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25 साल से माइलेज़ के गलत आंकड़े दे रही थी मित्सुबिशी

प्रकाशित: अप्रैल 27, 2016 04:17 pm । arun

जापानी कार कंपनी मित्सुबिशी मोटर्स कॉर्प ने कहा है कि उसके कुछ मॉडल्स के माइलेज परीक्षण को लेकर साल 1991 यानी 25 साल से झूठे दावे किए जाते रहे हैं। मित्सुबिशी ने कहा है कि एक आंतरिक जांच के बाद कंपनी इस निष्कर्ष पर पहुंची है। कंपनी ने पिछले हफ्ते माना था कि उसने अपनी कुछ कारों के माइलेज के बारे में जानबूझकर झूठ बोला था।

कंपनी के मुताबिक माइलेज़ टेस्ट का डाटा अमेरिकी मानदंडों के मुताबिक तैयार किया गया। अमेरिका में शहरी सफर के बजाए हाइवे पर कारों के माइलेज़ को रिकॉर्ड किया जाता है। जापान ने साल 1991 में अपने नियमों में बदलाव कर दिया और यहां शहरी ट्रैफिक में कार कितना माइलेज़ देती है इस को पैमाना बनाया गया। इस पैमाने को अपनाने में मित्सुबिशी असफल हो गई और तब से ही वह जापान की ट्रांसपोर्ट मिनिस्ट्री को गलत डाटा देती आ रही है।

कंपनी ने मामले की जांच के लिए एक इंटरनल कमेटी बनाई है। यह कमेटी तीन महीने में अपनी रिपोर्ट सौंपेगी। कंपनी ने गलत माइलेज बताकर जापान में 6 लाख से ज्यादा कारें बेची थीं। मित्सुबिशी मोटर्स ने इन 6 लाख गाड़ियों में से 4 लाख 70 हजार गाड़ियां निसान कंपनी के लिए बनाई थीं। निसान ने ही यह गड़बड़ी पकड़ी थी।

इस मामले के सामने आने के बाद से मित्सुबिशी मोटर्स अपनी आधी मार्केट वैल्यू (25,900 करोड़ रूपए) गवां चुकी है। माना जा रहा है कि कर्मचारियों पर अंदरूनी दबाव माइलेज़ के आंकड़ों में धांधली की वजह रही है। मित्सुबिशी ने दो सालों में माइलेज़ का लक्ष्य 26.4 किलोमीटर प्रति लीटर से बढ़ाकर 29.2 किलोमीटर प्रति लीटर कर दिया था। माइलेज़ के गलत आंकड़े देना जापान के फ्यूल एफिशिएंसी कानून का उल्लंघन है। यहां ग्राहकों को ज्यादा माइलेज़ देने वाली कारें खरीदने पर टैक्स में छूट मिलती है।

हालांकि अभी यह साफ नहीं है कि मित्सुबिशी पर जापानी सरकार या प्रशासन क्या कार्रवाई करेगा। इसके अलावा यह भी साफ नहीं है कि इस धांधली से प्रभावित कार मालिकों के लिए कंपनी क्या कदम उठाएगी।

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