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भारत में ऑडी बनाएगी 2.0 लीटर का टीडीआई डीज़ल इंजन

प्रकाशित: मार्च 31, 2016 02:55 pm । saad

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अपने मेक-इन-इंडिया अभियान के तहत ऑडी 2.0 लीटर टीडीआई डीज़ल इंजन को भारत में बनाने पर विचार कर रही है। माना जा रहा है कि इस योजना पर इस साल के अंत तक काम शुरू हो सकता है। पिछले साल इस तरह की अटकलें थीं कि ऑडी लागत कम करने और उत्पादन बढ़ाने के मकसद से अपने कुछ इंजनों को यहां तैयार करेगी। हालिया योजना को देखते हुए ऐसा लगता है कि कंपनी इस पर गंभीरता से काम कर रही है।

स्थानीय स्तर पर बनने वाला यह ऑडी का दूसरा इंजन होगा। इससे पहले पिछले साल कंपनी ने 1.5 लीटर के डीज़ल इंजन को स्थानीय स्तर पर बनाना शुरु किया है। 2.0 लीटर का इंजन बीएस-6 उत्सर्जन मानकों के अनुरूप होगा। बीएस-6 उत्सर्जन मानक अप्रैल 2020 से अनिवार्य रूप से लागू होने हैं।

मनीकंट्रोल से मिली जानकारी के अनुसार 2.0 लीटर टीडीआई इंजन फॉक्सवेगन ग्रुप की कई कारों में इस्तेमाल होता है। इसे कंपनी के पुणे स्थित प्लांट में बनाया जाएगा। इस कदम के साथ ही ऑडी, मर्सिडीज़-बेंज़ और बीएमडब्ल्यू की कतार में शामिल हो जाएगी। यह कंपनियां फोर्स मोटर्स के साथ मिलकर घरेलू स्तर पर इंजन तैयार कर रही हैं।

घरेलू स्तर पर इंजन बनाने से यह होंगे फायदे

2.0 लीटर का टीडीआई डीज़ल इंजन फॉक्सवेगन की जे़टा, पसात के अलावा अलावा ग्रुप के दूसरे ब्रांड मसलन ऑडी और स्कोडा की कारों में इस्तेमाल होता है। इनमें ऑडी की ए-4, ए-6, क्यू-3 और स्कोडा की सुपर्ब, ऑक्टाविया शामिल हैं। यह मौजूदा टीडीआई इंजन का उन्नत संस्करण है, जो ज्यादा माइलेज और कम कार्बन उत्सर्जन दोनों की दृष्टि से बेहतर है। नया इंजन पुराने वर्जन की तुलना में ज्यादा ताकत और टॉर्क भी देता है। भारतीय बाजार में बेहतर माइलेज के लिए ग्राहक डीज़ल इंजन को ज्यादा तव्वजो देते हैं। ऐसे में ऑडी का यह कदम निश्चित तौर भविष्य के ग्राहकों के लिए फायदेमंद होगा।

घरेलू स्तर पर बनने की वजह से कारों की कीमतों में भी कमी आएगी, जिसका फायदा ग्राहकों को मिलेगा और कंपनी की बिक्री में इजाफा होगा। उदाहरण के तौर पर हाल ही में लॉन्च हुई नई स्कोडा सुपर्ब में अगर घरेलू स्तर पर बना इंजन दिया जाता तो कीमत के मोर्चे पर यह कार  हुंडई सोनाटा, टोयोटा कैमरी और होंडा की जल्द आने वाली नई अकॉर्ड को और कड़ी टक्कर दे पाती। यही बात फॉक्सवेगन की की दूसरी कारों पर भी लागू होती।

उम्मीद है कि घरेलू स्तर पर इंजन बनने की वजह से कंपनी की इंपोर्ट कॉस्ट (आयात लागत) में 10 से 30 प्रतिशत की कमी आएगी। इससे कंपनी को कारों की कीमतें प्रतिस्पर्धी रखने में मदद मिलेगी। इसके साथ ही ऑडी की कारों का वेटिंग पीरियड भी घटेगा। हालांकि गियरबॉक्स को पहले की तरह ही आयात कर स्तेमाल किया जाएगा।

कारों की रेंज बढ़ाने के बारे में ऑडी पहले ही कह चुकी है कि वह 2016 में 20 नए ग्लोबल मॉडल उतारेगी। इनमें से कई भारत में भी लॉन्च होंगे। कंपनी के यह इरादे साफ इशारा करते हैं कि ऑडी हर हाल में भारत में एक बार फिर अपनी नंबर-वन पोजिशन को हासिल करना चाहती है, जो साल 2015 में वह मर्सिडीज़-बेंज़ के हाथों गवां चुकी थी। घरेलू स्तर पर इंजन बनाने को इस कोशिश की शुरुआत समझा जा सकता है।

यह भी पढ़ें: नई ऑडी टीटी आरएस कैब्रियोलेट, रेस ट्रैक पर आई नजर

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