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एपल का इलेक्ट्रिक कार प्रोजेक्ट हुआ बंद: 10 सालों से इस पर काम कर रही थी कंपनी, अब जेनरेटिव एआई पर करेगी फोकस

संशोधित: फरवरी 28, 2024 03:24 pm | सोनू

शायद कंपनी ने दुनियाभर में इलेक्ट्रिक कारों की बिक्री में गिरावट के कारण एक दशक से चल रहा प्रोजेक्ट बंद किया है

  • एपल ने सेल्फ ड्राइविंग इलेक्ट्रिक कार बनाने के लिए 2014 में प्रोजेक्ट टाइटन शुरू किया था।

  • पहले एपल ने लेवल 4 ऑटोनॉमस इलेक्ट्रिक गाड़ी तैयार करने की योजना बनाई थी लेकिन बाद में इसे लेवल 2+ ईवी में बदल दिया गया।

  • ईवी प्रोजेक्ट बंद करने के बाद अब एपल का फोकस जेनरेटिव एआई पर रहेगा।

  • गूगल, सोनी और शाओमी जैसी दूसरी टेक कंपनियों ने सेल्फ ड्राइविंग इलेक्ट्रिक कार बनाने में प्रगति की है।

सूत्रों से पता चला है कि एपल का इलेक्ट्रिक कार प्रोजेक्ट टाइटन बंद कर दिया गया है, हालांकि कंपनी ने इस पर अभी तक कोई ऑफिशियल स्टेटमेंट नहीं दिया है। एपल का यह प्रोजेक्ट करीब एक दशक से चल रहा था, रिपोर्ट की मानें तो इस प्रोजेक्ट पर करीब 2,000 कर्मचारी काम कर रहे थे जिनमें से कुछ को एपल के जेनरेटिव एआई प्रोजेक्ट में शिफ्ट किया जाएगा। यहां देखिए एपल इलेक्ट्रिक कार प्रोग्राम की वो सब बाते हैं जो हम जानते हैंः

प्रोजेक्ट टाइटन

वर्ष 2014 में ऐपल ने ऑटोनॉमस इलेक्ट्रिक व्हीकल तैयार करने की योजना बनाई और तब से कंपनी के ऑटोमोटिव इंडस्ट्री में कदम रखने की चर्चाएं शुरू हो गई। शुरुआत में एपल की योजना लेवल 4 ड्राइवर असिस्टेंस सिस्टम का इस्तेमाल करके बिना स्टीयरिंग व्हील और पेडल वाली कार तैयार करने की थी जिसे वॉइस कमांड से ऑपरेट किया जा सकता था।

एपल ने कई व्हीकल डिजाइन का परीक्षण किया और अपने ड्राइवर असिस्टेंस सिस्टम की टेस्टिंग भी शुरू कर दी थी, लेकिन बाद में रिपोर्ट आई कि कंपनी ने मैनुअल कंट्रोल्स के साथ पारंपरिक तरीके से व्हीकल तैयार करने का निर्णय लिया है और ड्राइवर असिस्टेंस को लेवल 4 से लेवल 2+ पर शिफ्ट कर दिया गया है। इन सब समझौतों के बाद आखिरी रिपोर्ट में एपल इलेक्ट्रिक कार को 2028 में लॉन्च करने की बात कही गई जो काफी लंबा समय था।

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हालांकि एक दशक से ज्यादा काम करने के बाद अब एपल ने इस प्रोजेक्ट को बंद कर दिया है और अब हमें नहीं लगता कि हम इस कंपनी की इलेक्ट्रिक गाड़ी मार्केट में देखेंगे। हालांकि एपल ने इसकी कोई वजह नहीं बताई है, लेकिन कुछ रिपोर्ट में कहा गया है कि शायद ग्लोबल मार्केट में इलेक्ट्रिक कारों की घटती बिक्री इसकी वजह हो सकती है।

ऐसे और भी कई कारण है जो एपल को ईवी प्रोजेक्ट में नया निवेश करने से रोक सकते हैं। इनमें एक तो ये है कि इलेक्ट्रिक कारों की कीमत पेट्रोल और डीजल मॉडल से ज्यादा होती है, दूसरा ये कि हाइब्रिड व्हीकल्स की तरफ लोगों का रूझान बढ़ रहा है, इसके अलावा ऑटोनॉमस ड्राइविंग टेक्नोलॉजी डेवलप करने में भी कई तरह की चुनौतियां हैं।

जेनरेटिव एआई

कई बड़ी टेक कंपनियों की तरह एपल भी जनरेटिव आर्टिफिशियल इंटेलिजेंसी पर काम कर रही है। जेनरेटिव एआई एक आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस टूल है जो यूजर इनपुट के आधार पर टेक्स्ट, फोटो, ऑडियो और यहां तक कि वीडियो तैयार कर सकता है। इस टेक्नोलॉजी का एक बड़ा उदाहरण चेटजीपीटी है, जिसने दुनियाभर के लोगों को अपनी क्षमताओं से आश्चर्यचकित कर दिया है।

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ईवी प्रोजेक्ट को बंद करने के बाद अब एपल अपनी मैनपावर को जेनरेटिव एआई की तरफ शिफ्ट करेगी। एपल अपने फ्यूचर प्रोडक्ट के हिसाब से इस टेक्नोलॉजी को विकसित करेगी और इसे कंपनी के लेटेस्ट प्रोडक्ट में भी दिया जा सकता है।

एपल ईवी का भविष्य

भले ही एपल ने इलेक्ट्रिक कार बनाने की योजना बंद कर दी है लेकिन यह प्रोजेक्ट टाइटन का अंत नहीं हो सकता है। एपल की तरह दूसरी कई इलेक्ट्रॉनिक और टेक कंपनियां ऑटोमोटिव इंडस्ट्री में ईवी सेगमेंट में एंट्री करने की योजना बना रही है, लेकिन ये फुल ऑटोनॉमस कारें नहीं लाएंगी। शाओमी और सोनी जैसी कंपनियों ने अपनी खुद की इलेक्ट्रिक कार तैयार की है जिसमें सोनी ने होंडा के साथ पार्टनरशिप की है। इनके अलावा गूगल भी सेल्फ ड्राइविंग व्हीकल प्रोजेक्ट पर काम कर रहा है।

शायद 2030 के आसपास एपल वहीं से आगे बढ़ेगा जहां उसने बंद किया है और तब एपल इलेक्ट्रिक कार का सपना सच हो सकता है। क्या आप एपल की इलेक्ट्रिक कार देखना चाहते हैं? हमें कमेंट में अपने विचार जरूर बताएं।

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सोनू

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