लैब में नहीं असल परिस्थितियों में होगा नए वाहनों का पॉल्यूशन टेस्ट
फॉक्सवेगन की डीज़ल स्कैंडल और कारों से होने वाले प्रदूषण जैसे मुद्दों पर गंभीर रुख अपनाते हुए केंद्र सरकार नए वाहनों के उत्सर्जन परीक्षण (एमिशन टेस्ट) के तौर-तरीकों में बदलाव करने जा रही है। काफी कड़े भारत स्टेज़-6 उत्सर्जन मानकों को प्रभावी तरीके से लागू करने के लिए यह प्रक्रिया अपनाई जाएगी।
नई योजना के तहत अप्रैल 2020 से लैब के बजाए सड़कों पर उतरने वाले वाहनों का असल परिस्थितियों में उत्सर्जन टेस्ट होगा। अभी देश में इस तरह के टेस्ट का नियम नहीं है। मौजूदा प्रक्रिया के तहत वाहनों को सड़क पर आने से पहले लैबोरेट्री में टेस्ट किया जाता है। इस व्यवस्था की सबसे बड़ी खामी ये है कि असल परिस्थियों में वाहन लैब के नतीजों के मुकाबले ज्यादा उत्सर्जन करते हैं। ऐसी स्थिति में कंपनियों की इस लापरवाही या धोखाधड़ी पर सरकार कार्रवाई नहीं कर सकती है, सरकार सिर्फ उन पर वाहनों को रिकॉल कर सुधारने भर का दबाव ही बना सकती है। नई प्रक्रिया में वाहनों से होने वाले उत्सर्जन की ज्यादा साफ तस्वीर नज़र आएगी और कंपनियां ऐसे वाहन बाजार में नहीं बेच सकेंगी।
इस प्रावधान के अलावा भारत स्टेज़-6 में वाहनों की उम्र और फिटनेस टेस्ट का भी प्रावधान है। इस में पहले पांच साल या फिर 1.60 लाख किलोमीटर के बाद कार की फिटनेस जांच होगी।