। ये कार अब तक 7300 किलोमीटर ड्राइव की जा चुकी है और ये हमें जब मिली तब तक ये 2000 किलोमीटर चल चुकी थी। बता दें कि 25 फरवरी 2022 को हमें स्कोडा ऑक्टाविया दी गई थी।

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cardekho

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