क्या भारत इलेक्ट्रिक वाहनों को अपनाने के लिए तैयार है? जानिये यहां

संशोधित: मार्च 20, 2019 02:46 pm | nikhil

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Opinion: India’s Electric Vehicle Challenge

भारत दुनिया का सबसे तेज़ी से बढ़ता ऑटोमोबाइल बाज़ार है। यहां हर साल करीब 4 मिलियन से अधिक पैसेंजर कारों की बिक्री होती है। परन्तु जितने अधिक वाहन उतनी ही अधिक उनसे जुडी समस्याएं भी है। कौन-सी कार ख़रीदे कौन-सी नहीं, ये तो हमेशा से मुद्दा था ही, परन्तु अब कुछ ऐसी समस्याएँ देश के सामने है जिससे कार खरीदना अब और भी कन्फयूज़न भरा हो गया है। जिनमें वायु प्रदुषण व बढ़ते ईंधनों के दाम सबसे आगे हैं। मौजूदा पर्यावरण को देखते हुए, डीज़ल इंजनों के 2020 तक बंद हो जाने व इलेक्ट्रिक वाहन नए मुख्य आधार बनेंगे जैसी कई अफवाहें भी सामनें आयीं।  

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ख़ैर, यह तो हम निश्चित रूप से कह सकते है कि, पेट्रोल व डीज़ल गाड़ियों का अंत इतना जल्दी नहीं आएगा। हालांकि, अपकमिंग भारत स्टेज-6 उत्सर्जन मानक इनकी कीमतों में वृद्धि जरूर कर देंगे। इलेक्ट्रिक वाहनों का इस समय देश में अवसर बहुत अच्छा है, परन्तु इन्हें आम ग्राहकों तक पहुंचने में अब भी समय लगेगा। क्यूंकि इनसे जुडी कई कठिनाइयाँ सामने है। क्या है ये कठिनाइयाँ ? जानेंगे यहां -

बिजली उत्पादन व वितरण 

देश के अधिकांश हिस्सों में बिजली से जुडी कितनी समस्याएं है, यह आपसे छुपी नहीं है।बिजली आपूर्ति के मुद्दों को खोजने के लिए आपको ग्रामीण भारत में प्रवेश करने की जरूरत नहीं है। बस मुंबई जैसे टायर -1 शहर के बाहरी इलाके में जाएं और आपको पता चलेगा कि "बिजली कटौती" एक दैनिक समस्या है। यह आधे घंटे से 4 घंटे या कुछ इलाको में उससे भी अधिक है। ऐसे में इलेक्ट्रिक वाहनों को चार्ज करना भी अपने आप में कड़ी चुनौती है। इसके अतिरिक्त, असंगत बिजली की आपूर्ति और वोल्टेज में बढ़त, बैटरी पैक सहित महंगे हार्डवेयर को गंभीर रूप से नुकसान पहुंचा सकती है। हालांकि, कई प्रीमियम कारों में फ़ास्ट चार्जिंग फीचर मिलता है। परन्तु यह एक महंगी तकनीक है व बजट सेगमेंट कारों में फिट नहीं बैठती। चूँकि, देश में कार ग्राहकों का अधिकांश हिस्सा 10 लाख के भीतर समाया हुआ है। अतः निर्माताओं को ऐसी इलेक्ट्रिक कारें विकसित करने की आवश्यकता है, जो मूल्य और उपयोग दोनों मामलों में किफ़ायती हो। 

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हालांकि, इसे बड़े पैमाने पर बनाकर इस तकनीक को सस्ती बनाया जा सकता है। लेकिन यह इलेक्ट्रिक वाहनों को प्रोत्साहन मिलने पर ही संभव है। 

इलेक्ट्रिक वाहनों का प्रोत्साहन 

इलेक्ट्रिक वाहनों को सस्ता बनाने के लिए इसका सभी तक पहुंचना जरुरी है। जिस हेतु ग्राहकों को इलेक्ट्रिक वाहन खरीदने के लिए प्रेरित किया जाना चाहिए। जो निर्माताओं को उस मांग को पूरा करने के लिए प्रोत्साहित करेगा। यह केवल तभी संभव होगा जब सरकार ईवी की नीतियों में बदलाव कर इसे और अधिक आकर्षक पैकेज बनाये।  

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उदाहरण के तौर पर, नॉर्वे विश्व के सबसे तेजी से बढ़ते इलेक्ट्रिक वाहन बाजारों में से एक है, क्योंकि नॉर्वे सरकार ईवी खरीदारों के लिए विशेष लाभ (कर कटौती, टोल छूट, पंजीकरण शुल्क छूट, मुफ्त पार्किंग इत्यादि) प्रदान करती है। इसके परिणामस्वरूप महत्वपूर्ण लागत बचत होती है, जो बदले में लोगों को ईवी खरीदने के लिए प्रेरित करता है। 

वर्तमान में, इलेक्ट्रिक कारों पर 12% टैक्स लगाया जा रहा है। जो पेट्रोल, डीज़ल और हाइब्रिड वाहनों पर लगने वाले टैक्स (28% जीएसटी+ सेस) से बेहद कम है। यह एक अच्छा कदम है, परन्तु ग्राहकों पर उतना अधिक प्रभाव अब भी नहीं डाल पाया है। हालांकि सरकार ने 2030 तक सभी पारम्परिक वाहनों के स्थान पर इलेक्ट्रिक वाहनों को अपनाने की बात कही थीं, परन्तु अब तक इस पर कोई नीति नहीं बनाई गयी है। जिसके कारण निर्माताओं ने बड़े पैमाने पर इलेक्ट्रिक कारों के विकास और निर्माण के लिए आवश्यक निवेश की घोषणा नहीं की है। वहीं, इम्पोर्ट ड्यूटी में किसी प्रकार की छूट न होने के कारण इन्हें बाहरी देश से आयत भी नहीं किया जा सकता। अन्यथा इनकी कीमत, वास्तविक कीमत से दोगुना हो जाएगी।  

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बैटरी सप्लाई 

इलेक्ट्रिक वाहनों में सबसे अधिक लागत उसकी बैटरी पैक की होती है। वर्तमान में इन्हें विदेशी बाज़ारों से आयत किया जा रहा है। इस स्थिति में अंतर्राष्ट्रीय बाजार में किसी प्रकार का तनाव, हमारे बाजार को भी प्रभावित कर सकता है।जैसा कि, पेट्रोल और डीजल के मामले में देखा जा रहा है। ऐसे में ईवी बैटरियों का उत्पादन भारत में ही करना होगा। ताकि ईवी को सस्ता बनाया जा सके। साथ ही, भारतीय मौसम की स्थिति से निपटने के लिए इनका बड़े पैमाने पर परीक्षण भी आवश्यक है। 

बता दें, सुजुकी ने गुजरात में लिथियम आयन बैटरी बनाने के लिए तोशिबा और डेन्सो के साथ करार किया है। उम्मीद है, इससे अन्य कंपनियां भी प्रभावित हो कर भारत में इनका उत्पादन प्रारम्भ करेगी। 

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 डीलर्स की अरुचि 

यह एक बेहद पेचीदा स्तिथि है, जिसे कम ही लोग जानते होंगे। ज़्यादातर डीलर इलेक्ट्रिक वाहनों की बिक्री से दूर भागते है। जो निर्माताओं के लिए बड़ी चुनौती बना हुआ है। क्योंकि डीलर को कार बेचने में उतना अधिक मुनाफा नहीं होता है, जितना की एक्सेसरीज,इंश्योरेन्स, सर्विस खर्च आदि से होता है। यहीं से समस्या उत्पन्न होती है, क्योंकि इलेक्ट्रिक कारों का डिजाइन सरल होता हैं और परंपरागत कार की तुलना में इनका मेंटेनेंस भी सस्ता होता है। इसलिए डीलरों का लाभ कम हो जाता है।

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इंफ्रास्ट्रक्चर 

इलेक्ट्रिक वाहनों के उपयोग को बढ़ावा देने के लिए, उसके अनुकूल इंफ्रास्ट्रक्चर डिवेलप करने की आवश्यकता है। जिसकी भारत में खासी कमी है। यहां तक कि प्रमुख शहरों में भी ई.वी. चार्जिंग हेतु कोई सुविधाएं उपलब्ध नहीं है। या उपलब्ध है भी, तो बेहद कम संख्या में है। अतः जब तक पर्याप्त मात्रा में चार्जिंग स्टेशनों का विकास नहीं होगा, तब तक इसकी सेल्स को गति नहीं मिलेगी।दुनिया अभी भी इलेक्ट्रिक वाहनों की लागत और लाभ का विश्लेषण कर रही है। ऐसे में ईवी का सपना तभी साकार हो सकता है, जब सरकार, निर्माता और खरीदार एक साथ इसे बाज़ार अनुकूल बनाने के लिए काम करें। 

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हमें बताएं कि आप इलेक्ट्रिक वाहनों और इनसे जुडी समस्याओं के समाधान के बारे में क्या सोचते हैं। कमेंट सेक्शन में जरूर लिखें। 

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