मित्सुबिशी आउटलैंडर: फर्स्ट ड्राइव रिव्यू

Published On मई 08, 2020 By भानु for मित्सुबिशी ऑउटलैंडर

Mitsubishi Outlander

कुछ समय से हम देखते आ रहे हैं कि भारतीय बाज़ार में अपना कारोबार समेट चुकी काफी कंपनियां धीरे-धीरे वापस लौट रही हैं। अकॉर्ड, बलेनो और सिविक इसका बेहतरीन उदाहरण है। भारत में लैंसर लॉन्च करने वाली मित्सुबिशी ने इस कार की ​गिरती सेल्स को देखते हुए यहां कामकाज बंद कर दिया था जिसके बाद ये कंपनी फिर से आउटलैंडर एसयूवी के साथ वापसी कर चुकी है। 

मित्सुबिशी आउटलैंडर ने आधे दशक के बाद वापसी की है और इस बार भी ये कार पेट्रोल इंजन के साथ ही लौटी है। तो क्या आउटलैंडर कंपनी को भारत में एक बेहतर मुकाम पर ले जा पाने में सक्षम है और क्या ये कार ग्राहकों का दिल जीतने के लिए उनकी उम्मीदों पर खरा उतरती है, जानेंगे इस फर्स्ट ड्राइव रिव्यू में:

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आउटलैंडर के इतिहास पर एक नज़र: ग्लोबल मार्केट में आउटलैंडर को बंद करने के बाद कंपनी ने इस एसयूवी के सेकंड जनरेशन मॉडल को भारत में 2013 की शुरूआत में बंद कर दिया था। चूंकि आउटलैंडर केवल पेट्रोल वेरिएंट में ही उपलब्ध थी, ऐसे में इसके सेकंड जनरेशन मॉडल को शुरूआत में काफी अच्छा रिस्पॉन्स मिला मगर बाद डीज़ल इंजन वाली एसयूवी की बढ़ती लोकप्रियता के आगे इसकी चमक फीकी पड़ती चली गई। 

Second-gen Mitsubishi Outlander Facelift

आउटलैंडर के थर्ड जनरेशन मॉडल से 2012 जिनेवा मोटर-शो के दौरान पर्दा उठाया गया था लेकिन इसे भारत में पेश नहीं किया गया। 

Third-gen Mitsubishi Outlander Pre-Facelift चूंकि अब बाज़ार में पेट्रोल इंजन वाली एसयूवी ​की डिमांड भी बढ़ने लगी है, ऐसे में मित्सुबिशी ने 2015 न्यूयॉर्क मोटर-शो में थर्ड जनरेशन आउटलैंडर के फेसलिफ्ट मॉडल को शोकेस करने के बाद 2016 में इसे लॉन्च किया।  

कैसा है इसका एक्सटीरियर

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मित्सुबिशी आउटलैंडर का फ्रंट काफी अलग-सा था जो इसके अपडेट होने के बाद कुछ हद तक नहीं बदला। सेकंड जनरेशन आउटलैंडर के फ्रंट को मित्सुबिशी का 'जेट फाइटर' नोज़ डिज़ाइन दिया गया था जबकि नए मॉडल में डायनैमिक शील्ड डिज़ाइन दी गई है। 

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आउटलैंडर की ग्रिल इसे भीड़ से अलग दिखाने का काम करती है जो कि कुछ लोगों को अजीब लग सकती है। इसके रियर प्रोफाइल की बात करें तो यहां 16 इंच के (215/70 आर16) व्हील दिए गए हैं। हालांकि ये आजकल की एसयूवी में दिए जाने वाले 17 या 18 इंच के व्हील से छोटे नजर आते हैं। इसके अलॉय व्हील का डिज़ाइन भी अपडेटेड नहीं लगता है। 

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कार के पिछले हिस्से में सेकंड जनरेशन मॉडल की ही तरह रैप अराउंड टेल लैंप के साथ ड्यूल टोन बंपर दिए गए हैं। 

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कुल मिलाकर आउटलैंडर के एक्सटीरियर में एकबार में पसंद आ जाने जैसी बात नहीं है, मगर इसका फ्रंट काफी यूनीक दिखाई देता है। 

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इंटीरियर में क्या है खास

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आउटलैंडर एक 7-सीटर एसयूवी है जिसमे पहले थर्ड रो ऑप्शनल दी जाती थी। इसके फेसलिफ्ट थर्ड जनरेशन मॉडल में ड्यूल टोन बैज और ब्लैक कलर की जगह ऑल ब्लैक केबिन थीम दी गई है। मगर, इसके केबिन के ऊपरी हिस्सों और पिलर्स पर बैज कलर के फैब्रिक का इस्तेमाल किया गया है, वहीं इसमें सनरूफ का फीचर भी मौजूद है जिससे केबिन में एक खुलेपन का अहसास होता है। 

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कंपनी ने आउटलैंडर के डैशबोर्ड को ज्यादा अपडेट नहीं दिए हैं और इसके मुकाबले में मौजूद होंडा सीआरवी से तो इसका डैशबोर्ड लेआउट ज्यादा आकर्षक भी नहीं है। कुल मिलाकर पुरानी एसयूवी कारों की तरह इसमें भी स्टीयरिंग व्हील के आसपास काफी सारे एलिमेंट्स होने से ये कुछ पुरानी ऑडी कारों की याद दिलाती है। 

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इस एसयूवी की फिट और फिनिशिंग काफी अच्छी है और इसके सेंटर कंसोल के आसपास ग्लॉसी ब्लैक फिनिशिंग की गई है जहां स्क्रैच के दिखने का डर बना रहता है। डैशबोर्ड के ऊपरी हिस्से में सॉफ्ट टच मैटेरियल का इस्तेमाल किया गया है जो कि दरवाज़ों पर भी देखने को मिलते हैं। 

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इसमें इलेक्ट्रॉनिकली एडजस्टेबल ड्राइवर सीट दी गई है जिसमें रीच और रेक का फीचर भी मौजूद है। इससे एक कंफर्टेबल ड्राइविंग पोजिशन पर आना आसान हो जाता है। किसी एसयूवी की ही तरह आउटलैंडर में भी ऊंची ड्राइविंग पोजिशन रहती है जिससे सड़क का नज़ारा साफ दिखाई पड़ता है। 

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स्पेशियस होने के बावजूद भी सेकंड रो पर कंफर्टेबल अंडर थाई सपोर्ट की कमी महसूस होती है। इसकी सीटों को 60:40 के अनुपात में फोल्ड किया जा सकता है जिसके बीच में कप होल्डर से लैस सेंटर आर्मरेस्ट दिया गया है। 

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आउटलैंडर के सेकंड जनरेशन मॉडल में थर्ड रो पर दी गई जंप सीटों के मुकाबले अब वाली सीटें ज्यादा अच्छी हैं। हालांकि, यहां केवल बच्चे ही कंफर्टेबल होकर बैठ सकते हैं क्योंकि वयस्क पैसेंजर्स को अपने घुटने ऊंचे करके बैठना पड़ता है। इसमें सेकंड रो से थर्ड रो पर जाना भी आसान नहीं है क्योंकि सेकंड रो सीट्स ज्यादा आगे नहीं हो पाती है। लगेज रखने के लिए इसमें आप थर्ड रो की सीटों को हटा भी सकते हैं। 

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आउटलैंडर का क्लाइमेट कंट्रोल सिस्टम काफी अच्छा है जिसमें दोनो तरफ ड्यूल ज़ोन कंट्रोल का फीचर दिया गया है। यह केबिन को तेजी से ठंडा कर देता है। इसमें थर्ड रो पर किसी प्रकार के वेंट्स नहीं दिए गए हैं जिससे भीषण गर्मी के दिनों में यहां बैठने वाले पैसेंजर तक ज्यादा ठंडक नहीं पहुंचती है। 

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क्या फीचर लोडेड है ये कार?

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मिड-साइज़ एसयूवी सेगमेंट में मित्सुबिशी आउटलैंडर का सेकंड जनरेशन मॉडल अच्छे-खासे फीचर्स से लैस था, जिनमें अडेप्टिव फ्रंट लाइटिंग सिस्टम से लैस हाई इंटेन्सिटी डिस्चार्ज एचआईडी हेडलैंप, एलईडी टेललैंप, ऑटो फोल्डिंग आउटसाइड रियरव्यू मिरर और 6 सीडी चेंजर के साथ पावरफुल रॉकफोर्ड फोसगेट म्यूजिक सिस्टम जैसे फीचर्स दिए गए थे। इसके न्यू जनरेशन मॉडल में इन फीचर्स को फिर से शामिल करते हुए कंपनी ने कोई नया फीचर नहीं जोड़ा। 

न्यू जनरेशन आउटलैंडर में इसके आउटडेटेड मॉडल में दिए गए एचआईडी हेडलैंप की जगह ऑ​टो ट्विन एलईडी प्रोजेक्टर सेटअप दिया गया है। इसके अलावा फॉगलैंप और टेललैंप्स में भी एलईडी का फीचर मौजूद है। 

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इसके अलावा इस एसयूवी में सनरूफ, ड्यूल जोन क्लाइमेट कंट्रोल, रेन सेंसिंग वायपर्स, क्रूज़ कंट्रोल, इलेक्ट्रॉनिक पार्किंग ब्रेक और पुश बटन इंजन स्टार्ट/स्टॉप फंक्शन वाली पैसिव की-लैस एंट्री का फीचर भी दिया गया है। इसकी ड्राइवर सीट पावर एडजस्टेबल है और फ्रंट सीट्स पर हीटिंग फंक्शन भी दिया गया है। हालांकि, भारत के मौसम को देखते हुए इसमें फ्रंट सीट वेंटिलेशन का फीचर दिया जाता तो बेहतर होता। 

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इंफोटेनमेंट सिस्टम की बात करें तो इसमें केवल 6.1 इंच रेस्सिटिव टचस्क्रीन यूनिट ही दी गई है। रेस्सिटिव टच बेस्ड स्क्रीन रेनो और मित्सुबिशी के अलावा और कोई दूसरी कंपनी अब नहीं देती है। यहां तक कि मारुति सुजुकी स्विफ्ट और हुंडई ग्रैंड आई10 जैसी कारों में भी अब स्मार्टफोन जैसी टचस्क्रीन दी गई है। 

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रेस्सिटिव टचस्क्रीन होने से आउटलैंडर के इंफोटेनमेंट डिस्प्ले पर सीधी धूप पड़ने के कारण कम दिखाई पड़ता है। लोअर रेज़्योल्यूशन स्क्रीन होने से फिर रियर कैमरा डिस्प्ले पर भी नज़ारा साफ दिखाई नहीं पड़ता है और इसमें डायनैमिक गाइडलाइंस का फीचर भी नहीं दिया गया है। मगर जैसे ही आप आउटलैंडर का पावरफुल और क्लासी साउंड वाला 710 वॉट रॉकफोर्ड फोसगेट साउंड सिस्टम की धुन सुनेंगे तो ऊपर बताई गई कमियां के बारे में भूल जाएंगे।

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यह साउंड सिस्टम एक सब-वूफर से भी लैस है जो बूट में रखा गया है। हालांकि कनेक्टिविटी के तौर पर इसमें केवल ब्लू​टूथ फोन इंटिग्रेशन दिया गया है। जबकि टाटा नैनो जैसी कार में ब्लूटूथ कॉलिंग और ऑडियो प्लेबैक जैसा फीचर मिल जाता है।

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म्यूजिक सुनने के लिए आप इस एसयूवी में केवल यूएसबी, सीडी और रेडियो का ही इस्तेमाल कर सकते हैं। हमारी राय में कंपनी को इसमें एपल कारप्ले और एंड्रॉयड ऑटो कनेक्टिविटी से लैस 7 इंच का इंफोटेनमेंट सिस्टम देना चाहिए था जो इसके ग्लोबल मॉडल में मौजूद हैं। 

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इंजन और परफॉर्मेंस

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थर्ड जनरेशन आउटलैंडर में पहले की तरह 2.4 लीटर एमआईवीईसी नैचुरली एस्पिरेटेड पेट्रोल इंजन दिया गया है। इस इंजन के साथ 6-स्टेप पैडल शि​फ्ट ऑपरेशन वाला सीवीटी गियरबॉक्स दिया गया है। इस इंजन का आउटपुट पहले की तरह ही है और इसमें मैनुअल गियरबॉक्स ऑप्शन भी नहीं दिया गया है।  

मित्सुबिशी आउटलैंडर

सेकंड जनरेशन मॉडल

न्यू जनरेशन मॉडल

इंजन

2.4-लीटर पेट्रोल

2.4-लीटर पेट्रोल

पावर

170 पीएस

167 पीएस

टॉर्क

226 एनएम

222 एनएम

गियरबॉक्स

पैडल शिफ्टर्स से लैस सीवीटी

पैडल शिफ्टर्स से लैस सीवीटी

पावर डिलेवरी के लिहाज़ से इसमें दिया गया 2.4 लीटर पेट्रोल इंजन काफी अच्छा है। पिछले मॉडल की तुलना में लंबी और चौड़ी होने के बावजूद आउटलैंडर का वजन पहले से 13 किलोग्राम कम हो गया है। 

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डीज़ल इंजन वाली एसयूवी के कंपेरिज़न में मित्सुबिशी आउटलैंडर का पेट्रोल इंजन काफी शांत रहता है।

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हालांकि, आप थोड़ा स्पोर्टी तरीके से इसे ड्राइव करने की कोशिश करेंगे तो गियरबॉक्स और इंजन हल्का-सा शोर करने लगता है। 

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आउटलैंडर में स्पोर्टी ड्राइविंग के लिए पैडल शिफ्टर्स का फीचर भी दिया गया है। मैनुअल मोड के लिए इसमें बटन का फीचर तो नहीं दिया गया है, मगर पैडल शिफ्टर को पुल करते ही सीवीटी से मैनुअल पर स्विच किया जा सकता है। डी मोड के कंपेरिज़न में कार को मैनुअल मोड पर पावर अच्छे से मिलती है। डी मोड पर वापस आने के लिए पैडल को कुछ देर तक खींच कर रखना पड़ता है। 


सिटी में कार ड्राइव करते वक्त इसका स्टीयरिंग व्हील भारी महसूस होता है जबकि बहुत से लोग इसके हल्के होने की उम्मीद करते हैं। आउटलैंडर में बॉडी रोल भी महसूस होता है, मगर इसके वजन और साइज को देखते हुए घबराने जैसी कोई बात नहीं लगती है। 

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मित्सुबिशी आउटलैंडर के इंडियन मॉडल में ऑल-व्हील-ड्राइव सेटअप स्टैंडर्ड दिया गया है। ऑटो मोड पर इसका 4डब्ल्यूडी सिस्टम ऑटोमैटिकली रोड और ड्राइविंग कंडीशन का पता लगाते हुए फ्रंट और रियर व्हील पर टॉर्क को बराबर पहुंचाता रहता है। इस गाड़ी में दो और मोड भी दिए गए हैं जिनमें 4-डब्ल्यूडी लॉक और 4-डब्ल्यूडी ईको शामिल है। सेंटर कंसोल पर दिया गया ड्राइव सलेक्टर बटन इन दोनों मोड में से एक को चुनने में मदद करता है। 

4-डब्ल्यूडी लॉक में सिस्टम रियर व्हील पर ज्यादा टॉर्क पहुंचाता है। वहीं 4-डब्ल्यूडी ईको में पहले फ्रंट व्हील तक टॉर्क पहुंचती है और जरूरत पड़ने पर ये सिस्टम अपने आप रियर व्हील पर भी टॉर्क पहुंचा देता है। 

इस एसयूवी में 190 मिलीमीटर का अच्छा खासा ग्राउंड क्लीयरेंस दिया गया है। 

निष्कर्ष 

Mitsubishi Outlander मित्सुबिशी आउटलैंडर को भारत में इम्पोर्ट करके बेचा जाता है और ये अपने सेगमेंट की सबसे महंगी कारों में से एक है। इसमें थोड़े अच्छे इंफोटेनमेंट सिस्टम की कमी महसूस होती है, वहीं इसके केबिन का लुक भी उतना खास नहीं है। बाजार में पेट्रोल इंजन वाली कारों की बढ़ती मांग और इस कार की बेहतरीन राइड क्वालिटी और एनवीएच लेवल को देखकर ग्राहक इसे खरीदने का मन बना सकते हैं।

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