भारत में लिथियम के भंडार मिलने के क्या है मायने, इसका फायदा कैसे उठा सकते हैं हम? जानिए यहां

प्रकाशित: अप्रैल 03, 2023 04:06 pm । भानु

  • 456 Views
  • Write a कमेंट

इंडियन ऑटो इंडस्ट्री के बारे में हर किसी से आपको यही सुनने को मिलेगा कि यह ऑटोमोबाइल मैन्युफैक्चरर्स के लिए एक प्रमुख बाजार है, जो तेजी से बढ़ रहा है। कुछ ही सालों में ये बाजार इलेक्ट्रिक व्हीकल्स की तरफ शिफ्ट हुआ है और अब यहां सबसे बड़ा फोकस ऐसे व्हीकल्स के काम में आनी वाली सबसे जरूरी चीज बैटरी की लोकल मैन्युफैक्चरिंग पर रखा जा रहा है। हाल ही में भारत के जम्मू कश्मीर में करीब 5.9 मिलियन टन लिथियम के भंडार मिले हैं जो इस विषय से जुड़ी बड़ी घटना के तौर पर देखा जा सकता है। 

बता दें कि इलेक्ट्रिक व्हीकल्स के लिए बैटरी तैयार करने में लिथियम सबसे जरूरी मैटेरियल में से एक है। दुनियाभर के लगभग हर इलेक्ट्रिक व्हीकल्स में लिथियम आयन बैटरी का इस्तेमाल हो रहा है। लेकिन इंडियन ऑटो और एनर्जी इंडस्ट्री के लिए  लिथियम के भंडार का वास्तव में क्या मायने है? यहां डालिए नजर उन 5 प्रमुख बातों पर जिनसे इस भंडार को ढंग से इस्तेमाल करने पर क्या हो सकते हैं फायदेः

इंपोर्ट पर निर्भरता हो जाएगी कम 

Reduce Dependency On Imports

इस समय भारत में कार मैन्युफैक्चरर्स अलग अलग देशों से पूरी की पूरी लिथियम आयन बैटरी या फिर केवल लिथियम को इंपोर्ट करा रहे हैं। किसी भी चीज को इंपोर्ट कराना काफी महंगा साबित होता है जिनपर इंपोर्ट ड्यूटी लगाई जाती है। इससे लिथियम महंगा मिलता है और इस कारण एक इलेक्ट्रिक व्हीकल में दी जाने वाली बैटरी काफी महंगी साबित होती है। 

यह भी पढ़ेंः जानिए पर्यावरण के लिए क्यों जरूरी है बैटरी रीसाइकल

इलेक्ट्रिक व्हीकल्स के दाम हो सकते हैं कम 

Reduce The Cost Of EVs

अपने ही भंडारो के उपभोग से लिथियम या फिर लिथियम आयन बैटरी को इंपोर्ट कराने की निर्भरता यदि कम हो जाए तो इससे सीधे ही इलेक्ट्रिक व्हीकल्स के दाम कम होने में मदद मिलेगी। बैटरी सस्ती होने से इलेक्ट्रिक व्हीकल्स की इनपुट कॉस्ट कम हो जाएगी और कारमेकर्स इसका सीधा फायदा ज्यादा अफोर्डेबल इलेक्ट्रिक कारों के तौर पर ग्राहकों को दे सकेंगे। 

अभी पेट्रोल/डीजल वाले व्हीकल्स के मुकाबले इलेक्ट्रिक व्हीकल्स ज्यादा मंहगे साबित हो रहे हैं। यहां तक कि टाटा नेक्सन पेट्रोल एएमटी के मुकाबले टाटा नेक्सन ईवी की कीमत 6.24 लाख रुपये ज्यादा है। 

बैटरियों का बढ़ाया जा सकेगा प्रोडक्शन

Increase Battery Production

ऐसे कच्चे माल के बड़े भंडार के साथ, बैटरी उत्पादन में तेजी आनी चाहिए और कुछ नए बिजनेस शुरू करने को भी बढ़ावा मिलेगा। इसके अलावा हमारे देश में इलेक्ट्रिक व्हीकल्स की बैटरियों का प्रोडक्शन बढ़ेगा। इसका सीधा असर इलेक्ट्रिक कारों के ज्यादा प्रोडक्शन के तौर पर भी होगा और सड़कों पर ज्यादा से ज्यादा इलेक्ट्रिक कारें नजर आएंगी। 

हम भी बन सकते हैं सबसे बड़े एक्सपोर्टर

Turn The Tables, Become An Exporter

भारत अकेला ऐसा देश नहीं है जो अभी लिथियम इंपोर्ट पर निर्भर है और अपने भंडारो के सही इस्तेमाल से वो दूसरे देशों को लिथियम एक्सपोर्ट भी कर सकता है। चीन चिली और ऑस्ट्रेलिया जैसे टॉप के बैटरी ग्रेड लिथियम एक्सपोर्टस की तरह लिथियम एक्सपोर्ट कर भारत में एक नए आय का स्रोत बना सकता है जिससे अर्थव्यवस्था मजबूत होगी। 

इको फ्रैंडली माहौल तैयार करने में मिलेगी मदद

Quicker Transition Towards Sustainability

दुनिया के इलेक्ट्रिफिकेशन की तरफ रुख करने का सबसे बड़ा मकसद तेल भंडारों पर निर्भरता को कम करना है। इसका एक और फायदा पॉल्युशन कम करने के रूप में भी देखा जा सकता है। यदि भारत अपने लिथियम के भंडारों को ऊपर बताए गए तौर तरीकों से उन्हें बेहतर तरीके से इस्तेमाल करे तो हम भी एक इको फ्रैंडली माहौल तैयार करने की दिशा में सबसे आगे खड़े हो सकते हैं। 

ऐसे लक्ष्यों को हासिल करना कोई मुश्किल बात नहीं है। जो भंडार हमें मिले हैं यदि हम उन्हें जिम्मेदाराना तरीके से इस्तेमाल करें तो लिथियम हमारे लिए काफी कीमती प्राकृतिक संसाधन बन सकता है। इसके खनन में तो अभी काफी समय लगेगा और इसे एक काम में ली जा सकने वाली क्वालिटी वाला भी बनाना होगा और ये काम भी पर्यावरण की भलाई को देखते हुए ही करना होगा। इसके बाद ही भारत दुनिया के सबसे बड़े ऑटोमोबाइल मैन्युफैक्चरिंग हब में से एक बन सकेगा।

द्वारा प्रकाशित
was this article helpful ?

0 out ऑफ 0 found this helpful

Write your कमेंट

Read Full News

कार न्यूज़

  • ट्रेंडिंग न्यूज़
  • ताजा खबरें

ट्रेंडिंग इलेक्ट्रिक कारें

  • पॉपुलर
  • अपकमिंग
×
We need your सिटी to customize your experience