सुप्रीम कोर्ट का फैसला: दिल्ली में 2000 सीसी से ज्यादा की डीज़ल कारों की बिक्री पर बैन
प्रकाशित: दिसंबर 16, 2015 07:24 pm । nabeel
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डीज़ल गाड़ियों के बैन पर सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को बड़ा फैसला सुनाया है। कोर्ट ने 31 मार्च 2016 तक दिल्ली में 2000 सीसी और इससे ज्यादा इंजन क्षमता वाली डीज़ल गाड़ियों के रजिस्ट्रेशन पर रोक लगा दी है।
दिल्ली में प्रदूषण की समस्या लगातार बढ़ती जा रही है। पिछले दिनों नेशनल ग्रीन ट्रीब्यूनल ने भी राष्ट्रीय राजधानी में डीज़ल गाड़ियों के रजिस्ट्रेशन पर रोक लगाने का आदेश दिया था। साथ ही दिल्ली सरकार ने भी ऑड-ईवन फॉर्मूले की मदद से प्रदूषण को नियंत्रण में करने की योजना सामने रखी थी।
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के मुताबिक दिल्ली में प्रवेश करने वाले ऐसे ट्रक व हलके कमर्शियल वाहन जो दस साल से कम पुराने हैं, उन्हें दिल्ली की सड़कों पर चलने की अनुमति होगी। लेकिन इसके लिए उन्हें एनवायरंमेंट कंपनसेशन चार्ज (ईसीसी) देना होगा। ट्रकों के लिए यह चार्ज 2600 रूपए व हल्के कमर्शियल वाहनों के लिए 1400 रूपए होगा। इस फैसले का असर ओला व उबर जैसी टैक्सी सर्विसों पर भी पड़ेगा। इन्हें डीज़ल कारों के स्थान पर सीएनजी कारों की सर्विस शुरू करनी पड़ेगी।
ऑटोमोबाइल कंपनियों के वकील दुष्यंत दवे ने कहा कि ‘दुनिया में कोई ऐसा शहर नहीं है जिसने डीज़ल कारों की बिक्री पर बैन लगाया हो। यहां तक कि बीजिंग में भी प्रदूषण कंट्रोल करने के लिए ऑड-ईवन फॉर्मूला अपनाया गया है। वहां भी डीज़ल कारों पर बैन नहीं लगाया गया। यहां इसके गलत नतीजे देखने को मिल सकते हैं। क्योंकि डीज़ल कारों के निर्माण में कंपनियां लाखों-करोड़ों डॉलर खर्च करती हैं। हजारों लोग को इससे रोजगार मिलता है।’
इस पर चीफ जस्टिस टीएस ठाकुर, जस्टिस ए.के. सिकरी व आर बानूमथी की बेंच ने कहा कि ‘हम केवल तीन महीने के लिए ही बिक्री पर रोक लगाने जा रहे हैं। दुनिया के सबसे ज्यादा प्रदूषित शहर को कुछ तो बड़े कदम उठाने ही चाहियें। एक बार हमें डीज़ल कारों से होने वाले प्रदूषण के सटीक और सही आंकड़ें भी मिल जाने दीजिये।‘
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