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रेनो डस्टर टर्बो पेट्रोल रिव्यू

Published On अक्टूबर 12, 2020 By भानु for रेनॉल्ट डस्टर

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रेनो डस्टर भारत की सबसे पॉपुलर एसयूवी कारों में से एक है। ये पहली ऐसी कार बनी जिसने कॉम्पैक्ट एसयूवी सेगमेंट को एक बड़ी पहचान दी। बाद में इस सेगमेंट में नई नई कारों के आ जाने से डस्टर की कहीं ना कहीं लोकप्रियता गिरती चली गई और जनरेशन अपडेट नहीं मिलना भी इसकी एक बड़ी वजह बनी। पिछले 8 सालों में इसे केवल एक बार की कॉस्मैटिक अपडेट मिला है। इसे सबसे बड़ा अपडेट तो साल 2020 में पावरफुल टर्बो पेट्रोल इंजन के तौर पर मिला जिसने 1.5 लीटर डीसीआई डीजल इंजन की जगह ली है। 

रेनो डस्टर का बीएस6 मॉडल दो तरह के पेट्रोल इंजन 1.5 लीटर पेट्रोल और नया 1.3 लीटर टर्बो पेट्रोल में उपलब्ध है। लेकिन नए इंजन वाले मॉडल की सबसे बड़ी कमी इसकी ज्यादा प्राइस है। 1.5 लीटर पेट्रोल इंजन वाले वर्जन के मुकाबले इसकी नए 1.3 लीटर पेट्रोल वर्जन की कीमत 2 लाख रुपये ज्यादा है। ऐसे में क्या टर्बो पेट्रोल वेरिएंट के लिए इतने ज्यादा पैसे खर्च करना एक सही फैसला है? या फिर आपको 1.5 वर्जन ही ले लेना चाहिए। इस बारे में ज्यादा जानने के लिए आप पढ़िये ये पूरा रिव्यू..

डस्टर टर्बो में 1330 सीसी का 4 सिलेंडर टर्बोचार्ज्ड इंजन दिया गया है जो 156 पीएस की पावर और 254 एनएम का टॉर्क जनरेट करने में सक्षम है। वहीं इसका 1.5 लीटर इंजन 106 पीएस की पावर और 142 एनएम का टॉर्क ही जनरेट करता है। यहां तक कि डस्टर का टर्बो पेट्रोल इंजन हुंडई क्रेटा और किया सेल्टोस के टर्बो पेट्रोल इंजन से ज्यादा पावरफुल है। 

डस्टर टर्बो को स्टार्ट करते ही जो सबसे पहली चीज आप नोटिस करेंगे वो है इसका रिफाइनमेंट लेवल। गाड़ी के न्यूट्रल रहने पर तो बामुश्किल ही इसके इंजन से कोई आवाज आएगी, मगर हां स्टीयरिंग और पैडल पर थोड़ा वाइब्रेशन महसूस होगा। टर्बोचार्ज्ड इंजन होने के नाते 1600 आरपीएम से नीचे तो थोड़ा थ्रॉटल लैग मिलेगा। मगर इंजन में पावर की कमी महसूस नहीं होगी। क्लच छोड़ते ही गाड़ी तुरंत भागने लगती है, ऐसे में ज्यादा ट्रैफिक के दौरान इस चीज का आपको ध्यान रखना पड़ेगा। हालांकि टर्बो वर्जन में स्टार्ट स्टॉप सिस्टम भी दिया गया है तो आपको इस बात की टेंशन लेने की कोई जरूरत नहीं है। सिस्टम के एक्टिवेट होने पर आप जैसे ही क्लच पर अपना पांव रखेंगे तो इंजन स्टार्ट हो जाएगा। हल्के क्लच और स्मूद गियरशिफ्ट के रहते आप ट्रैफिक में भी इस गाड़ी को आराम से चला सकते हैं। इसके अलावा इस गाड़ी में बाहर की विजिबिलिटी भी अच्छी मिलती है। तेजी से मूव होते ट्रैफिक में ओवरटेकिंग भी आराम से की जा सकती है क्योंकि इस इंजन से पंच बड़ा अच्छा मिलता है। 

जहां सिटी में इसका इंजन वाकई अच्छी परफॉर्मेंस देता है तो वहीं हाईवे पर तो ये और भी कमाल का महसूस कराता है। 2000 आरपीएम के बाद तो इस इंजन से मिलने वाला रिस्पॉन्स काफी शानदार रहता है। आप लंबे सफर के दौरान छठे गियर पर इस गाड़ी को घंटों चला सकते हैं। इंजन का नेचर इतना पंची है कि ओवरटेकिंग के दौरान किसी तरह की परेशानी नहीं आती है। 

हमने डस्टर टर्बो की जब टेस्ट ड्राइव ली तो जो आंकड़े हमें मिले वो वाकई काबिल-ए-तारीफ थे। इसे 0 से 100 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार हासिल करने में केवल 10.2 सेकंड का समय लगता है और गियर एक्सलरेशन के दौरान भी इसके आंकड़े काफी अच्छे रहते हैं। हालांकि सेल्टोस के टर्बो पेट्रोल मैनुअल वर्जन के मुकाबले डस्टर 100 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार पकड़ने में कुछ सेकंड ज्यादा लेती है और इसका मुख्य कारण डस्टर का भारी वजन कहा जा सकता है। 

हमने यहां डस्टर में इंजन के रूप में हुए बदलाव की तो सभी बात कर ली है। अब आगे इसकी खूबियों और खामियों पर भी एक नजर डाल लेते हैं। 

खूबियां

ऊंची ड्राइविंग पोजिशन: डस्टर में आपको एक शानदार ड्राइविंग पोजिशन मिलती है जिससे अपने आप ही ये महसूस हो जाता है ​कि वाकई आप एक एसयूवी ही चला रहे हैं। इसके बड़े ग्लास एरिया और लो विंडो लाइन के चलते आपको बाहर का काफी अच्छा व्यू मिलता है। 

शांत केबिन: इसका इंजन इतना रिफाइन है कि ये शोर नहीं करता है जिससे केबिन में शांति बनी रहती है। हालांकि सड़क पर टायरों के चलने और हवा का शोर तो केबिन तक पहुंचता ही है जो कि शायद इतनी खास बात नहीं कहलाई जाती है। 

5 लोगों के लिए कंफर्टेबल है ये कार: डस्टर की चौड़ाई और फ्लैट रियर बैंच के रहते इसमें 5 लोग आराम से बैठ सकते हैं। इसमें हेडरूम और नीरूम भी काफी अच्छा दिया गया है। वहीं बड़े ग्लास एरिया के रहते केबिन में एक खुलेपन का अहसास भी हो जाता है। 

अच्छा बूट स्पेस: डस्टर में 475 लीटर का बूट स्पेस दिया गया है। हुंडई क्रेटा और किया सेल्टोस के मुकाबले इसमें ज्यादा बूट स्पेस मिलता है। बूट एरिया चौकोर होने के कारण इस गाड़ी में लगेज भी आराम से रखा जा सकता है। 

कंफर्टेबल राइड क्वालिटी: हमेशा से ही रेनो डस्टर की राइड क्वालिटी अच्छी रही है और ये बात आपको इसके नए टर्बो वर्जन में भी नजर आएगी। खराब से खराब सड़कों पर ये एसयूवी आराम से चलती है और इसके सस्पेंशन किसी भी परेशानी को झेलने का दमखम रखते हैं। 

कमियां

केबिन को नहीं मिला अपडेशन: डस्टर के केबिन में एंटर करते ही आपको ऐसा महसूस होगा कि आप किसी पुराने डिजाइन की गाड़ी में आ गए हैं। इसके डैशबोर्ड का डिजाइन काफी साधारण सा लगता है। क्वालिटी की बात करें तो वो भी उतनी खास नहीं है। इसमें हार्ड प्लास्टिक का इस्तेमाल किया गया है और ग्लव बॉक्स एरिया में काफी सारे पैनल गैप्स नजर आते हैं। यहां तक कि किया सेल्टोस और हुंडई क्रेटा के इंफोटेनमेंट सिस्टम के आगे इसका इंफोटेनमेंट सिस्टम भी काफी पुराना सा लगता है। 

चीजों की पोजिशनिंग सही नहीं: इसका केबिन तो पुराना लगता ही है साथ ही में इसमें काफी कमियां भी है। इंफोटेनमेंट ​स्क्रीन को डैशबोर्ड के काफी नीचे की ओर पोजिशन किया गया है जिससे गाड़ी चलाते वक्त उसे ऑपरेट करना काफी रिस्की साबित हो सकता है। इसमें क्रूज़ कंट्रोल के बटन स्टीयरिंग व्हील पर दिए गए हैं जबकि उसे एक्टिवेट करने का बटन डैशबोर्ड पर दिया गया है। दूसरी तरफ इसके सीट एडजस्टर से आप सीट नीचे तो आराम से कर लेते हैं, मगर उसे ऊंचा करने के लिए आपको कार से बाहर निकलना पड़ता है। 

प्रैक्टिकैलिटी की भी काफी कमी: ​ट्विन ग्लवबॉक्स को छोड़कर डस्टर में काफी कम स्टोरेज स्पेस दिए गए हैं। इसमें गियर लिवर के पास केवल कपहोल्डर्स ही दिए गए हैं और डोर पॉकेट्स भी काफी छोटे हैं। इसके रियर डोर पर तो डोर पॉकेट्स का फीचर ही मौजूद नहीं है। 

फीचर्स की कमी: ऑटोमैटिक क्लाइमेट कंट्रोल, क्रूज़ कंट्रोल, टचस्क्रीन इंफोटेनमेंट सिस्टम जैसे बेसिक फीचर्स के अलावा डस्टर में कोई एक्स्ट्रा फीचर मौजूद नहीं है। इसमें ऑटोमैटिक​ हेडलैंप्स और वाइपर्स, लैदर अपहोल्स्ट्री, ऑटो डिमिंग रियर व्यू मिरर और कनेक्टेड कार टेक्नोलॉजी की काफी कमी महसूस होती है। जब बात सेफ्टी की आती है तो इसमें केवल दो एयरबैग ही दिए गए हैं जबकि इसके मुकाबले में मौजूद कारों में 6 एयरबैग दिए गए हैं। 

डीजल इंजन का ऑप्शन ही नहीं: डस्टर में अब डीजल इंजन का ऑप्शन बंद कर दिया गया है जो कि अच्छा माइलेज चाहने वालों के लिहाज से सही नहीं है। सिटी में इसका टर्बो वर्जन 12.02 किलोमीटर प्रति लीटर का माइलेज देता है तो वहीं हाईवे पर ये 15.51 किलोमीटर प्रति लीटर का माइलेज देता है जबकि इसका डीजल मॉडल इससे काफी बेहतर माइलेज देता था। हालांकि सेल्टोस टर्बो और डस्टर टर्बो का कंपेरिजन करें तो आंकड़े लगभग बराबर ही हैं। मगर आपको बता दें कि सेल्टोस में डीजल इंजन का ऑप्शन भी दिया गया है। 

निष्कर्ष

इंटीरियर डिजाइन एवं फिट और फिनिशिंग के मोर्चे पर तो रेनॉल्ट डस्टर काफी पुरानी सी कार लगती है और इसमें आकर्षक फीचर्स की भी कमी है। हालांकि बाहर से आज भी ये कार काफी दमदार दिखाई पड़ती है और इसकी राइड क्वालिटी भी काफी शानदार है। यदि आप रोजना ऑफिस जाने के लिए डस्टर लेना चाहते हैं या कभी कभी हाईवे का भी चक्कर लगा लेते हैं तो उस लिहाज से आप इसका 1.5 लीटर इंजन वाला वर्जन लें ये अच्छी खासी पावर दे देता है। 

यदि आपको ड्राइविंग ज्यादा पसंद है तो आपको इसका टर्बो वर्जन काफी पसंद आएगा। इसका पावरफुल और रिफाइन पेट्रोल इंजन डस्टर में एक नई सी जान डाल देता है। ज्यादा सुविधा के लिए आप इस इंजन के साथ सीवीटी गियरबॉक्स का  ऑप्शन चुनें।

Published by
भानु

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