ऑस्ट्रेलिया में तैयार हुई हृयुमन वेस्ट से चलने वाली कोना इलेक्ट्रिक,जानिए कैसे हुआ ये कारनामा
प्रकाशित: जुलाई 01, 2021 02:25 pm । भानु । हुंडई कोना
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उपर दी गई तस्वीर में जो आप मॉडल देख रहे हैं वो हुंडई कोना इलेक्ट्रिक की है मगर इसकी खास बात ये है कि ये कार हृयुमन वेस्ट से चलती है। ऑस्ट्रेलिया में स्थित क्वींसलैंड अर्बन युटिलिटीज नाम के सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट ने इस व्हीकल को तैयार किया है। इसे S-Poo-V ‘Number 2,’नाम दिया गया है क्योंकि ये इस ट्रीटमेंट प्लांट द्वारा तैयार की गई दूसरी कार है।
इससे पहले अर्बन युटिलिटीज ने मित्सुबिशी आई एमआईईवी इलेक्ट्रिक हैचबैक को 2017 में इसी तरह तैयार किया था जिसका नाम ‘Poo Car.’ रखा गया था। अब कंपनी ने 39.2 केडब्ल्यूएच बैट्री से लैस हुंडई कोना इलेक्ट्रिक को तैयार किया है। ऑस्ट्रेलिया में हुंडई कोना के मौजूदा मॉडल में कंपनी ने 200 पीएस की पावर और 395 एनएम का टॉर्क जनरेट करने वाली इलेक्ट्रिक मोटर दी गई है जिसकी कीमत 38 लाख रुपये से शुरू होती है। अर्बन युटिलिटीज ने जिस कार को तैयार किया है वो हुंडई कोना के इंडियन मॉडल जैसी है जिसकी ड्राइविंग रेंज 450 किलोमीटर है। भारत में इसकी प्राइस 23.78 लाख रुपये है।
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अर्बन युटिलिटीज का कहना है कि एक इंसान की रोजाना नितक्रिया से निकलने वाले मल से 450 मीटर तक ड्राइवर करने जितनी ही पावर जनरेट की जा सकती है। यदि कोना इलेक्ट्रिक को पूरी तरह से चार्ज करना हो तो करीब 1.5 लाख लीटर हृयुमन वेस्ट की ही जरूरत पड़ेगी। कंपनी ने कहा है कि साउथ और वेस्टर्न ब्रिस्बेन के वेस्ट का पूरा इस्तेमाल किया जाए तो 4000 घरों को पूरे साल तक इलेक्ट्रिसिटी सप्लाय की जा सकती है।
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बता दें कि भारत में भी इस तरह का सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट मौजूद है। चेन्नई के 12 में से 7 वेस्टवॉटर ट्रीटमेंट प्लांट्स में बायोगैस जनरेटर्स मौजूद हैं।
कीचड़ कार्बनिक पदार्थों का एक चिपचिपा सा लिक्विड होता है जो कार्बनिक पदार्थ खाने वाले बैक्टीरिया से भरा होता है। ट्रीटमेंट प्लांट्स कई बार कीचड़ को रिसाइकल करते हैं मगर ये चीज पर्यावरण के खिलाफ जाती है। वैसे तो इसे नष्ट भी किया जा सकता है, लेकिन पर्यावरण के अनुकूल अपनाया जा सकने वाला एक तरीका यह भी है कि इसे एनारोबिक बैक्टीरिया को खिलाया जा सकता है जो इसे बायोगैस नामक मीथेन युक्त गैस में परिवर्तित करते हैं। आसान भाषा में कहें तो आपके द्वारा त्याग किया गया मल एक साफ पानी और ज्वलनशील ईंधन के रूप में तैयार किया जा सकता है।
पर्यावरण को लेकर काम करने वाली कुछ अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों का कहना है कि पेट्रोल और डीजल कारों को बायोगैस में कन्वर्ट करने से कार्बन उत्सर्जन को कम किया जा सकता है। इसी के चलते दुनिया की सबसे पहली मानव मल से संचालित की जा सकने वाली कार बायो बग इजाद की गई थी। इसी तरह 2010 में यूके की कंपनी जेनईको ने फोक्सवैगन बीटल कैब्रले को बायोफ्यूल पर चलाने के लिए मॉडिफाय किया था। ये ठीक वैसा ही है जैसे कि पेट्रोल कारों को सीएनजी किट पर चलाने के लिए मॉडिफाय किया जाता है। यदि किसी प्लांट में बायोमीथेन रिफाइनिंग यूनिट लगी है तो सीवेज से निकलने वाली बायोगैस को भी कारों में इस्तेमाल करने के लिहाज से रिफाइन किया जाता है। यदि बायोगैस को किसी गैस टर्बाइन में ही जलाया जाए तो इससे पर्यावरण को कोई नुकसान नहीं पहुंचेगा। आसान भाषा में कहें तो आपके वेस्ट से हम ग्लोबल वार्मिंक की रोकथाम कर सकते हैं और यदि इसे अच्छे से प्रोसेस किया जाए तो ये आपकी कार को भी पावर दे सकता है।
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