कारों में मिलने वाले ये सात कॉमन सेफ्टी फीचर्स कैसे काम करते हैं, जानिए यहां
प्रकाशित: नवंबर 10, 2021 02:36 pm । स्तुति
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आजकल मास मार्केट कार कंपनियों का फोकस कारों में सेफ्टी फीचर्स शामिल करने पर ज्यादा है। अब आपको 10 लाख रुपये से कम कीमत वाली कारों में भी हाई-एंड सेफ्टी फीचर्स मिल जाएंगे। यहां हमनें कारों में दिए जाने वाले कॉमन सेफ्टी फीचर्स की लिस्ट साझा की है और जानेंगे कि यह सभी फीचर्स कैसे रखते हैं आपको सुरक्षित:-
इसके बारे में जानने से पहले यह जान लें कि पैसिव और एक्टिव दो तरह के सेफ्टी फीचर्स होते हैं। पैसिव सेफ्टी फीचर्स एक्सीडेंट के दौरान एक्टिव होकर हमें सुरक्षित रखते हैं, वहीं एक्टिव सेफ्टी फीचर्स हमें एक्सीडेंट के दौरान बचाते हैं।
सीट बेल्ट
सीट बेल्ट कारों में दिया जाने वाला सबसे पुराना सेफ्टी फीचर है। जब वोल्वो ने पैसेंजर कार के लिए थ्री पॉइंट सीट बेल्ट इज़ाद किया था तब इस फीचर को उन्होंने पेटेंट नहीं करवाया था क्योंकि उन्हें लगा था कि ये सब कार कंपनियों को अपनी कारों में दिया जाना चाहिए क्योंकि यह लाइफ सेविंग डिवाइस के तौर पर काम करता है।
सीट बेल्ट फीचर एक्सीडेंट के दौरान आपको अपनी सीट पर सुरक्षित रखता है। जब आप अपनी सीट बेल्ट को खींच कर लॉक कर देते हैं तो यह आपकी बॉडी को आगे की तरफ बढ़ने से रोकता है और हार्ड ब्रेकिंग की स्थिति में भी आपको अपनी जगह पर ही रखता है।
वहीं, एक्सीडेंट की स्थिति में सीट बेल्ट प्रीटेंशनर और लोड लिमिटर को एक्टिवेट कर देता है। यह सीटबेल्ट में दी जाने वाली एक स्मॉल डिवाइस होती है जो चेस्ट और पेट के निचले हिस्से के आसपास सीटबेल्ट को टाइट कर देती है। सीट बेल्ट सीट पर बैठे पैसेंजर को सुरक्षित रखती है और एक इंच भी हिलने नहीं देती है। यह सिस्टम तब ही एक्टिव होता है जब गाड़ी में एयरबैग्स दिए गए होते हैं।
एयरबैग्स
एयरबैग एक व्हीकल सेफ्टी डिवाइस है जो एक्सीडेंट की स्थिति में अपने आप खुल जाते हैं जिससे गाड़ी में बैठे पैसेंजर्स को एक्सीडेंट का इम्पेक्ट कम होता है। एयरबैग यूनिट के अंदर की तरफ एक स्मॉल एक्सप्लोज़न दिया गया होता है जिसमें गैस भरी होती है। सभी कारों में दो फ्रंट एयरबैग्स (एक ड्राइवर के लिए और एक पैसेंजर के लिए) का होना अनिवार्य हो गया है। इसके अलावा कारों में सीटों पर साइड एयरबैग्स और ड्राइवर के लिए कर्टेन एयरबैग्स और नी एयरबैग्स भी दिए जाते हैं।
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सीट बेल्ट आपको आपकी सीट तक रखते हैं, वहीं एयरबैग्स स्टीयरिंग व्हील, डैशबोर्ड और विंडशील्ड के बीच में एक कुशन की तरह काम करते हैं। यदि आप सीट बेल्ट नहीं पहनते हैं और आपकी कार में एयरबैग्स मौजूद होते हैं तो ऐसे में एयरबैग्स ओपन होने पर आपको बड़ी चोट भी लग सकती है।
बहुत से लोग यह मानते हैं कि एयरबैग दुर्घटना से बचाते हैं। जहां एयरबैग आपके दुर्घटना के प्रभाव को कम करने में मदद करते हैं, वहीं अगर इसे सही तरीके से इस्तेमाल न किया जाए तो वे घातक भी हो सकते हैं।
स्टीयरिंग व्हील, डैशबोर्ड या फिर कार के दूसरे हिस्सों पर अकसर एयरबैग और एसआरएस एयरबैग लिखा गया होता है। यह एक सप्लीमेंटल रिस्ट्रेन्ट सिस्टम है जो आपको सुरक्षित रखने के लिए सीट बेल्ट के साथ काम करता है।
बहुत से लोगों का मानना है कि यदि सीट बेल्ट ना पहनी हो तो एयरबैग्स खुलते नहीं है, लेकिन ऐसा कार पर निर्भर करता है। एयरबैग सिस्टम और सीट बेल्ट कार के सेफ्टी मॉड्यूल का हिस्सा होते हैं और यदि सीट बेल्ट ना लगाईं गई हो तो हो सकता है कि एयरबैग सही तरह से काम ना करें। वहीं, कई कारों में एयरबैग्स सीट बेल्ट के बिना भी ओपन हो सकते हैं।
फ्रंट पैसेंजर्स को सीटबेल्ट पहनना बेहद अनिवार्य हो गया है। ऐसे में हम आपको भी अपने सीटबेल्ट को लगाने की सलाह देंगे क्योंकि यह एयरबैग्स के साथ काम करता है जिससे सेफ्टी भी बरकरार रहती है।
ईबीडी के साथ एबीएस
एंटीलॉक ब्रेकिंग सिस्टम (एबीएस) और इलेक्ट्रॉनिक ब्रेक फ़ोर्स डिस्ट्रीब्यूशन (ईबीडी) को अधिकतर कारों के ब्रोशर में क्लब करके लिखा जाता है। 2019 से ही भारत आने वाली नई कारों में एबीएस का देना अनिवार्य हो गया है। यह एक एक्टिव सेफ्टी सिस्टम है जो ब्रेकिंग के दौरान व्हीकल के कंट्रोल को मेंटेन रखने में मदद करता है।
एबीएस के बिना कार का व्हील रोटेट होना बंद हो सकता है या फिर हैवी ब्रेकिंग की स्थिति में 'लॉक अप' भी हो सकता है जिससे बिना ग्रिप वाली रोड सरफेस पर गाड़ी स्किड होने का खतरा बढ़ जाता है। एबीएस सिस्टम में हर व्हील पर सेंसर लगा होता है जो यह पता लगाता है कि हेवी ब्रेकिंग के दौरान व्हील कब लॉक होगा। कार में दिया गया एबीएस मॉड्यूल ब्रेक प्रेशर को रिलीज़ करता है और उसे फिर से एंगेज करता है। यह प्रक्रिया एक सेकंड के अंदर-अंदर सौ बार हो सकती है। इसके कारण ड्राइवर स्टीयरिंग पर कंट्रोल बनाए रखता है और कार को दुर्घटना से बचा पाता है। एबीएस फीचर टर्न लेते समय या फिर गीली सड़कों पर ब्रेक लगाने में भी मदद करता है क्योंकि यह उस ब्रेकिंग फ़ोर्स को बढ़ा देता है।
ईबीडी फीचर ब्रेकिंग के दौरान बेहतर व्हीकल कंट्रोल बनाये रखने के लिए एबीएस के साथ सहायक भूमिका निभाता है। यह सिस्टम अलग-अलग पहियों पर वेरिएबल ब्रेकिंग फोर्स लगाने में सक्षम होता है। उदाहरण के तौर पर यदि आप कॉर्नर पर ब्रेक लगाते हैं तो आउटसाइड व्हील्स की इनसाइड व्हील्स के मुकाबले ज्यादा अच्छी ग्रिप होगी और ईबीडी सिस्टम इन टायर पर ज्यादा अच्छा ब्रेकिंग फ़ोर्स भी भेजेगा।
ईएसपी
ईएसपी और इलेक्ट्रॉनिक स्टेबिलिटी प्रोग्राम कार में काम आने वाला सबसे महत्वपूर्ण फीचर है। इसे ईएससी, वीएसएम, वीएसए, वीडीसी और डीएससी के नाम से भी जाना जाता है। कार कंपनियां ईएसपी सिस्टम को अपनी कारों में अलग-अलग नाम देती हैं।
यदि ईएसपी सिस्टम यह डिटेक्ट कर लेता है कि आपका व्हीकल सही रास्ते पर ट्रेवल नहीं कर रहा है तो ऐसे में यह दो काम करता है, पहला यह मूविंग व्हील्स को मिल रही पावर काट देता है जिसे ट्रैक्शन कंट्रोल के रूप में भी जाना जाता है। ज्यादा पावर के साथ आने वाली कारें अपने टायर्स की ग्रिप को दूर कर सकती हैं और ट्रेक्शन कंट्रोल इसे रोकने में मदद करता है। यदि ट्रेक्शन कंट्रोल नहीं होता है तो ऐसे में टायर बेवजह स्पिन कर सकते हैं जिससे कार अपनी लाइन से दूसरे रस्ते पर जा सकती है। वहीं, दूसरी तरफ यह व्हीकल को ट्रेवल के डायरेक्शन में लाने के लिए अलग-अलग व्हील्स को ब्रेक कर सकता है।
ईएसपी सिस्टम में कई सारे सेंसर्स लगे होते हैं। यह व्हील स्पीड का पता लगाने के लिए एबीएस यूनिट से व्हील-स्पीड सेंसर का इस्तेमाल करता है, स्टीयरिंग व्हील सेंसर व्हीकल के डायरेक्शन का पता लगाता है। यह सेंसर कार के साइड-वे मूवमेंट के बारे में पता लगाता है जबकि सेंसर कॉर्नर पर लेटरल एसेलेरेशन को मांपता है। वहीं, इसका पिच सेंसर एसेलेरेशन और ब्रेकिंग के दौरान कार के बॉडी के मूवमेंट का पता लगाता है। यह सभी सेंसर्स डाटा की एक्यूरेसी को बढ़ाते हैं और ईएसपी सिस्टम को इमरजेंसी की स्थिति में सही निर्णय लेने में मदद करते हैं।
ईएसपी सिस्टम में रोल-ओवर मिटिगेशन सिस्टम भी शामिल हो सकता है। यह गाड़ी को पलटने से रोकता है जब गाड़ी का अधिकांश भार एक तरफ शिफ्ट हो जाता है।
हिल होल्ड कंट्रोल
हिल होल्ड कंट्रोल फीचर तब काम करता है जब गाड़ी रुकी होती है या फिर इंक्लाइंड सरफेस पर होती है या चलने वाली होती है। जैसे ही आप ब्रेक से पैर हटाते हैं और आगे बढ़ने के लिए स्पीड को बढ़ाते हैं, ग्रेविटी के कारण कार पीछे की तरफ लुढ़कने लगती है। ऐसे में हिल होल्ड कंट्रोल फीचर बेहद काम का साबित होता है, यह ब्रेक को कुछ समय के लिए होल्ड करके रखता है जब तक कि यह महसूस न हो जाए कि कार में पीछे की तरफ लुढ़कने की बजाए आगे की ओर बढ़ने के लिए पर्याप्त मोमेंटम है या नहीं। कार में यह फीचर हैंडब्रेक लगा कर क्लच छोड़ कर और इंजन स्पीड को बिल्ड करके मैनुअली भी ऑपरेट किया जा सकता है। यह फीचर नए ड्राइवर के लिए थोड़ा चुनौतीपूर्ण जरूर हो सकता है, लेकिन तब आसान हो जाता है जब कार में एचएचसी फीचर पहले से ही दिया गया हो।
हिल डिसेंट कंट्रोल
हिल डिसेंट कंट्रोल या एचडीसी ढ़लान में ड्राइविंग करते समय व्हीकल की गति को कंट्रोल में रखने में मदद करता है। यह फीचर ऑफ-रोड टेक्नोलॉजी के साथ आने वाले खासकर बड़े व्हीकल्स में पाया जाता है। यह फीचर अब छोटी कारों में मिलना भी शुरू हो गया है। इस फीचर का इस्तेमाल करने के लिए आपको एक अधिकतम स्पीड को सेट करना होता है और फिर व्हीकल ढ़लान में ड्राइविंग के दौरान उस स्पीड से आगे नहीं जाता है। इसके लिए आपको थ्रॉटल डालने या फिर ब्रेक इनपुट डालने की जरूरत भी नहीं पड़ती है क्योंकि यह ऑटोमेटिकली कंट्रोल हो जाता है। इसके लिए आपको सिर्फ स्टीयरिंग इनपुट डालना होता है जिससे गाड़ी सही डायरेक्शन में आगे बढ़ती रहे। यह फीचर लूज़ और स्टीप सरफेस की बजाए डाउनहिल पर काफी काम का साबित होता है।
रियर पार्किंग सेंसर्स
रियर पार्किंग सेंसर्स सभी कारों में अनिवार्य हो गया है। इसे कार के रियर बंपर पर माउंट किया जाता है और यह रिवर्स गियर चुने जाने पर अल्ट्रोसोनिक वेव को एमिट करता है। ये वेव ऑब्जेक्ट से बाउंस होती हैं और फिर डिवाइस पर वापस से आ जाती हैं जिससे वेव और ऑब्जेक्ट के बीच की दूरी का अनुमान लगाया जा सकता है। वैसे तो यह साउंड से कनेक्टेड होती है जो कार के स्पीकर से एमिट होता है और जब आप इसके पास जाते हैं तो ओब्स्टेकल का पता चल जाता है और साउंड का टोन भी सुधर जाता है। कई आफ्टरमार्केट एसेसरीज डिस्टेंस मीटर के साथ भी आती है जिससे व्हीकल और नज़दीकी ओब्स्टेकल के बीच की दूरी पता चलती है। यह सेंसर्स टाइट स्पेस में कार पार्क करते समय रिवर्स लेने में मदद करते हैं और कार के पीछे खड़े जानवर या फिर छोटे बच्चे के बारे में भी बताते हैं जिसका पता मिरर में नहीं चल पाता है। कई प्रीमियम कारों (खासकर बड़ी कारों) में फ्रंट पार्किंग सेंसर्स भी दिए जाते हैं। यह फीचर तब बेहद काम का साबित होता है जब आप कार का फ्रंट जज नहीं कर पाते हैं और फ्रंट में किसी भी ओब्स्टेकल को हिट नहीं करना चाहते हैं।
निष्कर्ष :
अब जब आप जान चुके हैं कि आपकी कार में ये सभी बेसिक सेफ्टी फीचर्स कैसे काम करते हैं तो हम अब आपसे आशा करते हैं कि आप इनका अच्छी तरह से उपयोग करने में सक्षम होंगे। उदाहरण के तौर पर एयरबैग्स और सीटबेल्ट को एक ही डिवाइस के तौर पर माना जाता है क्योंकि यह लाइफ की रक्षा करने में एकसाथ मदद करते हैं। ईएसपी फीचर कॉर्नरिंग के दौरान कार को स्टेबल रखने में मदद करता है। इसके अलावा एचएचसी, एचडीसी और पार्किंग सेंसर्स जैसे सेफ्टी फीचर्स कार के केबिन में चीज़ों को कम्फर्टेबल बनाते हैं। यदि कोई ऐसा सेफ्टी फीचर है जिसे आप इस लिस्ट में शामिल करना चाहते हैं तो हमें आप कमेंट सेक्शन में लिख कर बता सकते हैं।
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