कहीं इंजन ब्रैक-इन मैथड को लेकर आपको भी तो नहीं हैं ये गलतफहमियां?
प्रकाशित: मई 02, 2023 03:51 pm । shruti
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इंजन ब्रेक-इन मैथड का विषय काफी समय से एक बहस का मुद्दा बना हुआ है। इसे लेकर दो धड़े बन चुके हैं जहां अलग अलग राय रखी गई है। कुछ लोगों का कहना है कि पहले 1609 किलोमीटर तक गाड़ी धीरे और आराम से ड्राइव करें और एक धड़ा कहता है कि शोरूम से ही निकलते ही आप गाड़ी का उपयोग थोड़ा दम लगाकर करें। हालांकि एक्सपर्ट्स का मानना है कि दोनों तरीके इंजन टाइप और मैन्युफैक्चरर्स की रेकमेंडेशन पर काफी निर्भर करते हैं।
मॉडर्न इंजन मैथड्स को लेकर कई तरह की गलतफहमियां फैली हुई हैं। इस आर्टिकल के जरिए हमनें इनमें से कुछ गलतफहमियों और पद्धतियों का करीब से एनालिसिस किया है और आपको ये समझाने की कोशिश की है कि आखिर इंजन ब्रेक-इन क्या है, यह क्यों महत्वपूर्ण है, और इसे ठीक से कैसे करना है? तो डालिए नजर इन महत्वपूर्ण तथ्यों परः
इंजन में ब्रेक-इन करने का क्या मतलब है?
एक नए इंजन में ब्रेकिंग एक कंडीशनिंग प्रोसेस है जिससे स्मूद ऑपरेशन, और लंबे समय तक अच्छी और काम की परफॉर्मेंस मिलती है। इससे पिस्टन रिंग्स सिलेंडर वॉल पर सही ढंग से मौजूद रहती है और पार्ट्स को टूटने फूटने नहीं देती है। ऐसे में मैन्युफैक्चरर्स की रेकमेंडेशन गाइडलाइंस को फॉलो करना काफी जरूरी होता है जो अलग अलग कारमेकर्स द्वारा अलग अलग तरीकों से सुझाई जाती है।
आमतौर पर ब्रेक इन पीरियड पहले 1000 1500 किलोमीटर के बीच आता है।
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यदि आप इंजन पर शुरू से ही जोर डालने की उस साधारण अवधारणा पर चलते हैं तो इंजन कंपोनेंट्स के शेप और साइज में कमियां आ सकती है। इससे पिस्टन रिंग्स ठीक तरह से नहीं बैठ पाएंगी या फिर यूं कहें तो इनका मूवमेंट ठीक ढंग से नहीं होगा और आपका इंजन ऑयल जल्दी बर्न होने लगेगा।
इंजन में धीरे-धीरे ब्रेकिंग सबसे अच्छा तरीका है, क्योंकि यह समय से पहले इंजन को कम नुकसान पहुंचने में मदद करता है और समय के साथ इंजन और ट्रांसमिशन को एक दूसरे के साथ अच्छे से काम करने देने में भी मदद करता है।
ब्रेकिंग-इन के तरीकों को लेकर ये हैं गलतफहमियां
पहली गलतफहमी: गैरजरूरी होती है ब्रेकिंग- कुछ लोगों का मानना है कि मॉडर्न इंजन की मैन्युफैक्चरिंग इतनी हाई स्टैंडर्ड की होती है कि उन्हें ब्रेक-इन पीरियड की जरूरत ही नहीं होती है। हालांकि ये एक गलत धारणा है। यहां तक कि सबसे ज्यादा एडवांस्ड इंजन में कंपोनेंट्स को ठीक ढंग से सैटल रखने और खराब ना होने देने के लिए ब्रेक-इन पीरियड की जरूरत पड़ती है।
दूसरी गलतफहमी हार्ड ब्रेकिंग है सबसे बेस्ट मैथड- कुछ ड्राइवर्स को ये लगता है कि इंजन स्टार्ट करते ही पूरे थ्रॉटल एक्सलेरशन और ज्यादा आरपीएम पर उसे ड्राइव करना इंजन ब्रेक-इन का सबसे अच्छा तरीका है। हालांकि, ये आपके इंजन को नुकसान पहुंचाते हुए इसे समय से पहले फेल कर सकता है।
तीसरी गलतफहमी: इंजन ब्रेक-इन के लिए सिंथेटिक इंजन ऑयल होते हैं खराब- कुछ लोगों का मानना है कि अच्छी इंजन ब्रेक-इन के लिए सिंथेटिक ऑयल ज्यादा चिपचिपे होते हैं। हालांकि ये बात किसी हद तक ठीक नहीं है। कई मॉडर्न सिंथेटिक ऑयल को ब्रेक-इन पीरियड के दौरान अच्छे से काम करने के लायक ही डिजाइन किया जा रहा है और प्री और पोस्ट ब्रेक-इन पीरियड के लिए कई मैन्युफैक्चरर्स की ओर से कुछ खास सिंथेटिक ऑयल चुनने की सलाह दी जाती है।
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इंजन ब्रेक-इन के तौर-तरीके
जेंटल ब्रेक-इन मैथडः इस तरीके को आजमाते हुए इंजन को कम आरपीएम पर रखना होता है और शुरू करने के बाद पहले कुछ सैंकड़ों मील तक उसपर लोड डालना जरूरी होता है। इससे कंपोनेंट ठीक से काम करने लगते हैं।
सीवियर ब्रेक-इन मैथडः इस तरीके को आजमाते हुए इंजन को फुल थ्रॉटल एक्सलरेशन और हाई आरपीएम पर रखते हुए हार्ड ड्राइव करना होता है। इससे रिंग्स और दूसरे कंपोनेंट्स जल्दी अपनी पोजिशन ले लेते हैं, मगर यदि इस तरीके को ठीक से नहीं आजमाया गया तो फिर ये इंजन को डैमेज पहुंचा सकता है। ये तरीका हाई परफॉर्मेंस इंजन और रेसिंग के काम में उपयोगी साबित होता है।
मैन्युफैक्चरर रेकमेंडेड ब्रेक-इन मैथडः कई इंजन मेकर्स ब्रेकिंग-इन के लिए कुछ गाइडलाइंस देते हैं। इनमें आरपीएम रेंज, ड्राइविंग कंडीशंस और ऑयल टाइप शामिल हैं। ब्रेकिंग-इन के लिए मैन्युफैक्चरर्स की गाइडलाइंस को फॉलो करना सबसे सेफ और प्रभावी साबित होता है, क्योंकि ये उन्हीं की ओर से डिजाइन और टेस्ट किए गए होते हैं।
कुल मिलाकर ब्रेकिंग-इन के तौर तरीके इंजन टाइप, उसके इस्तेमाल और मैन्युफैक्चर की रेकडमेंडेशन पर काफी निर्भर करती है।
कारों में ब्रेकिंग-इन केवल इंजन से ही संबंधित नहीं होती है। इसके अलावा भी इनमें कुछ दूसरे मूविंग पार्ट्स होते हैं जिनमें ट्रांसमिशन, डिफ्रेंशियल और व्हील शामिल है। ऐसे मेंं यदि आप अपने इंजन के लिए एक सेट ब्रेक-इन प्रोसेस फॉलो करते हैं तो ये भी जरूरी है कि आप इन दूसरे पार्ट्स का भी ख्याल रखें।
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