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वोल्वो एक्ससी90 एक्सीडेंट से मिला सबक: सिर्फ अच्छी और सुरक्षित कार होना ही काफी नहीं, भारत को बेहतर रोड सेफ्टी की भी है सख्त जरूरत

प्रकाशित: जनवरी 06, 2025 07:44 pm । सोनूवोल्वो एक्ससी 90

भारत में हर साल औसतन 4.3 लाख एक्सीडेंट हो रहे हैं और दुख की बात ये है कि 2024 में यह संख्या कम होने के बजाए बढ़ गई

इसमें कोई शक नहीं है कि भारत के हाईवे दुनिया के सबसे खतरनाक हाईवे में से एक है। भारत में होने वाले एक्सीडेंट के आंकड़े खुद इस बात की पुष्टि करते हैं। भारत में हर साल औसतन 4.3 लाख एक्सीडेंट होते हैं जिनमें करीब 1.55 लाख लोग अपनी जान गंवाते हैं। सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय के मंत्री नितिन गडकरी ने संसद सत्र में कहा कि 2024 में सड़क हादसों की संख्या बढ़ी है।

हाल ही में वोल्वो एक्ससी90 पर एक ट्रक के गिरने की घटना ने भारत की रोड सेफ्टी पर सवाल उठा दिए हैं। इस कार एक्सीडेंट में 6 जनों ने अपनी जान गवां दी, जबकि ग्लोबल क्रैश टेस्ट में वोल्वो एक्ससी90 को दुनिया की सबसे सुरक्षित कार बताया गया है।

यहां कार को दोष नहीं दिया जा सकता

हमनें इस एक्सीडेंट का एनालिसिस करने के लिए कई सोर्स से मिली इंफोर्मेशन का इस्तेमाल किया, जिनमें एक्सीडेंट साइट के सामने वाले पेट्रोल पंप के सीसीटीवी फुटेज और कई वीडियो रेंडरिंग शामिल थे। ये दोनों ही दुर्घटना के अलग-अलग दृश्य दिखाते हैं।

ट्रक ड्राइवर का दावा है कि उसके आगे चल रही एक तेज रफ्तार हैचबैक ने अचानक से ब्रेक लगा दिए, जिससे ट्रक ड्राइव ने कंट्रोल खो दिया और ट्रक डिवाइडर पर चढ़ गया और फिर वोल्वो कार पर पलट गया।

December 23, 2024

कई रिपोर्ट में दावा किया गया है कि कंटेनर में 26 टन स्टील भरा था। वोल्वो एक्ससी90 की रूफ 100 किलोग्राम वजन उठाने में सक्षम बताई गई है। ऐसे में हम उम्मीद कर रहे हैं कि इस एसयूवी पर उसकी क्षमता से 260 गुणा ज्यादा वजन पड़ गया था।

कोई भी व्हीकल फिर चाहे वो हाई स्ट्रैंथ स्टील, एल्यूमिनियम या फिर कार्बन फाइबर से क्यों ना बना हो, वो इस इंपेक्ट को झेलने में सक्षम नहीं होगा।

नितिन गडकरी ने कहा

नितिन गडकरी ने संसद में सवालों के जवाब देते हुए कहा कि 2024 में हादसों की संख्या बढ़ी है, फिर भले ही इन्हें रोकने के लिए प्रयास किए जा रहे हों। उन्होंने कहा कि ‘‘इनमें से 59 प्रतिशत एक्सीडेंट एनएच (नेशनल हाईवे) पर हो रहे हैं और यह मेरे लिए चिंता का एक प्रमुख कारण है।’’

क्या बदलाव की जरूरत है?

ड्राइविंग लाइसेंस जारी करने में अधिक सख्ती

गडकरी ने संसद में कहा कि ‘‘हम दुनिया में पहले नंबर पर है जहां ड्राइविंग लाइसेंस आसानी से मिल जाता है!’’

अगर आपके दोस्त या रिश्तेदार विदेश में रहते हैं तो हमें यकीन है कि कार के शौकीन लोगों ने उनसे यह सवाल जरूर किया होगा कि उन्हें ड्राइविंग लाइसेंस कैसे मिला। यूनाइटेड किंगडम, दुबई और जर्मनी जैसे देशों में ड्राइविंग लाइसेंस के लिए प्रोसेस काफी सख्त है। इन देशों में ड्राइविंग टेस्ट में शामिल होने से पहले व्यक्ति को सरकार द्वारा अप्रूव्ड ड्राइविंग स्कूल से ट्रेनिंग, थियोरीकल और प्रैक्टिकल एग्जाम देना होता है। असफल होने पर उन्हें फिर से आवदेन करने से पहले अतिरिक्त ट्रेनिंग और फिर से टेस्ट देने होते हैं।

लेकिन क्या आपने भारत में ड्राइविंग टेस्ट में फेल होते सुना है? हम शर्त लगाते हैं कि ऐसा ज्यादातर कभी नहीं हुआ।

पुराने और अनफिट व्हीकल को सड़क से हटाना जरूरी

जो व्हीकल स्टैंडर्ड पर खरा नहीं उतरते हैं उन्हें सड़क से हटा देना चाहिए, फिर चाहे वे कमर्शियल व्हीकल हो या फिर प्राइवेट कार। अफसोस की बात ये है कि कर्मिशयल व्हीकल ज्यादा अनफिट मिलेंगे। उदाहरण के लिए मुंबई-पुणे एक्सप्रेसवे जैसे व्यस्त हाईवे पर ट्रक के ब्रैक फेल होने की घटना कोई असामान्य बात नहीं है, जिसके कारण अनगिनत अन्य वाहन भी दुर्घटनाग्रस्त हो जाते हैं।

नियमों का पालन जरूरी

आपने देखा होगा कि विकसित देशों में सड़कें बहुत सुव्यस्थित होती है। हर कोई लेन में स्पीड लिमिट के साथ कानून का पालन करते हुए दिखता है। ऐसा क्यों? क्योंकि वहां के कानून सख्त हैं और उल्लंघन करने पर गंभीर परिणाम मिलते हैं।

बेहतर रोड इंफ्रास्ट्रक्चर

भारत इस मोर्चे पर प्रगति कर रहा है और यहां सरकार बहुत सारे हाईवे व एक्सप्रेसवे बना रही है। बेहतर रोड इंफ्रास्ट्रक्चर से यातायात का प्रवाह सुचारू और सुव्यस्थित होता है, जिससे ट्रैफिक की भीड़ कम होती है। बेहतर रोशनी, हाईवे पर जानवरों को आने से रोकना, और प्रोपर एग्जीट व एंट्री पॉइंट के साथ सेफ्टी को बेहतर करने की जरूरत है।

खुद को बदलें

भारत को ऐसी दुर्भाग्यपूर्ण दुर्घटनाओं के मामले में बदलाव की सख्त जरूरत है और इसे बदलने का एकमात्र तरीका लोगों और सरकार के सामूहिक सहयोग से ही है। यहां तक कि खुद मिनिस्टर ने भी माना कि व्यवस्था और समाज दोनों को बदलना होगा।

उम्मीद है कि हमें भविष्य में और भी सुरक्षित और सख्त हाईवे मिलेंगे। और उम्मीद है आने वाले समय में ऐसे एक्सीडेंट सिर्फ एक असामान्य बात होगी, न कि सामान्य बात।

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