सरकार ने नई ईवी पॉलिसी को दी मंजूरी: इंपोर्ट टैक्स कम किया, टेस्ला की भारत में एंट्री हुई आसान
संशोधित: मार्च 15, 2024 07:43 pm | सोनू
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हालांकि टेस्ला जैसी ग्लोबल इलेक्ट्रिक कार कंपनी के लिए इसका फायदा लेना एक बड़ी चनौती है
भारत सरकार ने देश को इलेक्ट्रिक गाड़ियों का मैन्युफैक्चरिंग हब बनाने के लिए नई ईवी पॉलिसी को मंजूरी दी है। वर्तमान में कई ग्लोबल इलेक्ट्रिक कार कंपनियां ज्यादा इंपोर्ट टैक्स के चलते भारत में प्रवेश करने से कतरा रही हैं, क्योंकि इससे उनकी कारें यहां पर काफी महंगी हो जाती है। यह पॉलिसी ऐसी कंपनियों को कम टैक्स में इलेक्ट्रिक कार को आयात करने अनुमति देगी, लेकिन इसका फायदा केवल तभी मिलेगा जब वो कुछ शर्तें पूरी करेंगी।
क्या है पैरामीटर?
भारत सरकार ने इन कंपनियों को देश में अपने प्रोडक्ट उतारने के लिए कुछ पैरामीटर निर्धारित किए हैं जो इस प्रकार हैंः
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विदेशी इलेक्ट्रिक कार कंपनी को भारत में 3 साल में मैन्युफैक्चरिंग प्लांट लगाना होगा और कम से कम 4150 करोड़ रुपये (करीब 500 मिलियन डॉलर) निवेश करने होंगे।
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उन्हें तीन साल में 25 प्रतिशत लोकल सोर्सिंग करनी होगी और पांच साल में यह आंकड़ा 50 प्रतिशत तक पहुंचाना होगा। साथ ही उन्हें पहले तीन साल में इलेक्ट्रिक गाड़ियों का कमर्शियल प्रोडक्शन भी शुरू करना होगा।
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इंपोर्ट होने वाली इलेक्ट्रिक गाड़ी की न्यूनतम सीआईएफ (कॉस्ट + इंश्योरेंस + किराया) वैल्यू करीब 28.99 लाख रुपये (35,000 डॉलर) होनी चाहिए।
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इलेक्ट्रिक कार कंपनियां इस बेनेफिट के साथ एक साल में अधिकतम 8,000 यूनिट इंपोट कर सकेंगी।
इतना ही नहीं ब्रांड द्वारा किए गए निवेश को बैंक गारंटी मिलनी जरूरी है और अगर कंपनी ऊपर बताई टाइमलाइन तक यह चीज नहीं कर पाती है और उसे गारंटी वापस नहीं मिलेगी।
क्या है फायदा?
अगर इलेक्ट्रिक कार कंपनी को भारी उद्योग मंत्रालय द्वारा मंजूरी मिल जाती है, बैंक गारंटी के साथ निवेश करती है और समय पर सभी शर्तें पूरी करने का वादा करती है तो उस कंपनी को भारत में अपनी इलेक्ट्रिक गाड़ियों को इंपोर्ट करने पर केवल 15 प्रतिशत की कस्टम ड्यूटी देनी होगी। वहीं आमतौर पर इंपोर्टेड गाड़ियों पर 100 प्रतिशत इंपोर्ट टैक्स लगता है, यही कारण है कि कंपनियां भारत में अपने इंपोर्टेड व्हीकल ज्यादा नहीं बेच पाती है।
टेस्ला व अन्य ब्रांड की एंट्री हुई आसान
टेस्ला लंबे समय से भारत के कार बाजार में एंट्री करने की योजना बना रही है और उसने अपनी इलेक्ट्रिक कारों के लिए इम्पोर्ट टैक्स को कम करने की इच्छा भी व्यक्त की है। कंपनी टेस्ला मॉडल 3 और टेस्ला मॉडल वाई जैसी अपनी पॉपुलर इलेक्ट्रिक कारों को भारत लाने में इन टैक्स को बड़ी बाधाओं के रूप में हमेशा सूचीबद्ध करती है। अब नई ई-व्हीकल पॉलिसी के जरिए टेस्ला अपनी इलेक्ट्रिक कारों को भारत में उतारने में सफल हो सकती है।
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विनफ़ास्ट दूसरी इलेक्ट्रिक कार कंपनी होगी जिसे इस पॉलिसी से फायदा मिलेगा। कंपनी ने भारत में अपना मैन्युफैक्चरिंग प्लांट स्थापित करने पर भी काम करना शुरू कर दिया है।
नई पॉलिसी से लंबी अवधि के दौरान मिलने वाले फायदे
हमारा मानना है कि यह पॉलिसी ग्लोबल ब्रांड्स को भारत में अपनी इलेक्ट्रिक कारें जल्दी उतारने के लिए प्रोत्साहित करेगी, लेकिन इससे सरकार और लोगों को कैसे मदद मिलेगी? कंपनियों को इस पॉलिसी का फायदा लेने के लिए भारत में अपनी कारों को आयात करने की बजाय देश में मैन्युफैक्चरिंग प्लांट स्थापित करने होंगे, जिससे ज्यादा से ज्यादा नौकरियां मिल सकेंगी।
चूंकि इन कंपनियों को फायदे प्राप्त करने के लिए 50 प्रतिशत लोकल सोर्सिंग करनी होगी, इससे कुछ भारतीय कंपनियों की बिक्री को बढ़ावा मिलेगा जो इलेक्ट्रिक व्हीकल्स के लिए पार्ट्स तैयार करती हैं।
जहां तक लोगों की बात है, हमें ग्लोबल ऑटोमोटिव टेक्नोलॉजी एक्सेस करने में मदद मिलेगी और यह पॉलिसी कम आयात शुल्क और लोकलाइज़ेशन के कारण इन टेक्नोलॉजी को ज्यादा किफायती बनाएगी। भारत सरकार पर्यावरण प्रदूषण को कम करने और ईको फ्रेंडली फ्यूचर बनाने के लिए भारत में ईवी को बढ़ावा देना चाहती है।
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आप इस पॉलिसी के बारे में क्या सोचते हैं और आप भारत में कौनसी ग्लोबल ईवी ब्रांड देखना चाहेंगे? हमें कमेंट सेक्शन में बताएं।