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टाटा टिगाॅर ईवी Vs सीएनजी Vs पेट्रोलः कौन है सबसे बेस्ट सिटी कार ?

Published On सितंबर 12, 2022 By भानु for टाटा टिगॉर ईवी 2021-2022

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पेट्रोल डीजल की प्राइस बढ़ने से अब ग्राहक वैकल्पिक ईंधन से चलने वाली गाड़ियों की तरफ रूख कर रहे हैं। इस समय वैकल्पिक ईंधन वाली गाड़ियों में सबसे बेस्ट ऑप्शन सीएनजी और इलेक्ट्रिक व्हीकल्स हैं। पेट्रोल कारों के मुकाबले इलेक्ट्रिक और सीएनजी कारों की रनिंग काॅस्ट काफी कम होती है, मगर इन कारों की कीमत पेट्रोल कारों से ज्यादा होती है। 

हमनें ये जानने की कोशिश की है कि क्या आखिर कम रनिंग काॅस्ट के लिए ज्यादा कीमत देना वाजिब है। स्पेस और प्रैक्टिकैलिटी के मोर्चे पर आपको ऐसी कारों से समझौता भी करना पड़ता है। इन चीजों को कंपेयर करने के लिए टाटा टिगाॅर से बेहतर उदाहरण कुछ हो नहीं सकता है जो पेट्रोल, डीजल, सीएनजी और इलेक्ट्रिक वर्जन में उपलब्ध है। हमनें इसके पेट्रोल माॅडल का कंपेरिजन सीएनजी और इलेक्ट्रिक माॅडल से किया है क्योंकि हाल ही में इसके डीजल माॅडल को बंद किया गया है। 

स्पेस, प्रैक्टिकैलिटी और कंफर्ट

2017 में टिगाॅर को पेट्रोल और डीजल सेडान के तौर पर लाॅन्च किया गया था। इस कार को अच्छा स्पेस, प्रैक्टिकैलिटी और कंफर्ट देने के तौर पर डिजाइन किया गया था। इसके बाद इसके इलेक्ट्रिक और सीएनजी वर्जन भी बाजार में उतारे गए। मगर कुछ मोर्चों पर इनमें आपको कुछ समझौता भी करना पड़ता है। 

बूट स्पेस

सीएनजी की बात करें तो इसमें काफी कम बूट स्पेस दिया गया है। इसकी रियर सीटों के ठीक पीछे 10 किलो का सीएनजी टैंक दिया गया है जिससे सामान रखने के लिए जगह काफी कम मिलती है। जहां टिगाॅर पेट्रोल का बूट स्पेस 419 लीटर का है और इसमें कई सूटकेस रखे जा सकते हैं। वहीं टिगाॅर सीएनजी में केवल एक ही सूटकेस रखा जा सकता है। छोटी सीएनजी कारों की बात करें तो इनमें बूट स्पेस काफी यूजेबल रहता है और स्पेयर व्हील को टैंक के नीचे रखा जाता है। टैंक के पीछे जो स्पेस बचता है उसे आसानी ये इस्तेमाल में लिया जा सकता है। 

बूट स्पेस के मामले में सीएनजी कार के मुकाबले इलेक्ट्रिक कार ज्यादा बेहतर होती है, मगर ये पेट्रोल माॅडल का मुकाबला नहीं कर सकती हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि बैट्री पैक को बूट के नीचे रखा जाता है जिससे बूट फ्लोर ऊपर हो जाता है। 

मगर फिर भी आप यहां कुछ सूटकेस और साॅफ्ट बैग्स रख सकते हैं। 

प्रैक्टिकैलिटी और कंफर्ट 

बात चाहे पेट्रोल कारों की हो या फिर सीएनजी और इलेक्ट्रिक की, प्रैक्टिकैलिटी के मोर्चे पर हर कार समान होती है। इस कार के तीनों माॅडल्स के केबिन में स्टोरेज स्पेस समान है। 

जब बात कंफर्ट की आती है तो कहानी कुछ और हो जाती है। टिगाॅर सीएनजी में सिलेंडर के एक्सट्रा 100 किलो के वजन को एडजस्ट करने के लिए इसमें स्टिफ सस्पेंशन दिए गए हैं। इसका मतलब ये हुआ कि पेट्रोल माॅडल के मुकाबले टिगाॅर सीएनजी जब भी किसी गड्ढे के ऊपर से गुजरेगी तो आपको ज्यादा झटका महसूस होगा। 

इलेक्ट्रिक माॅडल की भी कमोबेश यही स्थिति है। इसमें भी बैट्री पैक के एक्सट्रा वेट को एडजस्ट करने के लिए स्टिफ सस्पेंशन ही दिए गए हैं। ऐसे में खराब रास्तों का अहसास इसमें भी ज्यादा महसूस होगा। हालांकि इस कार के तीनों वर्जन काफी कंफर्टेबल हैं, मगर सीएनजी और इलेक्ट्रिक कार माॅडल के कंपेरिजन में पेट्रोल माॅडल ज्यादा कंफर्टेबल है। 

ड्राइव एक्सपीरियंस

 

टाटा टिगॉर पेट्रोल

टाटा टिगॉर आई सीएनजी

टाटा टिगॉर ईवी

मोटर/इंजन

1.2-लीटर 3-सिलेंडर

1.2-लीटर 3-सिलेंडर

इलेक्ट्रिक मोटर

पावर (पीएस)

86पीएस

73.4पीएस

75पीएस

टॉर्क (एनएम)

113एनएम

95एनएम

170एनएम

गियरबॉक्स

5-स्पीड मैनुअल

5-स्पीड मैनुअल

सिंगल मैनुअल

फ्यूल टैंक/बैटरी कैपेसिटी

35 लीटर

10किलोग्राम सीएनजी / 35लीटर फ्यूल

26केडब्ल्यूएच 

ये इन तीन कारों में सबसे बड़ा अंतर है। हम आईसीई व्हीकल्स से तो काफी ज्यादा फैमिलियर हैं और इनका ड्राइव एक्सपीरियंस हम काफी अर्से से ले चुके हैं। दूसरी आईसीई कारों के मुकाबले पेट्रोल और डीजल वाली कारों के इंजन रिफाइनमेंट के आधार पर ड्राइव करने में आसान लगती है और इन्हें नाॅइस और वाइब्रेशन के आधार पर जज किया जा सकता है। इलेक्ट्रिक कारें बिल्कुल शोर नहीं करती है जिससे इसका ड्राइविंग एक्सपीरियंस काफी अलग होता है। बिना किसी शोर गुल के इलेक्ट्रिक कारें स्टार्ट हो जाती हैं और तीनों में से इसका ड्राइव एक्सपीरियंस सबसे बेस्ट होता है। इस इलेक्ट्रिक कार की परफाॅर्मेंस भी पेट्रोल और सीएनजी माॅडल से ज्यादा अच्छी है।   

 

टाटा टिगॉर पेट्रोल (आई-सीएनजीआई-सीएनजी)

टाटा टिगॉर सीएनजी

टाटा टिगॉर ईवी

0-100 किलोमीटर प्रति घंटा

16.50 सेकंड

18.5 सेकंड

13.04 सेकंड

30-80 किलोमीटर प्रति घंटा थर्ड गियर

-

14.17 सेकंड

 

20-80 किलोमीटर प्रति घंटा

-

-

7.33 सेकंड (स्पोर्ट) / 13.74सेकंड (ड्राइव)


सीएनजी और पेट्रोल कार को ड्राइव करने पर आपको मुश्किल ही कोई अंतर पता चलेगा। एक्सलरेशन और ओवरटेकिंग के लिए सीएनजी कार की परफाॅर्मेंस काफी अच्छी रहती है। ट्रैफिक में आपको इन्हें पेट्रोल मोड पर लाने की जरूरत नहीं पड़ती है। हालांकि हाईवे पर हाई स्पीड ओवरटेकिंग में परफाॅर्मेंस थोड़ी गिर जाती है, मगर ये दिक्कत पेट्रोल मोड पर आ जाने के बाद दूर हो जाती है। 

सीएनजी के लिए लंबी कतारों में करना पड़ता है इंतजार

पेट्रोल कार में फ्यूल भराना आसान है। देश भर कई फ्यूल स्टेशंस हैं जहां आपको पेट्रोल के लिए लंबी लाइन में नहीं लगना पड़ता है। इसके उलट सीएनजी टैंक फुल कराने में ज्यादा समय लगता है जिसका कारण पंप की कम संख्या होना है। इसके अलावा सीएनजी भरवाने में समय भी ज्यादा लगता है। इसका मतलब है एक बार सीएनजी स्टेशन पर जाकर टैंक में गैस डलवाने में 20 से 30 मिनट का समय लग सकता है क्योंकि आपके आगे भी 8 से 10 सीएनजी व्हीकल्स पहले ही खड़े मिलेंगे। 

इलेक्ट्रिक कारों के संदर्भ में तो ये चीज और ज्यादा कठिन हो जाती है। यदि आप अपनी इलेक्ट्रिक कार को घर पर चार्ज करते हैं तो ये सबसे बेस्ट ऑप्शन है। आप पूरी रात में उसे फुल चार्ज कर सकते हैं। हालांकि यदि आप पब्लिक चार्जिंग नेटवर्क पर निर्भर रहेंगे तो लंबे इंतजार के लिए तैयार रहें। व्यस्ततम समय में आपको एक दो कारें चार्ज होती हुई मिलेंगी और इन्हें चार्ज होने में करीब 45 मिनट का समय लग जाएगा। इसके बाद आपकी कार को भी 40 मिनट का समय तो लगेगा ही। वहीं चार्जिंग स्टेशंस पर फिलहाल तो कोई अच्छे वेटिंग एरिया, रेस्टरूम और कैफे नहीं मिलेंगे। ऐसे में आपको इलेक्ट्रिक कार को चार्ज करने में इन सब परेशानियों का सामना करना प़ड़ सकता है। 

पर्चेज और रनिंग काॅस्ट

कार

टिगॉर पेट्रोल

टिगॉर सीएनजी

टिगॉर ईवी

वेरिएंट

एक्सजेड प्लस ड्यूल टोन

एक्सजेड प्लस ड्यूल टोन

एक्सजेड प्लस ड्यूल टोन

प्राइस

8.57 लाख रुपये

9.61 लाख रुपये

14.52 लाख रुपये

बात की जाए इन कारों को खरीदने से लेकर और ड्राइविंग की तो टाटा टिगाॅर पेट्रोल के टाॅप वेरिएंट की दिल्ली में ऑन रोड कीमत 8.6 लाख रुपये है। इसके सीएनजी टाॅप वेरिएंट की कीमत इससे लाख रुपये तक ज्यादा है। पेट्रोल माॅडल के मुकाबले इलेक्ट्रिक माॅडल की कीमत 6 लाख रुपये और सीएनजी से 5 लाख रुपये ज्यादा है। यदि आप उन राज्यों में रहते है जहां इलेक्ट्रिक व्हीकल्स की खरीद पर सरकारी सब्सिडी दी जा रही है तो आपको 2 लाख रुपये तक की छूट मिल सकती है। 

टेस्टेड माइलेज

ईवी

सीएनजी

पेट्रोल एमटी

सिटी माइलेज

7.39किमी/केडब्ल्यूएच

26.93किमी/किलोग्राम

16.48 किलोमीटर प्रति लीटर

हाईवे माइलेज

7.42किमी/केडब्ल्यूएच

34.60किमी/किलोग्राम

17.94 किलोमीटर प्रति लीटर

जिस दिन हमनें इन कारों को टेस्ट किया था उस दिन पेट्रोल की कीमत 105.41 रुपये, सीएनजी के दाम 71.61 और 50 केडब्ल्यू के चार्जर से इलेक्ट्रिक चार्ज की कीमत 18.94 रुपये थी। इस आधार पर देखा जाए तो 3600 रुपये में आप टिगाॅर पेट्रोल माॅडल को 570 किलोमीटर तक ड्राइव कर सकते हैं। सीएनजी के लिए आपको 650 खर्च करने होंगे जिसमें आप इसे 250 किलोमीटर तक ड्राइव कर सकते हैं। वहीं 500 रुपये में आप टिगाॅर इलेक्ट्रिक को फुल चार्ज करने के बाद 192 किलोमीटर तक ड्राइव कर सकते हैं। 

 

ईवी

सीएनजी

पेट्रोल एमटी

प्रति किलोमीटर कॉस्ट सिटी

2.56 रुपये प्रति किलोमीटर

2.65 रुपये प्रति किलोमीटर

6.39 रुपये प्रति किलोमीटर

प्रति किलोमीटर कॉस्ट हाईवे

2.55 रुपये प्रति किलोमीटर

2.26 रुपये प्रति किलोमीटर

5.87 रुपये प्रति किलोमीटर

टेस्ट किए गए इन फिगर्स के बेस पर टिगाॅर सीएनजी और टिगाॅर ईवी की रनिंग काॅस्ट लगभग समान ही है और ये पेट्रोल माॅडल से आधी पड़ती है। यदि आप टिगाॅर ईवी को घर पर ही चार्ज करते हैं तो इसकी रनिंग काॅस्ट 1 रुपये प्रति किलोमीटर तक गिर जाएगी। वहीं यदि आपके घर में सोलर पैनल लगा है तो ये और कम हो सकती है। चूंकि होम चार्जिंग रेट सबकी अलग हो सकती है, इसलिए हमनें इस आर्टिकल में कमर्शियल चार्जिंग रेट को शामिल किया है। 

काॅस्ट रिकवरी 

पर्चेज कॉस्ट रिकवरी

पेट्रोल से सीएनजी

किलोमीटर में

साल (50 किलोमीटर प्रति दिन)

सिटी

26,326 किलोमीटर

1.44 साल

हाईवे

27,274 किलोमीटर

1.49 साल

पेट्रोल से ईवी

 

 

सिटी

1,39,899 किलोमीटर

7.66 साल


मान लीजिए आप रोजाना 50 किलोमीटर कार चलाते हैं तो आपको सीएनजी वेरिएंट को खरीदने में हुए एक्सट्रा खर्च को वसूलने के लिए कार को 26,326 किलोमीटर तक ड्राइव करना होगा। आप ऐसा कर 3 रुपये प्रति किलेमीटर बचा रहे होंगे। 

दूसरी तरफ एक इलेक्ट्रिक कार को खरीदने में एक्सट्रा 6 लाख रुपये को वसूलने के लिए आपको इसे सिटी में 1,39,899 किलोमीटर तक ड्राइव करना होगा जिसमें 7.66 साल का समय लग सकता है। यदि आप कार को घर पर ही चार्ज करते हैं तो आपको काॅस्ट रिकवर करने के लिए 1,00,717 किलोमीटर ड्राइव करना होगा जिसमें 5.51 साल का समय लग सकता है। हालांकि आप पैसों की बचत नहीं कर पाएंगे। 

तीनों में कौनसी है एक परफैक्ट प्रैक्टिकल कार?

तीनों तरह के फ्यूल टाइप की अपनी खूबियां और खामियां है। ड्राइवेबिलिटी और प्रैक्टिकैलिटी के मोर्चे पर पेट्रोल एक बेस्ट ऑप्शन साबित होता है। हालांकि पेट्रोल की बढ़ती कीमतों को देखते हुए हर किसी को रनिंग काॅस्ट को हैंडल करना आसान नहीं है।

ऐसे में यदि आप डेली ड्राइविंग के लिए कोई ऐसी कार तलाश कर रहें जो आपका खर्चा ज्यादा ना बढ़ाए तो सीएनजी एक ज्यादा बेहतर ऑप्शन साबित होती है। इसकी रनिंग काॅस्ट पेट्रोल कार से आधी है और आपको सिटी में ड्राइविंग से कोई समझौता भी नहीं करना होता है। हालांकि कंफर्ट के मोर्चे पर थोड़ा समझौता करना पड़ता है जो कि बूट स्पेस के तौर पर एक बड़ी कमी के रूप में नजर आता है। 

आप पैसा बचाना चाहते हैं तो इलेक्ट्रिक लेने का कोई तुक बनता नहीं है। तो क्या एक इलेक्ट्रिक कार लेना समझदारी है?  हम कहेंगे हां! क्योंकि ये आपको बेस्ट ड्राइविंग एक्सपीरियंस देने के साथ साथ अच्छी परफाॅर्मेंस दे सकती है और आपको प्रैक्टिकैलिटी के मोर्चे पर छोटा मोटा समझौता करना पडता है। ऐसे में ईवी लेने के लिए होने वाले एक्सट्रा खर्च को ये चीज वाजिब बनाती है। यदि आप हाई पर्चेज काॅस्ट देकर और होम चार्जर से कार को चार्ज करने की आदत बना लें तो इलेक्ट्रिक कार से आपको एक ज्यादा प्रीमियम एक्सपीरियंस मिलेगा।

Published by
भानु

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