2029 तक 7 गुना पॉपुलर हो जाएंगी स्ट्रॉन्ग हाइब्रिड कारें
प्रकाशित: जून 19, 2024 02:30 pm । भानु
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पिछले कुछ सालों में इंडियन ऑटोमोटिव इंडस्ट्री में मारुति ग्रैंड विटारा और टोयोटा इनोवा हाइक्रॉस स्ट्रॉन्ग हाइब्रिड व्हीकल्स की काफी डिमांड बढ़ी है। इंडीपेंडेंट डेटा रिसर्च और एनालिसिस करने वाली संस्था क्रिसिल (क्रेडिट रेटिंग इंफॉर्मेशन सर्विसेज ऑफ इंडिया लिमिटेड मार्केट इंटेलिजेंस एंड एनालिटिक्स) का कहना है कि आने वाले समय में स्ट्रॉन्ग हाइब्रिड व्हीकल्स का मार्केट शेयर काफी बढ़ने वाला है।
संस्था के डेटा के अनुसार 2024 के फाइनेंशियल ईयर में स्ट्रॉन्ग हाइब्रिड कारों का मार्केट शेयर 2.2 प्रतिशत है। वहीं 2029 तक इनका मार्केट शेयर 13 से 16 प्रतिशत के बीच हो जाएगा।
क्रिसिल के मुताबिक फाइनेंशियल ईयर 2024 में इलेक्ट्रिक कारों का मार्केट शेयर 2.3 प्रतिशत है जो कि 2029 तक 20 प्रतिशत हो सकता है। अब प्राइवेट कस्टमर्स को इलेक्ट्रिक व्हीकल्स की खरीद पर कोई इंसेटिव नहीं दिया जा रहा है मगर हाइब्रिड व्हीकल्स के मुकाबले इलेक्ट्रिक व्हीकल्स को इंटरनेशनल मार्केट में ज्यादा सपोर्ट मिल रहा है। मगर इलेक्ट्रिक व्हीकल्स के मुकाबले हाइब्रिड व्हीकल्स को मिलने वाली अहमियत के कुछ कारण है जो इस प्रकार से है:
कीमत
पेट्रोल/डीजल इंजन वाली कारों के मुकाबले इलेक्ट्रिक व्हीकल्स की कीमत ज्यादा होती है जबकि हाइब्रिड व्हीकल्स के बीच का प्राइस गैप उतना नहीं होता है। ऐसे में इलेक्ट्रिक व्हीकल्स की ज्यादा कीमत तब तक रिकवर नहीं हो सकती जब तक कि आप उनका ज्यादा से ज्यादा किलोमीटर तक इस्तेमाल नहीं करते हैं। इसके अलावा पेट्रोल/डीजल कारों के मुकाबले स्ट्रॉन्ग हाइब्रिड कारें ज्यादा महंगी नहीं होती है जिनकी ज्यादा कीमत आसानी से रिकवर की जा सकती है।
मेंटेन करने में आसान
पेट्रोल/डीजल कार से इलेक्ट्रिक कार पर आना ना सिर्फ महंगा साबित होता है बल्कि इन्हें अपनाना भी उतना आसान नहीं है। इलेक्ट्रिक व्हीकल्स लेने के बाद आपको चार्जिंग स्टेशंस जैसे इंफ्रास्ट्रक्चर पर काफी निर्भर रहना पड़ता है जो अभी फिलहाल एक डेवलपमेंट स्टेज पर ही है और ये हर शहर में उपलब्ध भी नहीं है। इसके अलावा इलेक्ट्रिक व्हीकल्स लेने वाले लोगों को रेंज की भी चिंता रहती है।
चूंकि भारत में स्ट्रॉन्ग हाइब्रिड कारों को चार्जिंग स्टेशंस की जरूरत नहीं है और इनमें पेट्रोल इंजन से ही इलेक्ट्रिक पावर जनरेट हो जाती है इसलिए ये आईसीई मॉडल्स जितने ही सुविधाजनक होते हैं। ऐसे में स्ट्रॉन्ग हाइब्रिड व्हीकल्स भी केवल पेट्रोल पंप पर ही निर्भर रहते हैं जिससे लंबे सफर के दौरान आपको कोई चिंता नहीं करनी पड़ती है।
और भी स्ट्रॉन्ग हाइब्रिड कारें होंगी लॉन्च
इलेक्ट्रिक कारों के लिए एक बेहतर भविष्य तैयार करना अभी दूर की कौड़ी साबित हो रहा है मगर आने वाले समय में देश में और ज्यादा स्ट्रॉन्ग हाइब्रिड कारें लॉन्च होंगी।
हुंडई,किआ,फोक्सवैगन और एमजी जैसे दूसरे ग्लोबल ब्रांड्स आने वाले सालों में स्ट्रॉन्ग हाइब्रिड सेगमेंट में एंट्री लेंगे जो अलग अलग सेगमेंट में अलग अलग प्राइस रेंज की कारें उतारेंगे। इसके अलावा बीएमडब्ल्यू एक्सएम जैसी और भी प्लग इन हाइब्रिड कारें भी बाजार में लॉन्च होंगी।
टाटा और महिंद्रा अपने पोर्टफोलियो में ज्यादा से ज्यादा इलेक्ट्रिक कारें शामिल करने की तैयारी कर रहे हैं जो शायद ही स्ट्रॉन्ग हाइब्रिड सेगमेंट में एंट्री लेंगे।
आने वाले सालों में स्ट्रॉन्ग हाइब्रिड और इलेक्ट्रिक व्हीकल्स के लिए काफी रोचक होंगे और दोनों ही कैटेगरी में काफी व्हीकल्स लॉन्च होंगे। दोनों सेगमेंट में से किस सेगमेंट की कार लेना चाहेंगे आप? कमेंट बॉक्स में हमें जरूर बताएं।
पिछले कुछ सालों में इंडियन ऑटोमोटिव इंडस्ट्री में मारुति ग्रैंड विटारा और टोयोटा इनोवा हाइक्रॉस स्ट्रॉन्ग हाइब्रिड व्हीकल्स की काफी डिमांड बढ़ी है। इंडीपेंडेंट डेटा रिसर्च और एनालिसिस करने वाली संस्था क्रिसिल (क्रेडिट रेटिंग इंफॉर्मेशन सर्विसेज ऑफ इंडिया लिमिटेड मार्केट इंटेलिजेंस एंड एनालिटिक्स) का कहना है कि आने वाले समय में स्ट्रॉन्ग हाइब्रिड व्हीकल्स का मार्केट शेयर काफी बढ़ने वाला है।
संस्था के डेटा के अनुसार 2024 के फाइनेंशियल ईयर में स्ट्रॉन्ग हाइब्रिड कारों का मार्केट शेयर 2.2 प्रतिशत है। वहीं 2029 तक इनका मार्केट शेयर 13 से 16 प्रतिशत के बीच हो जाएगा।
क्रिसिल के मुताबिक फाइनेंशियल ईयर 2024 में इलेक्ट्रिक कारों का मार्केट शेयर 2.3 प्रतिशत है जो कि 2029 तक 20 प्रतिशत हो सकता है। अब प्राइवेट कस्टमर्स को इलेक्ट्रिक व्हीकल्स की खरीद पर कोई इंसेटिव नहीं दिया जा रहा है मगर हाइब्रिड व्हीकल्स के मुकाबले इलेक्ट्रिक व्हीकल्स को इंटरनेशनल मार्केट में ज्यादा सपोर्ट मिल रहा है। मगर इलेक्ट्रिक व्हीकल्स के मुकाबले हाइब्रिड व्हीकल्स को मिलने वाली अहमियत के कुछ कारण है जो इस प्रकार से है:
कीमत
पेट्रोल/डीजल इंजन वाली कारों के मुकाबले इलेक्ट्रिक व्हीकल्स की कीमत ज्यादा होती है जबकि हाइब्रिड व्हीकल्स के बीच का प्राइस गैप उतना नहीं होता है। ऐसे में इलेक्ट्रिक व्हीकल्स की ज्यादा कीमत तब तक रिकवर नहीं हो सकती जब तक कि आप उनका ज्यादा से ज्यादा किलोमीटर तक इस्तेमाल नहीं करते हैं। इसके अलावा पेट्रोल/डीजल कारों के मुकाबले स्ट्रॉन्ग हाइब्रिड कारें ज्यादा महंगी नहीं होती है जिनकी ज्यादा कीमत आसानी से रिकवर की जा सकती है।
मेंटेन करने में आसान
पेट्रोल/डीजल कार से इलेक्ट्रिक कार पर आना ना सिर्फ महंगा साबित होता है बल्कि इन्हें अपनाना भी उतना आसान नहीं है। इलेक्ट्रिक व्हीकल्स लेने के बाद आपको चार्जिंग स्टेशंस जैसे इंफ्रास्ट्रक्चर पर काफी निर्भर रहना पड़ता है जो अभी फिलहाल एक डेवलपमेंट स्टेज पर ही है और ये हर शहर में उपलब्ध भी नहीं है। इसके अलावा इलेक्ट्रिक व्हीकल्स लेने वाले लोगों को रेंज की भी चिंता रहती है।
चूंकि भारत में स्ट्रॉन्ग हाइब्रिड कारों को चार्जिंग स्टेशंस की जरूरत नहीं है और इनमें पेट्रोल इंजन से ही इलेक्ट्रिक पावर जनरेट हो जाती है इसलिए ये आईसीई मॉडल्स जितने ही सुविधाजनक होते हैं। ऐसे में स्ट्रॉन्ग हाइब्रिड व्हीकल्स भी केवल पेट्रोल पंप पर ही निर्भर रहते हैं जिससे लंबे सफर के दौरान आपको कोई चिंता नहीं करनी पड़ती है।
और भी स्ट्रॉन्ग हाइब्रिड कारें होंगी लॉन्च
इलेक्ट्रिक कारों के लिए एक बेहतर भविष्य तैयार करना अभी दूर की कौड़ी साबित हो रहा है मगर आने वाले समय में देश में और ज्यादा स्ट्रॉन्ग हाइब्रिड कारें लॉन्च होंगी।
हुंडई,किआ,फोक्सवैगन और एमजी जैसे दूसरे ग्लोबल ब्रांड्स आने वाले सालों में स्ट्रॉन्ग हाइब्रिड सेगमेंट में एंट्री लेंगे जो अलग अलग सेगमेंट में अलग अलग प्राइस रेंज की कारें उतारेंगे। इसके अलावा बीएमडब्ल्यू एक्सएम जैसी और भी प्लग इन हाइब्रिड कारें भी बाजार में लॉन्च होंगी।
टाटा और महिंद्रा अपने पोर्टफोलियो में ज्यादा से ज्यादा इलेक्ट्रिक कारें शामिल करने की तैयारी कर रहे हैं जो शायद ही स्ट्रॉन्ग हाइब्रिड सेगमेंट में एंट्री लेंगे।
आने वाले सालों में स्ट्रॉन्ग हाइब्रिड और इलेक्ट्रिक व्हीकल्स के लिए काफी रोचक होंगे और दोनों ही कैटेगरी में काफी व्हीकल्स लॉन्च होंगे। दोनों सेगमेंट में से किस सेगमेंट की कार लेना चाहेंगे आप? कमेंट बॉक्स में हमें जरूर बताएं।
पिछले कुछ सालों में इंडियन ऑटोमोटिव इंडस्ट्री में मारुति ग्रैंड विटारा और टोयोटा इनोवा हाइक्रॉस स्ट्रॉन्ग हाइब्रिड व्हीकल्स की काफी डिमांड बढ़ी है। इंडीपेंडेंट डेटा रिसर्च और एनालिसिस करने वाली संस्था क्रिसिल (क्रेडिट रेटिंग इंफॉर्मेशन सर्विसेज ऑफ इंडिया लिमिटेड मार्केट इंटेलिजेंस एंड एनालिटिक्स) का कहना है कि आने वाले समय में स्ट्रॉन्ग हाइब्रिड व्हीकल्स का मार्केट शेयर काफी बढ़ने वाला है।
संस्था के डेटा के अनुसार 2024 के फाइनेंशियल ईयर में स्ट्रॉन्ग हाइब्रिड कारों का मार्केट शेयर 2.2 प्रतिशत है। वहीं 2029 तक इनका मार्केट शेयर 13 से 16 प्रतिशत के बीच हो जाएगा।
क्रिसिल के मुताबिक फाइनेंशियल ईयर 2024 में इलेक्ट्रिक कारों का मार्केट शेयर 2.3 प्रतिशत है जो कि 2029 तक 20 प्रतिशत हो सकता है। अब प्राइवेट कस्टमर्स को इलेक्ट्रिक व्हीकल्स की खरीद पर कोई इंसेटिव नहीं दिया जा रहा है मगर हाइब्रिड व्हीकल्स के मुकाबले इलेक्ट्रिक व्हीकल्स को इंटरनेशनल मार्केट में ज्यादा सपोर्ट मिल रहा है। मगर इलेक्ट्रिक व्हीकल्स के मुकाबले हाइब्रिड व्हीकल्स को मिलने वाली अहमियत के कुछ कारण है जो इस प्रकार से है:
कीमत
पेट्रोल/डीजल इंजन वाली कारों के मुकाबले इलेक्ट्रिक व्हीकल्स की कीमत ज्यादा होती है जबकि हाइब्रिड व्हीकल्स के बीच का प्राइस गैप उतना नहीं होता है। ऐसे में इलेक्ट्रिक व्हीकल्स की ज्यादा कीमत तब तक रिकवर नहीं हो सकती जब तक कि आप उनका ज्यादा से ज्यादा किलोमीटर तक इस्तेमाल नहीं करते हैं। इसके अलावा पेट्रोल/डीजल कारों के मुकाबले स्ट्रॉन्ग हाइब्रिड कारें ज्यादा महंगी नहीं होती है जिनकी ज्यादा कीमत आसानी से रिकवर की जा सकती है।
मेंटेन करने में आसान
पेट्रोल/डीजल कार से इलेक्ट्रिक कार पर आना ना सिर्फ महंगा साबित होता है बल्कि इन्हें अपनाना भी उतना आसान नहीं है। इलेक्ट्रिक व्हीकल्स लेने के बाद आपको चार्जिंग स्टेशंस जैसे इंफ्रास्ट्रक्चर पर काफी निर्भर रहना पड़ता है जो अभी फिलहाल एक डेवलपमेंट स्टेज पर ही है और ये हर शहर में उपलब्ध भी नहीं है। इसके अलावा इलेक्ट्रिक व्हीकल्स लेने वाले लोगों को रेंज की भी चिंता रहती है।
चूंकि भारत में स्ट्रॉन्ग हाइब्रिड कारों को चार्जिंग स्टेशंस की जरूरत नहीं है और इनमें पेट्रोल इंजन से ही इलेक्ट्रिक पावर जनरेट हो जाती है इसलिए ये आईसीई मॉडल्स जितने ही सुविधाजनक होते हैं। ऐसे में स्ट्रॉन्ग हाइब्रिड व्हीकल्स भी केवल पेट्रोल पंप पर ही निर्भर रहते हैं जिससे लंबे सफर के दौरान आपको कोई चिंता नहीं करनी पड़ती है।
और भी स्ट्रॉन्ग हाइब्रिड कारें होंगी लॉन्च
इलेक्ट्रिक कारों के लिए एक बेहतर भविष्य तैयार करना अभी दूर की कौड़ी साबित हो रहा है मगर आने वाले समय में देश में और ज्यादा स्ट्रॉन्ग हाइब्रिड कारें लॉन्च होंगी।
हुंडई,किआ,फोक्सवैगन और एमजी जैसे दूसरे ग्लोबल ब्रांड्स आने वाले सालों में स्ट्रॉन्ग हाइब्रिड सेगमेंट में एंट्री लेंगे जो अलग अलग सेगमेंट में अलग अलग प्राइस रेंज की कारें उतारेंगे। इसके अलावा बीएमडब्ल्यू एक्सएम जैसी और भी प्लग इन हाइब्रिड कारें भी बाजार में लॉन्च होंगी।
टाटा और महिंद्रा अपने पोर्टफोलियो में ज्यादा से ज्यादा इलेक्ट्रिक कारें शामिल करने की तैयारी कर रहे हैं जो शायद ही स्ट्रॉन्ग हाइब्रिड सेगमेंट में एंट्री लेंगे।
आने वाले सालों में स्ट्रॉन्ग हाइब्रिड और इलेक्ट्रिक व्हीकल्स के लिए काफी रोचक होंगे और दोनों ही कैटेगरी में काफी व्हीकल्स लॉन्च होंगे। दोनों सेगमेंट में से किस सेगमेंट की कार लेना चाहेंगे आप? कमेंट बॉक्स में हमें जरूर बताएं।
पिछले कुछ सालों में इंडियन ऑटोमोटिव इंडस्ट्री में मारुति ग्रैंड विटारा और टोयोटा इनोवा हाइक्रॉस स्ट्रॉन्ग हाइब्रिड व्हीकल्स की काफी डिमांड बढ़ी है। इंडीपेंडेंट डेटा रिसर्च और एनालिसिस करने वाली संस्था क्रिसिल (क्रेडिट रेटिंग इंफॉर्मेशन सर्विसेज ऑफ इंडिया लिमिटेड मार्केट इंटेलिजेंस एंड एनालिटिक्स) का कहना है कि आने वाले समय में स्ट्रॉन्ग हाइब्रिड व्हीकल्स का मार्केट शेयर काफी बढ़ने वाला है।
संस्था के डेटा के अनुसार 2024 के फाइनेंशियल ईयर में स्ट्रॉन्ग हाइब्रिड कारों का मार्केट शेयर 2.2 प्रतिशत है। वहीं 2029 तक इनका मार्केट शेयर 13 से 16 प्रतिशत के बीच हो जाएगा।
क्रिसिल के मुताबिक फाइनेंशियल ईयर 2024 में इलेक्ट्रिक कारों का मार्केट शेयर 2.3 प्रतिशत है जो कि 2029 तक 20 प्रतिशत हो सकता है। अब प्राइवेट कस्टमर्स को इलेक्ट्रिक व्हीकल्स की खरीद पर कोई इंसेटिव नहीं दिया जा रहा है मगर हाइब्रिड व्हीकल्स के मुकाबले इलेक्ट्रिक व्हीकल्स को इंटरनेशनल मार्केट में ज्यादा सपोर्ट मिल रहा है। मगर इलेक्ट्रिक व्हीकल्स के मुकाबले हाइब्रिड व्हीकल्स को मिलने वाली अहमियत के कुछ कारण है जो इस प्रकार से है:
कीमत
पेट्रोल/डीजल इंजन वाली कारों के मुकाबले इलेक्ट्रिक व्हीकल्स की कीमत ज्यादा होती है जबकि हाइब्रिड व्हीकल्स के बीच का प्राइस गैप उतना नहीं होता है। ऐसे में इलेक्ट्रिक व्हीकल्स की ज्यादा कीमत तब तक रिकवर नहीं हो सकती जब तक कि आप उनका ज्यादा से ज्यादा किलोमीटर तक इस्तेमाल नहीं करते हैं। इसके अलावा पेट्रोल/डीजल कारों के मुकाबले स्ट्रॉन्ग हाइब्रिड कारें ज्यादा महंगी नहीं होती है जिनकी ज्यादा कीमत आसानी से रिकवर की जा सकती है।
मेंटेन करने में आसान
पेट्रोल/डीजल कार से इलेक्ट्रिक कार पर आना ना सिर्फ महंगा साबित होता है बल्कि इन्हें अपनाना भी उतना आसान नहीं है। इलेक्ट्रिक व्हीकल्स लेने के बाद आपको चार्जिंग स्टेशंस जैसे इंफ्रास्ट्रक्चर पर काफी निर्भर रहना पड़ता है जो अभी फिलहाल एक डेवलपमेंट स्टेज पर ही है और ये हर शहर में उपलब्ध भी नहीं है। इसके अलावा इलेक्ट्रिक व्हीकल्स लेने वाले लोगों को रेंज की भी चिंता रहती है।
चूंकि भारत में स्ट्रॉन्ग हाइब्रिड कारों को चार्जिंग स्टेशंस की जरूरत नहीं है और इनमें पेट्रोल इंजन से ही इलेक्ट्रिक पावर जनरेट हो जाती है इसलिए ये आईसीई मॉडल्स जितने ही सुविधाजनक होते हैं। ऐसे में स्ट्रॉन्ग हाइब्रिड व्हीकल्स भी केवल पेट्रोल पंप पर ही निर्भर रहते हैं जिससे लंबे सफर के दौरान आपको कोई चिंता नहीं करनी पड़ती है।
और भी स्ट्रॉन्ग हाइब्रिड कारें होंगी लॉन्च
इलेक्ट्रिक कारों के लिए एक बेहतर भविष्य तैयार करना अभी दूर की कौड़ी साबित हो रहा है मगर आने वाले समय में देश में और ज्यादा स्ट्रॉन्ग हाइब्रिड कारें लॉन्च होंगी।
हुंडई,किआ,फोक्सवैगन और एमजी जैसे दूसरे ग्लोबल ब्रांड्स आने वाले सालों में स्ट्रॉन्ग हाइब्रिड सेगमेंट में एंट्री लेंगे जो अलग अलग सेगमेंट में अलग अलग प्राइस रेंज की कारें उतारेंगे। इसके अलावा बीएमडब्ल्यू एक्सएम जैसी और भी प्लग इन हाइब्रिड कारें भी बाजार में लॉन्च होंगी।
टाटा और महिंद्रा अपने पोर्टफोलियो में ज्यादा से ज्यादा इलेक्ट्रिक कारें शामिल करने की तैयारी कर रहे हैं जो शायद ही स्ट्रॉन्ग हाइब्रिड सेगमेंट में एंट्री लेंगे।
आने वाले सालों में स्ट्रॉन्ग हाइब्रिड और इलेक्ट्रिक व्हीकल्स के लिए काफी रोचक होंगे और दोनों ही कैटेगरी में काफी व्हीकल्स लॉन्च होंगे। दोनों सेगमेंट में से किस सेगमेंट की कार लेना चाहेंगे आप? कमेंट बॉक्स में हमें जरूर बताएं।