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तिहान आईआईटी हैदराबाद ने अपने कैंपस के लिए तैयार किए बिना ड्राइवर के चलने वाले इलेक्ट्रिक शटल व्हीकल, जानिए इनकी खासियत

संशोधित: अक्टूबर 16, 2023 06:05 pm | स्तुति

जब से टेस्ला ने यूएसए में अपनी इलेक्ट्रिक कारों की ड्राइविंग क्षमताओं को दर्शाया है, तब से ड्राइवरलेस कारों की चर्चाएं काफी बढ़ गई है, अब दूसरे ग्लोबल ब्रांड भी इस पर काम कर रहे हैं। भारत में भी कई कार कंपनियों और टेक्नोलॉजी स्टार्टअप ने खुद की ऑटोनॉमस ड्राइविंग टेक्नोलॉजी तैयार करने पर काम करना शुरू कर दिया है।

इनमें से एक आईआईटी हैदराबाद है, जिसके तिहान सेंटर (TiHAN centre) ने कुछ ड्राइवरलैस इलेक्ट्रिक शटल व्हीकल तैयार किए हैं। यह शटल व्हीकल लिडार-बेस्ड नेविगेशन का इस्तेमाल करते हैं और इसमें जीपीएस फिट किए हुए हैं। कैंपस में इसे मोबाइल ऐप के जरिए बुलाया जा सकता है। वर्तमान में इसका उपयोग कैंपस के छात्रों और फैकल्टी मेंबर द्वारा ट्रांसपोर्टेशन के लिए किया जा रहा है। ये इलेक्ट्रिक शटल व्हीकल भविष्य में ड्राइवरलैस कारों के लिए काफी काम के साबित होंगे।

ऑटोनॉमस मोबिलिटी टेक्नोलॉजी विकसित करने वाला अग्रणी सेंटर

तिहान आईआईटी हैदराबाद देश में ऑटोनॉमस मोबिलिटी टेक्नोलॉजी विकसित करने वाले अग्रणी सेंटर में से एक है। इसने ऑटोनॉमस नेविगेशन टेस्टिंग फैसिलिटी और ह्यूमन रिसोर्स से संबंधित अपस्किलिंग के क्षेत्रों में सहयोग करने के लिए NATRAX (नेशनल ऑटोमोटिव टेस्ट ट्रैक्स) के साथ एक एमओयू भी साइन किया हुआ है।

ऑटोनॉमस ड्राइविंग टेक्नोलॉजी क्यों हैं महत्वपूर्ण?

ड्राइवरलेस टेक्नोलॉजी को विकसित करने के दो प्रमुख कारण हैं: सुविधा और बेहतर सुरक्षा। बढ़ते यातायात के कारण रोज़ाना का आवागमन शहर के लोगों के लिए काफी थका देने वाला हो गया है। ऑटोनॉमस ड्राइविंग टेक्नोलॉजी विकसित होने से लोग थकान मुक्त रहेंगे और उनका आवागमन भी काफी आरामदायक हो जाएगा। यह टेक्नोलॉजी उन लोगों के लिए काफी काम की साबित होगी जो गाड़ी चलाना नहीं जानते हैं जैसे आपके परिवार में बच्चे या बड़े-बूढ़े।

ऑटोनॉमस ड्राइविंग टेक्नोलॉजी को डेवलप करने का दूसरा कारण सुरक्षा है। ड्राइवरलेस कारें दुर्घटनाओं को कम करने में मदद करेंगी। इन कारों में ड्राइवर असिस्टेंस जैसे फीचर्स का इस्तेमाल किया जाएगा, जिसने दुर्घटनाओं की रोकथाम करने में मदद करना पहले ही शुरू कर दिया है। यदि ज्यादा से ज्यादा ड्राइवरलेस कारें सड़कों पर रहेंगी तो वह सुरक्षा पर बड़ा प्रभाव डालेगी और ऐसी कारों के साथ दुर्घटनाओं की संख्या भी कम हो सकेगी।

भारतीय रोडवेज ने ऑटोनॉमस ड्राइविंग टेक्नोलॉजी को लेकर चुनौतियों की एक लंबी सूची पेश की है, लेकिन हमने पहले से ही ऐसी सुविधाओं के लाभ देखना शुरू कर दिए हैं। एक्सप्रेसवे पर ड्राइविंग के दौरान पैसेंजर्स व ड्राइवर को अच्छा कंफर्ट प्रदान करने और अच्छी-खासी सेफ्टी देने के लिए अब ज्यादातर मास-मार्केट कारों को एडीएएस फीचर के साथ पेश किया जा रहा है। हालांकि, ऑटोनॉमस टेक्नोलॉजी पूरी तरह से ड्राइविंग की जगह नहीं ले सकती है। ऐसा होने के लिए तब तक कई ब्रांड और रिसर्च सेंटर द्वारा समय के साथ एकजुट किया गया रियल वर्ल्ड डेटा इसे लागू करने के लिए उपयोगी रहेगा।

यह भी पढ़ें: किआ मोटर्स भारत में तैयार करेगी वर्ल्ड क्लास क्वालिटी वाली इलेक्ट्रिक कारें, अलग से ईवी शोरूम भी खोलेगी कंपनी

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