आफ्टर मार्केट Vs फैक्ट्री फिटेड सीएनजी किट: जानिए दोनों में कितना है अंतर और कौन है बेस्ट
प्रकाशित: फरवरी 07, 2022 06:48 pm । भानु
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टाटा मोटर्स की ओर से टियागो और टिगॉर के सीएनजी मॉडल्स लॉन्च करने के बाद से इस सेगमेंट में एक नई जान आ गई है। हालांकि इस वक्त भी देश में केवल 10 सीएनजी कारों के ऑप्शंस ही मौजूद हैं। अब भी आपको एसयूवी,प्रीमियम हैचबैक और कॉम्पैक्ट सेडान में इस ईको फ्रेंडली फ्यूल ऑप्शन की चॉइस नहीं मिलेगी।
ऐसे में सवाल ये उठता है कि यदि आपके पास एसयूवी,प्रीमियम हैचबैक या फिर कॉम्पैक्ट सेडान है और आप एक माइलेज और इको फ्रेंडली फ्यूल का ऑप्शन ढूंढ रहे हैं तो इसके लिए आप क्या कर सकते हैं? ऐसे में जवाब आसान है या तो आप को बिना सीएनजी किट के ही रहना होगा या फिर आप बाजार से खरीदकर भी इसे अपनी कार में फिट करा सकते हैं। ऐसे में एक बड़ी बहस का मुद्दा यहां ये बन जाता है कि आखिर ऑफ्टर मार्केट किट अच्छा है या फिर फैक्ट्री फिटेड सीएनजी किट की चॉइस ही बेहतर रहेगी। इन तमाम सवालों के जवाब आपको मिलेंगे आगे:
दोनों में अंतर
सीएनजी किट पेट्रोल इंजन के साथ दिया जाता है। फैैक्ट्री फिटेड सीएनजी कारों के केस में डिजाइन वॉल्व सीट्स,सिलेंडर हेड माउंटिंग और रेडिएटर जैसे कंपोनेंट्स के रूप में इंजन को मॉडिफाय किया जाता है।
ऐसे जरूरी चीजों को बदलने के बाद एक फैक्ट्री फिटेड मॉडल में इंजन को सीएनजी किट के अनुसार ट्यून किया जाता है। इसमें पेट्रोल इंजन के हिसाब से थ्रॉटल रिस्पॉन्स और पावर आउटपुट को भी एडजस्ट करना होता है जो सीएनजी मोड पर ड्राइव करने के लिए डीट्यून्ड ही किया जाता है। इसके अलावा सस्पेंशन में भी बदलाव होते हैं ताकी वो 60 किलो के एक्सट्रा वजन को झेलने में सक्षम बन सके।
सीएनजी किट को फिट कर लेने के बाद मैन्युफैक्चरर्स इन कारों को माइलेज,परफॉर्मेंस और सबसे जरूरी फायर सेफ्टी के मोर्चे पर परखते हैं। इन सभी जरूरी टेस्ट को पास कर लेने के बाद मेटल प्लेट के रूप में इन्हें लाइसेंस दे दिया जाता है जो कि बोनट के नीचे या फिर सीएनजी फिलिंग कैप के नीचे इंस्टॉल की जाती है।
आफ्टर मार्केट और फैक्ट्री फिटेड सीएनजी कारों में काफी कम ही अंतर होते हैं। फैक्ट्री फिटेड मॉडल में फ्रंट और विंड स्क्रीन पर 'सीएनजी' लिखा होता है। आफ्टर मार्केट सीएनजी फिटेड कार में सीएनजी फिलिंग कैप को आमतौर पर बोनट के अंदर रखा जाता है। जबकि फैक्ट्री फिटेड मॉडल में ये पेट्रोल फिलर कैप के ही अंदर होती है। इसके अलावा फैक्ट्री फिटेड सीएनजी मॉडल में सीएनजी लाइट/इंडिकेटर का फीचर इंस्टरुमेंट क्लसटर में दिया जाता है।
आफ्टर मार्केट Vs फैक्ट्री फिटेड - खूबियां एवं खामियां
लोग अक्सर आफ्टर मार्केट या रेट्रो फिटेड सीएनजी किट का उपयोग अपनी पुरानी कारों में करते हैं। ऐसे में लोगों को एक प्रतिष्ठित और ऑथोराइज्ड जगह से ही ब्रांडेड सीएनजी किट लेना चाहिए।
कई सड़कों पर दौड़ने वाली कई सीएनजी कारों में सिक्वेंशियल किट्स लगाए जाते हैं जो फ्यूल इंजेक्टेड इंजन के अनुरूप होते हैं। एक सिक्वेंशियल सीएनजी किट में सीएनजी गैस के फ्लो और क्वांटिटी को कंट्रोल करने के लिए इलेक्ट्रॉनिक कंट्रोल मॉड्युल,सेंसर और गैस इंजेक्टर्स दिए जाते हैं। कार के स्ट्रक्चर और इंजीनियरिंग में कोई बदलाव नहीं किया जाता है। फैक्ट्री फिटेड कार के केस में पेट्रोल और सीएनजी दोनों ही के लिए प्री इंस्टॉल्ड ड्युअल ईसीएम दिया जाता है। फैक्ट्री फिटेड सीएनजी कारों को कई तरह के रास्तों और मौसम के अनुसार भी टेस्ट किया जाता है। 60 लीटर की कैपेसिटी वाले आफ्टर मार्केट सीएनजी किट की प्राइस 40,000 रुपये से लेकर 50,000 रुपये के बीच पड़ती है जो फैक्ट्री फिटेड की तुलना में ज्यादा अफोर्डेबल होता है। उदाहरण के तौर पर हुंडई,मारुति,टाटा के पेट्रोल मॉडल्स के मुकाबले इनकी कारों के सीएनजी मॉडल की कीमत 90,000 रुपये तक ज्यादा पड़ती है।
मॉडल |
पेट्रोल और सीएनजी मॉडल की कीमत में अंतर |
टियागो/टिगॉर |
90,000 रुपये |
ग्रैंड आई10 निओस सीएनजी |
92,000 रुपये से लेकर 1.08 लाख रुपये |
मारुति वैगन आर / सेलेरियो / एस-प्रेसो / अर्टिगा / ऑल्टो 800 |
95,000 रुपये |
अब हमनें आफ्टर मार्केट किट की खूबियों की बात तो कर ली मगर इनकी कुछ कमियां भी होती है। चूंकि सिक्वेंशियल किट सभी तरह के पेट्रोल मैनुअल कारों के लिए तो फिट होते हैं मगर इनकी इंजन की ट्यूनिंग इनके हिसाब से नहीं की जाती है। ये इंजन पूरी तरह से पेट्रोल के लिए डिजाइन होते हैं जिन्हें सीएनजी में कन्वर्ट कराया जा सकता है। जबकि फैक्ट्री फिटेड सीएनजी कार की मैन्युफैक्चरिंग सीएनजी सेटिंग्स के साथ की जाती है।
नतीजतन स्पार्क प्लग्स,एयर फिल्टर्स और रेडिएटर को बार बार चैक करने की जरूरत नहीं पड़ती है। तापमान के अनुसार सीएनजी गैस की तासीर ठंडी होती है जिसमें जलने में काफी ज्यादा गर्मी की जरूरत पड़ती है। नतीजतन फिर इससे रेडिएटर और ज्यादा गर्म हो जाता है।
यहां तक की सस्पेंशन सिस्टम को सीएनजी किट का एक्सट्रा वजन सहने के हिसाब से भी ट्यून नहीं किया जाता है जिससे स्प्रिंग्स कमजोर होने लगते हैं। आफ्टर मार्केट किट लगाने से कार की लाइफ साइकिल भी कम होने लगती है। 50,000 से 60,000 किलोमीटर ड्राइव कर लेने के बाद कई यूजर्स ने इंजन की परफॉर्मेंस गिरने के संबंध में शिकायतें भी दर्ज कराई हैं।
इसके अलावा यदि फिटमेंट ठीक ढंग से नहीं की जाती है तो भीषण आग लगने का खतरा भी बना रहता है। लूज फिटमेंट, ठीक ढंग से वायरिंग सेट ना होने और सिलेंडर पर भारी प्रेशर होने के चलते कई बार बड़े हादसे भी प्रकाश में आ चुके हैं।
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आप अपनी फैक्ट्री फिटेड सीएनजी कार को तो सर्विसिंग के लिए सेंटर पर लेकर जा सकते हैं। मगर आफ्टर मार्केट फिटमेंट के केस में सिलेंडरों की सर्विस अलग से होती है। इसके अलावा आफ्टर मार्केट किट लगाने के बाद गाड़ी का डॉक्यूमेंटेशन भी दोबारा से कराना पड़ता है। वहीं आफ्टर मार्केट सीएनजी किट लगाने के बाद कंपनी से मिलने वाली कार वॉरन्टी भी खत्म हो जाती है।
देश में और भी नई सीएनजी कारें होंगी लॉन्च
अब देश में काफी कार मैन्युफैक्चरर्स और कस्टमर्स सीएनजी की तरफ रुख कर रहे हैं। जिन लोगों को रोजाना कई किलोमीटर की दूरी कार से तय करनी होती है वो एक सीएनजी कार चाहते हैं। मारुति ने 2010 में अपनी एसएक्स,इको,वैगन आर,ऑल्टो और एस्टिलियो जैसी कारों में सीएनजी किट देकर इसे बढ़ावा दिया था। अभी मारुति के लाइनअप में मौजूद ऑल्टो,एस प्रेसो,वैगन आर,सेेलेरियो,इको और अर्टिगा में सीएनजी किट दिया जा रहा है। आने वाले समय में मारुति अपनी स्विफ्ट,बलेनो,डिजायर और विटारा ब्रेजा के सीएनजी वर्जन लेकर आएगी।
इसी तरह हुंडई और टाटा की भी देश में कुछ और नई सीएनजी कारें लाने की प्लानिंग है। टाटा की टियागो और टिगॉर देश की ऐसी पहली सीएनजी कारें है जो सीधे सीएनजी मोड पर शुरू की जा सकती हैं।
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अभी कुछ मेटो सिटीज और टियर -II शहरों में सीएनजी की उपलब्धता काफी सीमित है। दूसरी तरफ सरकार भी इस सेगमेंट को और बढ़ावा देने का प्रयास कर रही है। हाल ही में सरकार ने बीएस6 कारों में सीएनजी किट की रेट्रोफिटिंग को मंजूदी देने का फैसला किया है। अभी तक केवल बीएस4 कारों में ही सीएनजी किट लगाने की अनुमति थी।