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बजट-2016 और भारतीय ऑटो जगत की उम्मीदें

प्रकाशित: दिसंबर 28, 2015 07:49 pm । konark

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भारतीय ऑटो जगत करीब-करीब 2.5 करोड़ वाहनों का निर्माण सालाना करता है। हमारी ऑटो इंडस्ट्री का लक्ष्य 2026 तक 285 अरब डॉलर के सकल मूल्य (ग्रॉस वैल्यू) को पाने का है। वहीं केंद्र के मेक इन इंडिया अभियान को भी कई कार कंपनियों ने अपनाया है और वे भारत को एक बड़े निर्माण हब के रूप में इस्तेमाल करने की ओर सोच रही हैं। इतनी बड़ी संख्या में वाहनों का निर्माण करने वाली और बड़े लक्ष्य बना कर चलने वाली ऑटो इंडस्ट्री के लिए बजट-2016 काफी महत्वपूर्ण होना लाजिमी है। यहां हम बात करेंगे ऐसे ही कुछ प्रावधानों की जिनकी उम्मीद ऑटो इंडस्ट्री आने वाले बजट से लगाए बैठी है।

जीएसटी लागू होना (गुड्स एंड सर्विस टैक्स)

बजट 2016 में ऑटो इंडस्ट्री की ओर से जीएसटी की उम्मीद की जा रही है। इसके लागू होने से सभी राज्यों में अप्रत्यक्ष करों का एक जैसा ढांचा लागू होगा। इनमें रोड टैक्स, आर एंड डी टैक्स और चुंगी आदि शामिल हैं। जीएसटी लागू करने से यूज्ड व्हीकल के बाजार को भी फायदा होगा।

कम एक्साइज और कस्टम ड्यूटी

ऑटो इंडस्ट्री का मानना है कि बजट में हाइब्रिड और इलेक्ट्रिक व्हीकल के पार्ट्स पर लगने वाले उत्पाद और सीमा शुल्क को या तो खत्म किया जाना जाना चाहिए या फिर इन पर छूट दी जानी चाहिये। इसके साथ हाईब्रिड और इलेक्ट्रिक व्हीकल को बढ़ावा देने के लिए इन पर सब्सिडी बढ़ायी जानी चाहिए। जिससे कि  हाईब्रिड व इलेक्ट्रिक वाहनों के इस्तेमाल को बढ़ावा मिल सके।

ऑटो लोन पर ब्याज दर घटाना

ऑटो इंडस्ट्री का मानना है कि अगर बजट में ऑटो लोन की ब्याज दरें में रियायत दी जाती है तो कार खरीदने वाले ग्राहकों की संख्या बढ़ने के साथ ही वाहनों की बिक्री भी बढ़ेगी।

देश में स्पेयर पार्ट्स के उत्पादन को बढ़ावा

भारत में स्पेयर पार्ट्स के उत्पादन को बढ़ावा देने को लेकर अगर कुछ प्रावधान किए जाते हैं तो इससे कार कंपनियों और ग्राहकों दोनों को फायदा होगा। दोनों के लिए वाहनों के रख-रखाव की लागत घट जाएगी।

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