नवंबर 2019 में दिल्ली में फिर लागू होगा ऑड-ईवन फॉर्मूला, क्या पॉल्यूशन कम करने में करेगा मदद?
संशोधित: सितंबर 18, 2019 12:58 pm | सोनू
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दिल्ली में बढ़ते पॉल्यूशन से निपटने के लिए एक बार फिर दिल्ली की सरकार ऑड-ईवन फॉर्मूला लागू करने जा रही है। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के अनुसार इस बार ऑड-ईवन फॉर्मूला केवल दो सप्ताह के लिए लागू किया जाएगा, जो 4 नवंबर से 15 नवंबर 2019 तक के लिए होगा।
ऑड-ईवन स्कीम के तहत ऑड नंबर वाली कारें ऑड तारीख और ईवन नंबर वाली कारें ईवन तारीख को चलेंगी। ऑड-ईवन के क्या हैं मायने, जानेंगे यहां:-
- ऑड नंबर: जिन गाड़ियों की नंबर प्लेट का आखिरी अक्षर 1,3,5,7,9 जैसे डिजिट हैं, ये गाड़ियां केवल ऑड तारीख 7,9,11,13 और 15 नवंबर को चलेंगी।
- ईवन नंबर: जिन गाड़ियों की नंबर प्लेट का आखिर अक्षर 0,2,4,6,8 जैसे डिजिट हैं, ये गाड़ियां केवल ईवन तारीख 4,6,8,10,12 और 14 नंबर को चलेंगी।
ऑडी-ईवन नियम की तारीख खत्म होने के बादे सभी नंबर की गाड़ियों को रोजाना की तरह एक साथ चला सकेंगे। हालांकि इस नियम में कुछ लोगों को राहत दी गई है, जो निम्न प्रकार हैं:-
- टू-व्हीलर
- सीएनजी, हाइब्रिड और इलेक्ट्रिक व्हीकल
- केवल महिला द्वारा चलाए जाने वाले वाहन
- इमरजेंसी व्हीकल
- वीआईपी, राजनेता, सुप्रीम कोर्ट जज और डिफेंस व्हीकल
- सिंगल महिला ड्राइवर वाहन और 13 साल से छोटे बच्चों को घुमाने वाली महिला ड्राइवर वाहन
इस नियम का जो व्यक्ति उल्लंघन करेगा उससे 2000 रुपये का जुर्माना वसूला जाएगा। जिन वाहनों को इस नियम से राहत देने के बात की गई है इस बारे में सरकार ने अभी कोई जानकारी नहीं दी है, ये लिस्ट पिछली बार लागू हुए नियम को ध्यान में रखते हुए बनाई गई है। दिल्ली में पहली बार जनवरी 2016 में यह नियम लागू किया गया था। इसके बाद अप्रैल 2016 में फिर यह नियम लागू हुआ था।
अब सवाल ये है कि क्या ऑड-ईवन स्कीम से दिल्ली के पोल्यूशन पर कंट्रोल किया जा सकता है, इसके बारे में एक्सपर्ट्स ने अपनी राय साझा की है।
एक्सपर्ट्स का कहना है कि ऑड-ईवन फॉर्मूला से दिल्ली की सड़कों पर वाहनों की संख्या में कमी आएगी, जिससे कारों से निकलने वाला धुंआ भी कम होगा। आईआईटी दिल्ली की रिसर्च के अनुसार पिछली बार जब दिल्ली में ऑड-ईवन फॉर्मूला लागू हुआ था तब यहां का पोल्यूशन लेवल 2 से 3 प्रतिशत तक कम हुआ था।
केजरीवाल के अनुसार दिल्ली में इलेक्ट्रिक व्हीकल पॉलिसी को अपनाया जाएगा। इसके लिए सरकारी बसों के रूट में बदलाव करके फ्रिक्वेंसी बढ़ाई जाएगी। सरकारी बसों के बेड़े में नई बसों को शामिल किया जाएगा। ये सभी बसें इलेक्ट्रिक होंगी।
अब सवाल ये भी उठता है कि क्या इस नियम का असर ऑटो इंडस्ट्री पर भी पड़ेगा। भारत के ऑटो सेक्टर में इस समय लगातार गिरावट देखने को मिल रही है। ऐसे में क्या लोग ऑड/ईवन नंबर वाली दूसरी कार खरीदेंगे? या फिर हाइब्रिड और इलेक्ट्रिक कारों की तरफ जाएंगे? या फिर कार खरीदने की योजना को कुछ समय के लिए रोक देंगे?
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