कोरोना से जंग: निगेटिविटी के बीच गुड न्यूज़ का डोज़ (वॉल्यूम 2)
संशोधित: अप्रैल 21, 2020 10:51 am | nikhil
- 2.3K Views
- Write a कमेंट
कोरोनावायरस से जंग जारी है और विभिन्न देश अगल-अलग फ़ेज़ो में इसका सामना कर रहे हैं। संकट की इस घडी में महामारी से निपटने के लिए कई हाथ आगे आए हैं, तो वहीं मेडिकल और सिक्योरिटी स्टाफ को अलग-अलग तरह से सफलताएं भी मिल रही हैं। आईये सकारात्मकता की इस कड़ी को आगे बढ़ाते हुए जानते हैं बीते कुछ दिनों की कुछ पॉजिटिव बातें:-
3 लाख से अधिक लोग हुए ठीक
पिछले हफ्ते जहां कोरोना से ठीक हुए लोगो का आंकड़ा 2 लाख के करीब था। वहीं, उसके बाद से अब तक ये आंकड़ा बढ़कर 3 लाख हो चुका है। हर रोज बढ़ते केस के साथ साथ यह आंकड़ा भी उतना ही महत्वपूर्ण है क्योंकि दुनियाभर में कोरोनोवायरस के प्रसार पर अंकुश लगाने की कोशिश जारी है और इस पहल में हर एक कदम बेहद सराहनीय है।
भारत की सिल्वर लाइनिंग: स्वच्छ हवा
कोविड-19 महामारी जीवन को हानि पहुंचाने के दृष्टि से एक गंभीर विषय है। भारत की तरह, कई देशों में फ़िलहाल लॉकडाउन किया गया है। इस दौरान अधिकांश उद्योगों, फैक्टरियों और ट्रांसपोर्ट सेवाओं पर रोक लगी हुई है। अराजकता के इस माहौल में भारत के लिए सिल्वर लाइन यह है कि इससे कई बड़े शहरों और महानगरों में वायु प्रदूषण का स्तर काफी गिर गया है। दिल्ली-एनसीआर, भिवाड़ी, फरीदाबाद, कानपुर जैसे इलाकें जो वायु प्रदुषण की लिस्ट में सबसे ऊपर रहते थे, आज इन जगहों पर भी साफ़ नीला आसमान देखा जा सकता है जो कि किसी समय परियों की कहानियों की तरह लगता था।
सर्दियों के महीनों की तुलना में वर्तमान में एयर क्वालिटी इंडेक्स (एक्यूआई) में बेहद सुधार हुआ है। दिल्ली में, पीएम 2.5 की औसत एकाग्रता 20 मार्च और 27 मार्च के बीच 70% से ज्यादा गिरी है। और कुछ इलाको में हवा इतनी साफ़ होगयी है कि पंजाब के डूबा से अब लगभग 200 किमी दूर स्थित धौलाधार पर्वत श्रृंखला की बर्फ से ढकी चोटियों दिखाई दे रही है। यह राहत शायद भले ही कुछ समय के लिए हो लेकिन इससे साबित होता है कि प्रदूषण के प्रभाव को कम किया जा सकता है और उद्योग क्लीनर टेक्नोलॉजी की दिशा में काम कर सकती हैं। उम्मीद है कि लॉकडाउन हट जाने के बाद भी हम प्रदुषण को कम करने के प्रयास जारी रखेंगे।
फ़ूड सप्लाई के लिए आगे आए कई ब्रांड्स
लॉकडाउन के कारण पूरे देश में निम्न आर्थिक वर्ग के लोगो में भोजन की आपूर्ति को लेकर बड़ी समस्या खड़ी हो गई। वर्तमान में दिहाड़ी श्रमिकों, कैब और टैक्सी चालकों आदि के पास कोई काम नहीं है। उनके लिए वर्तमान में भूख, शायद कोरोना से ज्यादा गंभीर विषय बना हुआ है। ऐसे में विभिन्न कंपनियां मदद के लिए आगे आई हैं और जरूरतमंदो को खाने के पैकेट और राशन आदि की सप्लाई कर रही है। कारदेखो की टीम भी अधिक लोगो तक टिफ़िन पहुंचने के लिए कुछ रेस्टॉरेंट के साथ करार किया है और अब तक 10,000 से अधिक टिफिन की आपूर्ति की जा चुकी है।
लॉकडाउन के दौरान किराणे का सामान मिलने में भी कुछ मुश्किल हो रही हो क्योंकि नागरिकों को संक्रमित होने से बचने के लिए घर में ही रहने के लिए कहा जा रहा है। कई दुकानों और किराणा वालो के पास होम डिलीवरी के लिए इस जबरदस्त मांग को पूरा करने के लिए उतने कर्मचारी नहीं हैं। नतीजतन, जोमाटो और स्विग्गी जैसी फ़ूड डिलीवरी सर्विस कपंनियां अपने राइडर्स के नेटवर्क के जरिए राशन आदि की डिलीवरी करने में लग गई है।
सौजन्य: whatshot.in
जल्द शुरू होगी 7 संभावित कोरोनावायरस वैक्सीन की मैन्युफैक्चरिंग
हाल ही में दुनिया के सबसे अमीर व्यक्तियों में से एक, बिल गेट्स ने घोषणा की है कि उनका फाउंडेशन कोविड-19 से निपटने के चिकित्सा राहत प्रयासों को गति देने में मदद करेगा। उनका प्लान सभी सात संभावित कोरोनावायरस वैक्सीन की मैन्युफैक्चरिंग के लिए कारखानों का निर्माण करना है। हालांकि, सात में से केवल एक या दो को ही बड़े पैमाने पर उत्पादन के लिए चुना जाएगा। जिसका अर्थ है कि सभी कारखानों को स्थापित करने में अरबों की बर्बादी हो सकती है। लेकिन गेट्स का मानना है कि समय रहते आवश्यक सुविधाएं तैयार कर लेने से कई लोगो की जान बचाने में मदद मिलेगी। ।
सौजन्य: goodnewsnetwork.com
हेल्थकेयर वर्कर्स के लिए एन95 मास्क बाँटना और रीयूज़ करना
वर्तमान में मेडिकल स्टाफ के लिए बेहद जरुरी एन95 मास्क की सप्लाई काफी कम है। आमतौर पर, यह सिंगल उपयोग में ही काम में लिए जाते हैं। लेकिन उत्तरी कैरोलिना (यूएसए) के ड्यूक हेल्थ रिसर्च क्लिनिकल टीमों के शोधकर्ताओं ने मौजूदा शुद्धीकरण तरीकों का उपयोग करके एन95 मास्क को साफ कर और पुन: उपयोग में लेने का तरीका ढूंढ लिया है। उनके इस तरीके के अनुसार एक ऐसे विशेष उपकरण की आवश्यकता होती है जो हाइड्रोजन पेरोक्साइड को वाष्प में बदल दें और फिर इसे जो मास्क की परतों में इसे स्प्रे इन्हें कीटाणुरहित बनाया जा सकें। इस प्रक्रिया के साथ, एन 95 मास्क को दो या तीन बार रीयूज़ किया जा सकता है।
सौजन्य: goodnewsnetwork.com
साथ ही पढ़ें: कोरोना से लड़ने के लिए फोर्ड इंडिया ने बनाया ये प्लान
0 out ऑफ 0 found this helpful