किआ कारेंस की सेफ्टी रेटिंग से मिला प्रमाण, ज्यादा एयरबैग्स से पुख्ता नहीं हो सकती पैसेंजर्स की सुरक्षा
प्रकाशित: जून 27, 2022 05:24 pm । भानु
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किआ कारेंस एकमात्र ऐसी मास मार्केट कार है जिसमें 6 एयरबैग्स स्टैंडर्ड दिए जा रहे हैं। हाल ही में किआ कारेंस को ग्लोबल एनकैप की ओर से मात्र 3 स्टार सेफ्टी रेटिंग दी गई है और इसी क्रैश टेस्ट में टाटा पंच माइक्रो एसयूवी को 5 स्टार रेटिंग दी जा चुकी है जिसमें केवल दो एयरबैग्स ही दिए जा रहे हैं। गौर करें तो ग्लोबल व्हीकल सेफ्टी असेसमेंट प्रोग्राम के जरिए ये बात क प्रुव हो गई है कि 6 एयरबैग की अनिवार्यता से भी कारों में पैसेंजर्स की सेफ्टी ज्यादा पुख्ता नहीं होने वाली है।
6 एयरबैग्स को अनिवार्य करने पर क्यों दिया जा रहा है जोर
सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय की ओर से सभी कारों में 6 एयरबैग्स को अनिवार्य करने का ऐलान किया जा चुका है। ना सिर्फ इससे कारों की बेस प्राइस बढ़ेगी बल्कि कई कार मैन्युफैक्चरर्स के लिए अपनी कारों के स्ट्रक्चर में बदलाव कर उनमें 6 एयरबैग्स फिट करना एक बड़ा चैलेंज रहेगा। देश में रोड सेफ्टी की दिशा में काफी काम किए जा रहे हैं मगर हमारा मानना है कि 6 एयरबैग्स स्टैंडर्ड करने के बजाए कुछ और बेहतर उपाय भी हो सकते हैं जिससे कारों में पैसेंजर्स सुरक्षित रह सके।
किआ कारेंस में कहां रह गई कमी
ग्लोबल एनकैप क्रैश टेस्ट मेंं कारेंस के बॉडी स्ट्रक्चर और फुटवेल एरिया को अस्थिर करार दिया गया है। पिछले 8 सालों से सभी इंडियन कारों के 64 किलोमीटर प्रति घंटे की स्पीड में किए जा रहे स्टैंडर्ड फ्रंटल ऑफसेट क्रैश टेस्ट की आजमाइश किआ कारेंस पर भी की गई। इसे एडल्ट प्रोटेक्शन कैटेगरी में 17 में से 9.3 पॉइन्ट्स दिए गए। क्रैश टेस्ट के दौरान ये पाया गया कि इसमें फ्रंट पैसेंजर के सिर की प्रोटेक्शन अच्छी रही जबकि उनकी जांघों की प्रोटेक्शन मार्जिनल बताई गई। इसके साथ ही ड्राइवर के पैर की सुरक्षा काफी खराब बताई गई तो वहीं छाती की सुरक्षा मार्जिनल बताई गई।
कम एयरबैग्स के बावजूद किस तरह कुछ इंडियन कारों को मिली अच्छी रेटिंग?
ग्लोबल एनकैप द्वारा टेस्ट की गई भारत की सबसे सुरक्षित टॉप 10 कारों में ड्युअल फ्रंट एयरबैग्स का फीचर होते हुई भी उन्हें काफी अच्छे स्कोर मिले। इसी टेस्ट में इन कारों को किआ कारेंस से भी अच्छा स्कोर प्राप्त हुआ जिनका स्ट्रक्चर डिजाइन और बॉडी शेल इंटिग्रिटी स्थिर पाई गई। अपने बेहतर डिजाइन के चलते इन कारों को एडल्ट प्रोटेक्शन कैटेगरी में अच्छा स्कोर दिया गया।
उदाहरण के तौर पर होंडा जैज और महिंद्रा मराजों को ग्लोबल एनकैप ने 4 स्टार रेटिंग दी और उनके बॉडी शेल स्थिर पाए गए। दोनों मॉडल्स में ड्युअल फ्रंट एयरबैग्स दिए गए थे जहां जैज को 13.89 पॉइन्ट्स मिले तो मराजो को 12.85 पॉइन्ट्स दिए गए। दोनों ही कारों में ड्राइवर के पैरों की सेफ्टी को अच्छा बताया गया।
एयरबैग्स के बजाए परिवहन मंत्रालय को किन बातों पर रखना चाहिए फोकस
ग्लोबल एनकैप से खराब सेफ्टी रेटिंग देने की सामान्य प्रतिक्रिया यह है कि वहां ये देखा जाता है कि संबंधित व्हीकल उस देश की सभी कानूनी आवश्यकताओं को पूरा करता है या नहीं जहां इसे बेचा जाएगा। चूंकि अब हमें इसके सारे सबूत मिल गए हैं कि एक्सट्रा एयरबैग्स देने से कारों की सेफ्टी पुख्ता नहीं होती तो सरकार को अब दूसरे ऑटोमोटिव स्टैंडर्ड्स में सुधार करना चाहिए। इसमें देश में ही एक कठोर क्रैश टेस्ट शुरू करने को शामिल किया जा सकता है जहां सभी कारों के स्ट्रक्चर को परखा जा सके भले ही वो फिर किसी भी प्राइस पॉइन्ट की हो। हालांकि 1 अप्रैल 2023 से देश में भारत एनकैप क्रैश टेस्ट शुरू हो जाएगा।
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इसके अलावा भारत सरकार ने इलेक्ट्रॉनिक स्टेबिलिटी कंट्रोल जैसे फीचर्स को स्टैंडर्ड किए जाने की प्लानिंग भी की है। 2020 की शुरूआत में सामने आई ग्लोबल एनकैप की एक रिपोर्ट के अनुसार एंटी स्किड टेक्नोलॉजी को घातक दुर्घटनाओं को 35 प्रतिशत से अधिक कम करने में प्रभावी पाया गया था। पिछले एक दशक से यूरोप, ऑस्ट्रेलिया, संयुक्त राज्य अमेरिका और जापान में स्टैंडर्ड सेफ्टी फिटमेंट के तौर पर पेश किया जा रहा है।
एयरबैग जैसे पैसिव सेफ्टी फीचर के मुकाबले इलेक्ट्रॉनिक स्टेबिलिटी कंट्रोल एक काफी प्रभावी एक्टिव सेफ्टी फीचर साबित हो रहा है जो दुर्घटना से बचाता है। हालांकि कारों की स्ट्रक्चरल इंटिग्रिटी एक ऐसी चीज है जिसपर सबसे ज्यादा फोकस करने की जरूरत है और इसके बाद फीचर्स के बारे में विचार किया जाना चाहिए।