नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने सरकार से व्हीकल स्क्रैपेज पॉलिसी की ओर जल्द से जल्द ध्यान देने की उठाई मांग
संशोधित: जुलाई 28, 2020 09:14 pm | भानु
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सरकार को 15 साल से पुराने वाहनों को लेकर स्क्रैपेज पॉलिसी की घोषणा किए लगभग सालभर बीत चुका है। तब से लेकर काफी कुछ अपडेशन के बाद भी सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने वाहनों को स्क्रैप करने के लिए किसी भी अंतिम दिशा-निर्देश की घोषणा नहीं की है। इस विलंब को लेकर अब नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने सरकार के समक्ष सवाल उठाने शुरू कर दिए हैं।
ट्रिब्यूनल ने व्हीकल स्क्रैपिंग सेंटर्स के सेटअप, ऑथोराइजेशन और ऑपरेशन के बारे में ऑनलाइन उपलब्ध ड्राफ्ट गाइडलाइन से कुछ बिंदु लिए और उसी पर आधारित प्रश्न सरकार से पूछे। लेकिन सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय को अभी भी मोटर वाहन अधिनियम पोस्ट कैबिनेट की मंजूरी के तहत एक ऑफिशियल नोटिफिकेशन जारी करने की आवश्यकता है।
ग्रीन पैनल ने कहा कि उसे मंत्रालय की ओर से अपने द्वारा किए गए सवालों के प्रति असंतोषजनक और कम संवेदनशील प्रतिक्रिया मिली।
एनजीटी के अध्यक्ष जस्टिस आदर्श कुमार गोयल की अध्यक्षता वाली बेंच ने ऑथोराइज्ड रीसाक्लिंग सेंटर्स की स्थापना के लिए एक उचित तंत्र की तत्काल आवश्यकता को दोहराया जो पर्यावरणीय मानदंडों का पालन करते हैं। एनजीटी पहले ही 21 मिलियन 'एंड ऑफ लाइफ' व्हीकल का ब्यौरा सरकार को दे चुकी है जो इस समस्या का सबसे बड़ा कारण बन सकते हैं।
ट्रिब्यूनल की बेंच ने कहा कि "आवश्यक अधिसूचना को जारी करने में समय लगने का कारण बताने के लिए सरकार के पास कोई ठोस विवरण नहीं है। ऐसे में हमने अपेक्षित अधिसूचना जारी करने के लिए सरकार को दो महीने का और समय दिया है।"
सरकार व्हीकल स्क्रैपेज पॉलिसी और उसके दिशा-निर्देशों की घोषणा करने में समय लगा रही है, वहीं कई कार मैन्यूफैक्चरर्स इस मौके का फायदा उठाने की तलाश में हैं। इसी को देखते हुए टोयोटा और मारुति ने पार्टनरशिप में 2021 तक स्क्रैपेज प्लांट लगाने की घोषणा की है।