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दिल्ली में लागू नहीं होगा ऑड ईवन नियम: सुप्रीम कोर्ट की दखल के बाद सरकार ने बदला फैसला, व्हीकल्स से केवल 17 प्रतिशत फैल रहा प्रदूषण

प्रकाशित: नवंबर 10, 2023 07:29 pm । cardekho

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Delhi Air Pollution

  • बढ़ते वायु प्रदूषण के कारण दुनिया का सबसे प्रदूषित शहर बना दिल्ली

  • पहले लागू हुए ऑड ईवन नियम से केवल 13 प्रतिशत वायु प्रदूषण ही हुआ था कम

  • सबसे पहले 2016 में लागू हुए इस नियम को दिवाली के बाद​ किया गया था लागू जिसका चौथी बार किया जाना था उपयोग

  • एक्यूआई लेवल को कम करने के लिए कृत्रिम बारिश कराने का प्लान भी कर रही है दिल्ली सरकार

हर बार की तरह राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में हवा की गुणवत्ता इतनी खराब हुई है कि ये इसबार दुनिया का सबसे प्रदूषित शहर बन गया है। यहां का एक्यूआई (एयर क्वालिटी इंडेक्स) लेवल लगातार 'खतरनाक' साबित हो रहा है। ऐसे में इस भयावह स्थिति को कंट्रोल में लाने के लिए दिल्ली सरकार ने 13 से 20 नवंबर के बीच ऑड ईवन नियम लागू करने का ऐलान किया था, मगर सुप्रीम कोर्ट में हुई सुनवाई के ​बाद इस नियम पर फिलहाल रोक लगा दी गई है।

क्या होता है ऑड ईवन नियम?

Delhi Roads

दिल्ली में फेस्टिव सीजन के दौरान प्रदूषण की खतरनाक स्थिति से निपटने के लिए ऑड ईवन नियम पहली बार 2016 में लागू हुआ था। इस नियम के मुताबिक लोगों को अपनी कार के रजिस्ट्रेशन नंबर (नंबर प्लेट) के अंतिम अंक के आधार पर, केवल वैकल्पिक दिनों में अपनी कार बाहर ले जाने की अनुमति थी। ऐसे में ऑड नंबर वाली कारों को ऑड नंबर वाली तारीख पर ही सड़क पर चलने की अनुमति थी, जबकि ईवन नंबर वाली कारें ईवन नंबर वाली तारीख के दिन ही सड़क पर चल सकती थी।

यह भी पढ़ें: एयर प्यूरीफायर के साथ मिल रही हैं ये 10 अफोर्डेबल कारें: वायु प्रदुषण का नहीं सताएगा डर, बजट में भी बैठेंगी फिट

इस नियम को लागू करने के पीछे जो सोच थी ​वो ये थी कि इससे दिल्ली की सड़कों पर कारों की संख्या कम हो जाएगी और फिर पॉल्यूशन को कंट्रोल करने में मदद मिलेगी। हालांकि, यह नियम केवल पेट्रोल या डीजल का उपयोग करने वाले 4 व्हीलर्स के लिए ही लाया गया था जबकि सीएनजी कारों, बाइक और कमर्शियल व्हीकल्स को इससे बाहर रखा गया था।

क्यों टाला गया इस नियम को?

Air Pollution

इस बार 2023 में जब फिर से ऑड ईवन नियम का प्रस्ताव लाया गया तो इसकी वैधता का आंकलन करने के लिए इस मामले को सुप्रीम कोर्ट में ले जाया गया, क्योंकि इससे नागरिकों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा और कमर्शियल मोबिलिटी प्रोवाइडर को इससे फायदा पहुंचाने का तर्क दिया गया। मामले की सुनवाई के दौरान सरकार ने एक रिपोर्ट पेश की जिसमें कहा गया कि पिछली बार जब ऑड-ईवन नियम लागू हुआ तब हवा की क्वालिटी 13 फीसदी सुधरी थी। हालांकि अदालत ने कहा कि इस रिपोर्ट में शहर में कुल पॉल्यूशन में वाहनों की हिस्सेदारी केवल 17 प्रतिशत थी, ऐसे में 13 प्रतिशत कमी इन आंकड़ों के हिसाब से काफी कम है। ऐसे में इस नियम के फायदे लोगों की स्वतंत्रता को बाधित करने के लिए प्राप्त नहीं है।

अन्य कारण

पिछले कुछ दिनों में दिल्ली की एयर क्वालिटी में सुधार हुआ है। हाल ही में आई बारिश से दिल्ली की एयर क्वालिटी 450 एक्यूआई से 300 पर पहुंच गई है। इस बदलाव के बाद दिल्ली सरकार ने दिवाली के बाद तक के लिए ऑड-ईवन प्रस्ताव स्थगित कर दिया, जिसके बाद फिर से आकलन किया जाएगा कि प्रदुषण को रोकने को लिए इस नीति को लागू करने की जरूरत है या नहीं।

इसके अलावा सुप्री​म कोर्ट ने दिल्ली सरकार से प्रदूषण को रोकने के लिए अन्य प्रयास करने को भी कहा है। सरकार कृत्रिम बारिश कराने की प्लानिंग कर रही है जिससे प्रदूषित कण जमीन पर आ जाए और हवा की गुणवत्ता स्वच्छ हो सके। हमारी तरफ से हम केवल जरूरी हो तभी अपने वाहनों का उपयोग करके कुछ योगदान दे सकते हैं और पब्लिक ट्रांसपोर्ट का अधिक उपयोग करने का प्रयास कर सकते हैं जो कि प्रदूषण की रोकथाम में कारगर साबित होगा।

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