क्या है सेमी-कंडक्टर की शॉर्टेज से जुड़ा पूरा मामला,इन 5 बातों के जरिए जानें
संशोधित: मई 25, 2021 10:00 am | भानु
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कोरोना महामारी ने एक बार फिर से बामुश्किल संभली इंडियन ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री की रफ्तार को धीमा कर दिया है। दूसरी तरफ सेमी-कंडक्टर की शॉर्टेज से भी इंडस्ट्री को दोहरी मार का सामना करना पड़ रहा है। इस आर्टिकल के जरिए हम आपको बताएंगे कि किस तरह ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री को सेमी-कंडक्टर्स की शॉर्टेज प्रभावित कर रही है और इसके लिए कारमेकर्स क्या कर रहे हैं वहीं ग्राहकों के लिए इस समस्या के क्या मायने हैं।
क्या होती है सेमी-कंडक्टर चिप?
आजकल सभी मॉर्डन कारों के अलावा लो बजट मास मार्केट कारों में काफी तरह के इलेक्ट्रॉनिक आइटम और सर्किट्स दिए जाते हैं। ये सर्किट्स कई फीचर्स की फंक्शनिंग में मदद करते हैं जिनमें पावर स्टीयरिंग,पावर विंडोज,क्लाइमेट कंट्रोल्स,इंफोटेनमेंट सिस्टम और कार के खुद के इलेक्ट्रॉनिक कंट्रोल यूनिट शामिल हैं। इन सबके लिए सेमी-कंडक्टर चिप की काफी आवश्यकता पड़ती है।
क्यों हो रही है सेमी-कंडक्टर चिप की कमी
काफी सारे मैन्युफैक्चरर्स के पास केवल प्रोडक्शन के हिसाब से आवश्यकतानुसार सेमी-कंडक्टर्स का स्टॉक होता है। दुनियाभर में कोरोना की पहली लहर आने के साथ जब देशव्यापी लॉकडाउन लगाए जाने की घोषणाएं हो रही थी तब काफी कारमेकर्स ऐसे थे जिन्हें तब अपने प्रोडक्ट्स की कम डिमांड के चलते इन सेमी-कंडक्टर्स की जरूरत ही नहीं थी। बता दें कि काफी कम मैन्युफैक्चरर्स ही सेमी-कंडक्टर चिप्स का मास प्रोडक्शन करते हैं और ज्यादा मार्जिन मिलने के कारण ये कार मैन्युफैक्चरर्स को ना बेचकर बल्कि इलेक्ट्रॉनिक आइटम बनाने वाली कंपनियों को इनकी ज्यादा सप्लाय देते हैं। धीरे धीरे लॉकडाउन खुलने के बाद अचानक से इन सेमी-कंडक्टर चिप्स की ऑटो सेक्टर में डिमांड काफी तेजी से बढ़ने लगी मगर चिप मेकर्स ने उन कंपनियों को प्राथमिकता पर रखते हुए सेमी-कंडक्टर्स सप्लाय किए जो पहले ही ऑर्डर दे चुके थे। इसी वजह से अब ऑटो सेक्टर में इन चिप्स की बहुत ज्यादा कमी हो रही है और इसी कारण से फिर कंपनियां गाड़ियों की भी डिमांड पूरी नहीं कर पा रही है।
कार खरीदने वाले ग्राहकों को ये संकट किस तरह कर रहा है प्रभावित
सेमी-कंडक्टर चिप की कमी के कारण महिंद्रा थार की डिमांड पूरी नहीं की जा पा रही है। इस एसयूवी की यूनिट्स तो बनकर तैयार है मगर सेमी-कंडक्टर चिप्स ना होने के कारण इंफोटेनमेंट सिस्टम इंस्टॉल नहीं किया जा पा रहा है और इसी वजह से ये कार कस्टमर्स को भी नहीं दी जा सकती है। इस संकट के चलते अमेरिका में फोर्ड और जापान में निसान ने तो यहां तक प्रोडक्शन में कमी कर दी है और अपनी कई फैक्ट्रियों में शिफ्टें भी घटा दी है। वहीं कई ऐसे ब्रांड्स है जिन्होनें ऐसे फीचर्स को अपनी कारों में से हटा दिया है जिनमें सेमी-कंडक्टर चिप्स की जरूरत पड़ती है। इस सकट से ना सिर्फ गाड़ियों की डिमांड पूरी नहीं की जा पा रही है बल्कि इस वजह से अपकमिंग महिंद्रा एक्सयूवी700 जैसी कारों को लॉन्च करने में भी देरी हो रही है।
इस संकट से उबरने के लिए क्या कर रही है ऑटो इंडस्ट्री
अब ऑटो इंडस्ट्री अपनी कारों के लिए इलेक्ट्रिक कंपोनेंट और सेमी कंडक्टर चिप के दूसरे सोर्स ढूंढ रही है जिससे आगे उन्हें इस तरह की परेशानियों का सामना नहीं करना पड़े। अभी मौजूद सेमी कंडक्टर चिप मैन्युफैक्चरर्स अपनी क्षमता से अधिक यूनिट्स तैयार करने में जुटे है फिर भी आपूर्ति पूरी नहीं की जा पा रही है जबकि अब समय की मांग है कि इसमें नए मैन्युफैक्चरर्स भी आगे आए। इंटेल,फॉक्सकॉन और हुआवेई जैसी बड़ी कंपनियां कई कार मेकर्स के लिए सेमी कंडक्टर चिप और नए टेक बेस्ड फीचर्स पर काम कर रही है। वहीं सैमसंग और हुंडई भी इसके लिए दूसरी कंपनियों से पार्टनरशिप को तैयार है। ज्यादातर ब्रांड्स इलेक्ट्रिक व्हीकल्स के लिए चिप्स बना रही है जहां मॉर्डन टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया जा रहा है।
अभी कैसी है स्थिती?
चिप की शॉर्टेज तो फिलहाल खत्म नहीं हुई है। इंडस्ट्री से जुड़े एक्सपर्ट्स का मानना है कि ये समस्या 2022 के मध्य तक जारी रहेगी। जैसे देशों में लॉकडाउन हटना शुरू होगा और बाजार अपनी पूरी क्षमता के साथ काम करने में जुटेंगे वैसे ही चिप्स तैयार करने के लिए कुछ नई फैक्ट्रियां लगाया जाना भी शुरू किया जाएगा। अभी तो कंपनियों को पेंडिंग ऑर्डर्स की आपूर्ति को भी पूरा करना है। ऐसे में ये समस्या इतनी जल्द खत्म नहीं होने वाली है।
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