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यदि आपकी कार में दिए गए हैं ये दो फीचर तो स्पेयर व्हील रखने की नहीं पड़ेगी जरूरत

संशोधित: जुलाई 24, 2020 09:59 am | cardekho

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सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय ने गाड़ियों से जुड़े एक नियम में संशोधन किया है, जिसके चलते अब आपको कार में स्पेयर व्हील रखना अनिवार्य नहीं होगा। हालांकि इसके लिए आपको कुछ शर्तों का पालन करना होगा, वो ये कि आपकी गाड़ी में टायर प्रेशर मॉनिटरिंग सिस्टम (टीपीएमएस) और टायर रिपेयर किट होना चाहिए। क्या है ये फीचर और कैसे करते हैं, काम जानेंगे यहांः-

क्या है टायर प्रेशर मॉनिटरिंग सिस्टम ?

भारत में बिकने वाले अधिकांश प्रीमियम कारों में इन दिनों टीपीएमएस फीचर मिलने लगा है। यह फीचर लगभग इनके टॉप वेरिएंट में ही आता है और कार की कीमत के हिसाब से यह फंक्शन अलग-अलग तरह से काम करता है। यह सिस्टम आपकी गाड़ी के टायरों पर लगे सेंसर से व्हील पर निगरानी रखता है। इस सिस्टम के बेसिक वर्जन में जैसे ही आपकी गाड़ी के किसी टायर में हवा का प्रेशर एक निश्चित पॉइंट से नीचे जाता है तो आपको इंस्ट्रूमेंट क्लस्टर में वार्निंग मिलने लग जाती है। एडवांस टायर प्रेशर मॉनिटरिंग सिस्टम में आपको गाड़ी के इंस्ट्रूमेंट क्लस्टर में हर टायर का एयर प्रेशर दिखाई देता है। साथ ही किसी टायर का एयर प्रेशर कम होने पर यह आपको वार्निंग भी देता है। ऐसे में आप टायर में तुरंत हवा भरवाकर चिंता मुक्त हो सकते हैं।

वर्तमान में टाटा नेक्सन, महिंद्रा एक्सयूवी300, फोर्ड ईकोस्पोर्ट और हुंडई वेन्यू के टॉप मॉडल में टायर प्रेशर मॉनिटरिंग सिस्टम फीचर दिया गया है, जिनकी कीमत 12 लाख रुपये के अंदर है। वहीं नई होंडा सिटी में यह फीचर स्टैंडर्ड दिया गया है। जैसे-जैसे आप ऊपर वाले सेगमेंट की ओर बढ़ते हैं और अपना बजट बढ़ाते हैं आपको कार में ज्यादा एडवांस टीपीएमएस फीचर मिलेगा।

क्या है टायर रिपेयर किट ?

यदि आपकी कार में ट्यूबलैस टायर लगा है और वो कहीं रास्ते में पंचर हो जाता है तो इस सिंपल रिपेयर किट का इस्तेमाल कर टायर से एयर प्रेशर को कम होने से रोक सकते हैं। इस किट में सिलेंट लिक्विड होता है जिसे आपको एक कंप्रेसर (12वॉट पावर) की मदद से वोल्व से जरिए प्रेशर से टायर में डालना होता है। यह सीलेंट आपके टायर में जहां पर पेंचर हुआ है वहां जाकर चिपक जाता है। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि यह किट केवल इमरजेंसी के लिए है, जब तक आप टायर की पंचर ना निकलवा लें तब तक गाड़ी को तेज स्पीड पर ना चलाएं।

कुल मिलाकर, क्या बदला ? 

चूंकि कारों में एक स्पेयर व्हील रखना अनिवार्य था, ऐसे में सभी कार कंपनियों ने अपने व्हीकल की डिजाइन में स्पेयर व्हील रखने के लिए एक रूम तैयार किया हुआ था। आमतौर पर स्पेयर व्हील को स्टोरेज एरिया के नीचे की तरफ या फिर बूट में रखा जाता था। वहीं, कुछ मॉडल में इसे कार के नीचे या बूटलिड (जैसे फोर्ड इकोस्पोर्ट) पर फिट किया जाता था। कार मेकर्स द्वारा स्पेयर टायर को एक रिम पर माउंट करके दिया जाता था जिससे टायर रिप्लेस करने के दौरान इसे आसानी से बाहर निकाला जा सके।

लेकिन, अब जिन व्हीकल्स में टीपीएमएस फीचर और टायर रिपेयर किट दी गई है उन वाहनों में स्पेयर व्हील की आवश्यकता नहीं होगी। हालांकि, ऐसी संभावना कम है कि कार निर्माता कंपनियां पूरी तरह से एक स्पेयर व्हील के बिना मास मार्केट मॉडल को बेचना बंद कर दे।

क्या नियम बदलने से कोई फायदा है ?

कई वर्षों से कार टेक्नोलॉजी में बहुत बदलाव आए हैं चाहे वह इलेक्ट्रॉनिक कम्फर्ट को लेकर हो या फिर मेटेलिक स्केलेटन्स प्लेटफार्म को लेकर। नए नियमों में संशोधन से कारों की दो श्रेणियों को फायदा मिलेगा, पहला हाई-वैल्यू मास मार्केट प्रोडक्ट्स और दूसरा ईवी।

अधिकतर इलेक्ट्रिक कारों में  बैटरी पैक को फ्लोर के नीचे की तरफ और एक्सल के बीच में लगाया जाता है क्योंकि यह कॉम्पोनेंट्स के वजन को बीच में बनाए रखता है जो ड्राइविंग डायनामिक्स के हिसाब से काफी अच्छा है। बूट के नीचे की तरफ स्पेयर व्हील की आवश्यकता के बिना बची हुई अतिरिक्त जगह को ज्यादा बैटरी लगाने के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है। ऐसा करने से ईवी फुल चार्ज पर ज्यादा रेंज तय करने में सक्षम हो सकती है। अच्छी परफॉरमेंस के लिए एक्स्ट्रा स्पेस को इलेक्ट्रिक मोटर फिट करने के लिए उपयोग में लिया जा सकता है जिससे रियर व्हील्स को ड्राइव किया जा सके।

रेगुलर कब्शन इंजन वाली कारों में भी स्पेयर व्हील्स को हटाने से अतिरिक्त लगेज स्पेस मिल सकेगा। 

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