ऑटो सेक्टर को बजट 2022 से हैं ये 5 उम्मीदें, जानिए कार खरीदने वालों की जेब पर पड़ेगा कितना असर

प्रकाशित: जनवरी 28, 2022 02:13 pm । सोनू

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वित्त मंत्रालय 1 फरवरी को बजट 2022 की घोषणा करेगा। इंडियन ऑटोमोटिव इंडस्ट्री इस समय सेमीकंडक्टर की शॉर्टेज और मैन्युफैक्चरिंग कॉस्ट में बढ़ोतरी की समस्याओं से जूझ रही है, साथ ही महामारी और लॉकडाउन की संभावनाओं से भविष्य की योजनाएं भी काफी प्रभावित हो रही है। ऐसे में अपकमिंग बजट 2022 से इंडस्ट्री काफी उम्मीदें लगा रही है और माना जा रहा है कि ऑनर्स/ग्राहकों के साथ ऑटोमोटिव इंडस्ट्री को भी इसमें कुछ राहत मिलनी चाहिए।

फाडा (फेडरेशन ऑफ ऑटोमोबाइल डीलर्स एसोशिएशन) और कार कंपनियां आगामी बजट 2022 से ये निम्न उम्मीदें लगा रहे हैंः

पीएलआई स्कीम में कुछ अतिरिक्त छूट

भारत सरकार ने लोकल मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा देने के लिए 2021 में पीएलआई (प्रोडक्शन लिंक्ड इनसेंटिव) स्कीम लॉन्च की थी। इसके तहत अगर कोई कंपनी स्कीम के मानदंडों पर खरा उतरती है तो उसे पांच साल तक कई इनसेंटिव मिलेंगे। अब इंडस्ट्री इस बजट से उम्मीद लगा रही है कि स्कीम में निर्धारित टर्नओवर से कम टर्नओवर वाली स्मॉल और मिडियम साइज कंपनियों को भी शामिल किया जाए। इससे कई स्टार्टअप को मदद मिलेगी जो कम टर्नओवर या रेवेन्यू के चलते इस स्कीम में अभी नहीं आती है।

फेम-2 स्कीम एक्सटेंशन

2021 में सरकार ने इलेक्ट्रिक गाड़ियों की बढ़ावा देने के लिए लॉन्च की गई फेम-2 स्कीम को 31 मार्च 2024 तक बढ़ाया था। अब इंडस्ट्री चाहती है बजट में इसे और आगे बढ़ाया जाए जिससे इलेक्ट्रिक कारों को अफोर्डेबल रखने में ज्यादा मदद मिल सके। फेम-2 स्कीम में मानदंडों पर खरा उतरने वाले इलेक्ट्रिक व्हीकल पर सब्सिडी और टैक्स में छूट का प्रावधान है। अगर कोई इलेक्ट्रिक गाड़ी इस स्कीम के नियमों के अनुरूप है तो सब्सिडी के बाद इसकी प्राइस काफी कम हो जाती है।

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ईवी कंपोनेंट पर कम जीएसटी रेट

यह सबसे महत्वपूर्ण मुद्दा है। फिलहाल इलेक्ट्रिक गाड़ियों पर जीएसटी घटाकर 5 प्रतिशत कर दिया गया है जबकि ईवी कंपोनेंट पर अभी भी 18 से 28 प्रतिशत जीएसटी लग रहा है। ईवी इंडस्ट्री सरकार से इसमें थोड़ी रियायत चाहती है जिससे कंपनियां कॉस्ट को कम कर सके। अगर सरकार ऐसा कर देती है तो इलेक्ट्रिक गाड़ियों की प्राइस काफी कम हो जाएगी, जिससे उपभोक्ताओं को भी इलेक्ट्रिक गाड़ी लेने के लिए जेब कम ढ़ीली करनी पड़ेगी।

पुरानी कारों पर कम जीएसटी

इंडस्ट्री इस बजट से उम्मीद लगा रही है कि यूज्ड कारों पर जीएसटी को 5 प्रतिशत तक किया जाएगा। वर्तमान में सब-4 मीटर कार पर 12 प्रतिशत और अन्य गाड़ियों (4 मीटर से लंबी) पर 18 प्रतिशत जीएसटी लग रहा है। यूज्ड कार पर जीएसटी कम होने से ग्राहकों को पुरानी कार खरीदने में कम खर्चा आएगा, साथ ही इससे ज्यादा ग्राहक पुरानी गाड़ियां खरीदेंगे। फाडा ने कहा है कि ‘एसोशिएशन सरकार, डीलरों और वाहन मालिकों के फायदे के लिए यूज्ड कार पर 5 प्रतिशत जीएसटी का अनुरोध करता है। पुरानी गाड़ियों पर जीएसटी कम करने से अनऑर्गनाइज्ड डीलर भी ऑर्गनाइज्ड तरीके काम करेंगे और टैक्स लीकेज पर भी ब्रैक लगाने में मदद मिलेगी।’

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डेप्रिसिएशन क्लेम बेनेफिट

अगर आप कार अपने बिजनेस के लिए लेते हैं तो इस पर इनकम टैक्स के तहत डेप्रिसिएशन क्लेम बेनेफिट ले सकते हैं। इसे बिजनेस के खर्चों के रूप में रखा जाएगा, जिसे आगे शुद्ध लाभ में से घटाया जाएगा। इससे टैक्सेबल इनकम थोड़ी कम हो जाएगी। वर्तमान में यह नियम केवल व्यवसाय के लिए ही है। अब फाडा ने सरकार से सिफारिश की है कि यह नियम सैलरी क्लास के लिए भी किया जाना चाहिए जिससे आने वाले सालों में ओनरशिप कॉस्ट कम होगी।

फाडा ने सरकार से बढ़ी हुई डेप्रिसिएशन रेट को फिर से लागू करने की भी सिफारिश की है जो केवल 23 अगस्त 2019 से 31 मार्च 2020 के बीच खरीदे गए व्हीकल्स ही मान्य थी। वर्तमान में 15 प्रतिशत डेप्रिसिएशन रेट है जो बीच में बढ़ाकर 30 प्रतिशत कर दी गई थी। इससे भी टैक्सेबल इनकम को कम करने में मदद मिलती है।

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