कोरोना और रूस-युक्रेन युद्ध जैसे संकट के बीच सप्लाय हुई प्रभावित,कारों पर बढ़ेगा वेटिंग पीरियड
प्रकाशित: मार्च 22, 2022 01:47 pm । भानु
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2020 में कोरोना महामारी आने के बाद से ही ऑटोमोटिव सप्लाय चेन में बाधाएं आ रही है। अभी दुनियाभर की ऑटोमोटिव इंडस्ट्री इस संकट से ठीक से उबरी भी नहीं थी कि एक बार फिर से कुछ दूसरे मामलों की वजह से कंपोनेंट्स की सप्लाय पर प्रभाव पड़ने लगा है। लिहाजा अब गाड़ियों की डिलीवरी टाइमलाइंस इससे बुरी तरह प्रभावित हो रही है।
चीन में एक बार फिर से कोरोना ने दस्तक दे दी है जिससे वहां लॉकडाउन लगाना पड़ गया है। इसका सीधा असर ऑटोमोटिव्स के प्रोडक्शन पर पड़ना शुरू हो गया है। इस लॉकडाउन इलेक्ट्रिक कंपोनेंट्स तैयार करने वाले मैन्युफैक्चरर्स के काम पर सबसे ज्यादा प्रभाव पड़ रहा है। वहीं रूस युक्रेन युद्ध का असर भी ग्लोबल ऑटोमोटिव इंडस्ट्री पर देखा जा सकता है।
2020 से ऑटोमोटिव इंडस्ट्री सेमी कंडक्टर चिप्स की शॉर्टेज का सामना कर रही है। ये सेमी कंडक्टर्स मॉर्डन कारों में कई इलेक्ट्रॉनिक फंक्शंस के लिए बेहद जरूरी होते हैं। ये संकट 2022 में भी जारी रहेगा और अब माना जा रहा है कि 2023 में भी इंडस्ट्री को इस संकट से जूझना पड़ सकता है। यहां तक भी भारत सरकार द्वारा प्रस्तावित सेमी कंडक्टर्स की लोकल मैन्युफैक्चरिंग को भी अब शुरू होने में काफी वक्त लग सकता है।
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इन सभी संकटों के बीच कार मैन्युफैक्चरर्स को अपने प्रोडक्शन को धीमा करना पड़ रहा है जिससे कारों पर अब और भी लंबा वेटिंग पीरियड मिलना तय है। दूसरी तरफ इनपुट कॉस्ट बढ़ने से भी कारों का महंगा होना भी अब लगभग तय हो चुका है। कुल मिलाकर गाड़ियों की डिलीवरी मिलने में लंबा समय तो लगेगा ही साथ ही उनकी कीमत भी उस समय तक बढ़ जाएंगी।
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इस समय एमजी एस्टर और महिंद्रा एक्सयूवी700 जैसी फीचर लोडेड कारों पर सबसे लंबा वेटिंग पीरियड दिया जा रहा है। ऐसे में इस समस्या को दूर करने के लिए कारमेकर्स अपनी ऐसी स्पेशल कारों के कम फीचर्स वाले वेरिएंट्स ऑफर कर सकते हैं। ये चीज सेमी कंडक्टर चिप्स की ग्लोबल शॉर्टेज के चरम पर होने के बाद कुछ दूसरे बाजारों में अपनाई जानी शुरू कर दी गई है।